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यहां की बेटियां रखती हैं बाघ का कलेजा, करेंगी देश की सरहदों की रखवाली, कहा- अब बनी अपनी पहचान - THREE SISTERS GOT JOB IN ARMY

हजारीबाग की दो जुड़वा बहनों ने साबित किया है कि जज्बा मजबूत हो तो कठिनाइयों का समंदर भी आसानी से पार किया जा सकता है.

THREE SISTERS GOT JOB IN ARMY
ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 23, 2024, 7:18 PM IST

Updated : Dec 23, 2024, 10:42 PM IST

हजारीबागःदेश की सीमा सुरक्षा में बेटियां भी अपनी अहम भूमिका निभाने को आतुर दिख रही हैं. हजारीबाग के विष्णुगढ़ प्रखंड की रहने वाली एक परिवार की तीन बेटी बीएसएफ में अपनी सेवा देंगी. दो बेटी का चयन हाल के दिनों में हुआ है. जिन्हें रोजगार मेला के दौरान बीएसएफ मेरु केंद्र में नियुक्ति पत्र दिया गया. वहीं एक बहन पहले से बीएसएफ में है. नियुक्ति पत्र मिलने के बाद दोनों बेटियों का उत्साह चरम सीमा पर है. वो कह रही हैं कि अब उनकी पहचान अपने नाम से होगी.

लगन, तपस्या और कठिनाई के बारे में सुनना हो तो प्रीत सिंह राजपूत और पम्मी कुमारी के जीवन को देखें. जिन्होंने कठिन परिश्रम से बीएसएफ में नौकरी प्राप्त की है. प्रीत सिंह राजपूत बताती हैं कि वो चार बहन और एक भाई हैं. चार बहन होने के बाद समाज और परिवार ने हमेशा तिरस्कार किया.

जानकारी देते संवाददाता गौरव (ईटीवी भारत)

घर में गरीबी ऐसी थी. पढ़ाई भी छूट गई. किसी तरह प्राइवेट से मैट्रिक पास किया. ट्यूशन पढ़कर घर की जरूरत पूरी की. एक जुनून था कि देश की सेवा करना है और बीएसएफ में अपनी जगह तय करनी है. ऐसे में मोबाइल के जरिए ऑनलाइन क्लास किया. फिर जी तोड़ मेहनत की. घर वालों से छुप-छुप कर फिजिकल की तैयारी की. आज इसका परिणाम है कि केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी के हाथों उन्हें रोजगार मेला में नियुक्ति पत्र मिला है.

प्रीत सिंह राजपूत बताती हैं कि उसकी बहन पम्मी कुमारी जो जुड़वा बहन है. उसकी भी नौकरी बीएसएफ में हो गई. गांव में जश्न का माहौल है. पूरे गांव की पहली ऐसी बेटी हैं, जिसने सरकारी नौकरी प्राप्त किया है. हर कोई गांव वाले दोनों बेटियों पर फक्र कर रहे हैं.

पम्मी कुमारी की शादी हो गई. डेढ़ साल का एक बच्चा होने के बावजूद वह हार नहीं मानी. जी-तोड़ मेहनत किया. उसकी मेहनत में उसके पति का महत्वपूर्ण योगदान है. पति ने सुबह के 4:00 बजे गांव से दूर जंगल में ले जाकर फिजिकल ट्रेनिंग करानी शुरू की, ताकि गांव के लोग जाने नहीं. इसके बावजूद कुछ गांव के लोगों को इसकी भनक मिल गई तो ग्रामीणों ने इसका विरोध कर दिया.

फिर भी उसने हार नहीं मानी और मेहनत जारी रखा. दिनभर घर का काम काज, देर रात तक पढ़ाई. सुबह में फिजिकल की तैयारी, यही जीवन बन गया. इसी का परिणाम है कि रोजगार मेला के दौरान पम्मी को भी नियुक्ति पत्र मिला है. अब दोनों बहनें मिलकर देश की सेवा करने के लिए तैयार हो रही है.

इस कार्यक्रम में गांव के भाई ही उसे लेकर नियुक्ति पत्र लेने पहुंचे. पति बच्चों को घर में देख रहे हैं. पम्मी की आंखें आज अपने पति के बारे में बताते हुए खुशी में डूबी हुई नजर आई. दोनों बहनें कहती हैं कि अभी भी समाज बेटियों को आजादी नहीं दे रही है. सामाजिक रूढ़िवादी बेड़ियों में बांधकर रखी हुई हैं. बेटी की पहचान पति या फिर पिता से होती है. लेकिन अब तीनों बहनों की पहचान उनके नाम से होगी और सीने पर तीनों का नाम रहेगा. दोनों बेटी आज समाज के लिए प्रेरणा की स्रोत भी बन गई है. इनके जज्बे को ईटीवी भारत भी सलाम करता है.

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Last Updated : Dec 23, 2024, 10:42 PM IST

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