नई दिल्ली: केंद्र ने मंगलवार को दोहराया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से शुरू किए गए एक महीने के राष्ट्रव्यापी अभियान 'जस्टिस फॉर डॉक्टर्स' के बीच नए आपराधिक कानून के तहत लापरवाही से होने वाली मौत के लिए सजा में कोई बदलाव नहीं किया गया है. डॉक्टरों ने जुलाई-अगस्त में इस अभियान को शुरू किया था. इसके उद्देश्य डॉक्टरों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा और डॉक्टरों पर हिंसा को रोकना है.
जानकारी के मुताबिक इंडियन मेडिकल एसोसिएशन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 106 (1) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा. इस धारा में कहा गया है कि इलाज करते समय किसी रजिस्टर डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की मौत होने पर दो साल की सजा और जुर्माना लगाया जाएगा.
सरकार ने कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी भी व्यक्ति ( डॉक्टर्स सहित) की लापरवाही से मौत होने पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 ए के तहत 2 साल तक की कैद या जुर्माना लगता है." सरकार ने बताया कि जब दिसंबर 2023 में आईपीसी को भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) से बदलने के लिए विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था, तो लापरवाही से हुई मौत को बीएनएस, 2023 की धारा 106 (1) के तहत 5 साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान था.
2 साल तक का कारावास
सरकार ने स्पष्ट किया कि उसे मेडिकल प्रैक्टिशनर्स से अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे. इसके बाद बीएनएस 2023 की उक्त धारा 106 (1) में संशोधन किया गया था ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि अगर रजिस्टर डॉक्टर इलाज करते समय लापरवाही बरतता है, तो उन्हें 2 साल तक के कारावास और जुर्माने से दंडित किया जाएगा.