तिरुपति बालाजी के प्रसाद का विवाद गहराया, घी की कीमतों से संदेह बढ़ा - Tirupati laddu ghee row
Tirupati balaji laddu ghee adulteration row: आंध्र प्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में पशु चर्बी का विवाद बढ़ता ही जा रहा है. तिरुमाला तिरूपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा प्रसाद बनाने को लेकर खरीद की गई घी की कीमतों से मामले में संदेह और बढ़ता जा रहा है.
तिरुपति बालाजी के प्रसाद में चर्बी का विवाद गहराया (ETV Bharat Andhra Pradesh Desk)
तिरुमाला:आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद में मिलावटी घी का मुद्दा जोर पकड़ता जा रहा है. लड्डू प्रसाद बनाने के लिए बोर्ड द्वारा 320 रुपये प्रति किलो के भाव से घी खरीद को लेकर सवाल उठने लगे हैं. रिपोर्ट के अनुसार एक किलो घी की कीमत 1,667 रुपये है जबकि लड्डू प्रसाद के 320 रुपये प्रति किलो के भाव से घी खरीद की गई. आखिर इतनी कम कीमत पर घी कैसे उपलब्ध कराया गया.
वाईएसआरसीपी के शासन काल में कई आरोप
वाईएसआरसीपी के पांच साल के शासन के दौरान लड्डू प्रसाद को लेकर कई शिकायतें सामने आई. कई लोगों ने यह कहा है कि लड्डू का स्वाद और गंध अच्छा नहीं था. साथ ही ये लड्डू प्रसाद जल्द खराब हो जाता था. तत्कालीन सरकार के नेताओं, टीटी की शासी निकाय या तत्कालीन ईओ धर्म रेड्डी ने इसकी कोई सुनवाई नहीं की. धर्म रेड्डी जगन के रिश्तेदार हैं.
एनडीडीबी की रिपोर्ट में मिलावट का खुलासा
एनडीडीबी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पिछली सरकार के दौरान गुट्टेदारों द्वारा सप्लाई किए गए घी में मिलावट थी. इसमें जानवर की चर्बी मिलाई गई थी. इस खुलासे से भक्त हैरान हैं. देश-विदेश में भक्तगण इस मामले पर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वालों को कड़ी सजा देने की मांग भी उठ रही है.
शुद्ध गाय का घी 320 रुपये में कैसे मिल सकता है?
जब यह बात सामने आई कि पिछली सरकार के कार्यकाल में तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावटी तेल का इस्तेमाल किया गया था, तो टीटीडी गवर्निंग बॉडी के पूर्व अध्यक्ष जगन परिवार के व्यक्ति वाईवी सुब्बारेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने कार्यों को सही ठहराने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि दानदाताओं के सहयोग से प्रतिदिन 60 किलो शुद्ध देसी गाय का घी राजस्थान के फतेहपुर से खरीदा जाता रहा. लड्डू प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला हजारों किलो घी कथित रूप से 320 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदा गया जबकि सुब्बारेड्डी ने कहा कि उन्होंने एक किलो घी 1,667 रुपये में खरीदा है.
जानकारों का कहना है कि एक किलो गाय का घी बनाने के लिए 17-18 लीटर दूध की जरूरत होती है. अगर एक लीटर की कीमत 40 रुपए भी हो तो भी इसकी कीमत 720 रुपए होती है. वहीं भैंस के दूध से निकाला गया घी की कीमत बाजार में 800 रुपए प्रति किलो से भी ज्यादा है.तो फिर उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसी जगहों पर कंपनियां परिवहन लागत वहन करते हुए भी 320 रुपये में एक किलो घी कैसे उपलब्ध करा सकती हैं?
कर्नाटक दुग्ध संघ (KMF) जो 'नंदिनी' ब्रांड नाम से दुग्ध उत्पाद बेचता है. 50 वर्षों से टीटीडी को घी की आपूर्ति करता रहा है. यह कर्नाटक सरकार का है. जगन सरकार के दौरान अधिक दाम लगाए जाने के कारण तत्कालीन टीटीडी सत्तारूढ़ निकाय द्वारा केएमएफ को दरकिनार कर दिया गया था. केएमएफ के अध्यक्ष भीमनायक ने उस समय कहा था कि टीटीडी जो कीमत बता रहा था उस पर शुद्ध घी की आपूर्ति करना संभव नहीं है.