नई दिल्ली :विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावी राज्य हरियाणा में अंदरूनी कलह को रोकने के लिए सख्ती बरती है और विधानसभा चुनाव में मौजूदा सांसदों को मैदान में नहीं उतारने का फैसला किया है. हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए 1 अक्टूबर को चुनाव होंगे. नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे. कांग्रेस को उम्मीद है कि वह भाजपा को हरा देगी. भाजपा ने पिछले 10 वर्षों से राज्य पर शासन किया है और उसे मजबूत सत्ता विरोधी भावना का सामना करना पड़ रहा है, जो हाल के लोकसभा चुनावों में देखने को मिली थी. यही वजह है कि कांग्रेस ने 10 संसदीय सीटों में से 5 पर जीत हासिल की थी.
इस बारे में हरियाणा के एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया ने ईटीवी भारत से कहा कि किसी भी सदन के किसी भी मौजूदा सांसद को विधानसभा चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी. पार्टी सूत्रों के अनुसार, हरियाणा कांग्रेस दो बड़े खेमों में बंट गई है, जिनका नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राज्य इकाई के प्रमुख उदयभान कर रहे हैं. प्रतिद्वंद्वी खेमे का नेतृत्व पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व राज्य इकाई प्रमुख कुमारी शैलजा कर रही थीं, जो हाल ही में सिरसा सुरक्षित सीट से लोकसभा के लिए चुनी गई थीं. इसके अलावा पूर्व राज्य मंत्री और एआईसीसी पदाधिकारी रणदीप सुरजेवाला भी शामिल हैं, जो अब राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं.
पूर्व राज्य इकाई प्रमुख और पूर्व राज्य मंत्री किरण चौधरी भी हुड्डा विरोधी खेमे का हिस्सा थीं, लेकिन कुछ महीने पहले वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं और अब राज्यसभा सदस्य हैं. चौधरी इस बात से नाराज थीं कि उन्हें भूपेंद्र हुड्डा के कहने पर भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से कांग्रेस की ओर से लोकसभा टिकट नहीं दिया गया था. लोकसभा चुनावों के बाद कुमारी शैलजा ने पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के इशारे पर टिकट वितरण पर सवाल उठाते हुए उन पर निशाना साधा था. शैलजा ने कहा था कि उम्मीदवारों का निष्पक्ष चयन होता तो कांग्रेस 10 में से कम से कम 8 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर लेती. हाल ही में शैलजा ने सार्वजनिक रूप से राज्य की राजनीति में शामिल होने और मौका मिलने पर राज्य का नेतृत्व करने की इच्छा व्यक्त करके राज्य की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया था.