रांची: लोकसभा चुनाव 2024 में INDIA ब्लॉक ने झारखंड में 2019 की महागठबंधन से बेहतर प्रदर्शन भले ही किया हो. लेकिन चुनावी नतीजे INDIA ब्लॉक के उम्मीदों के अनुकूल नहीं रहे. राज्य में अनुसूचित जाति रिजर्व पलामू के साथ साथ INDIA ब्लॉक के उम्मीदवार सभी सामान्य सीटें हार गए.
भाजपा विरोधी वोटों के बिखराव को रोक कर राज्य में अधिक से अधिक सीटें जीत लेने का उम्मीद बांधें INDIA ब्लॉक के नेताओं को इस बात का मलाल है कि सबसे अधिक लोकसभा सीट जीतने वाली पार्टी भाजपा ही है. भाजपा ने राज्य में 08 लोकसभा सीट जीती हैं जबकि सहयोगी आजसू को 01 सीट मिली. लोकसभा चुनाव में मनोकुल नतीजा नहीं आने के बाद अब राजद, कांग्रेस और झामुमो के नेताओं के बीच आरोप प्रत्यारोप भी शुरू हो गए हैं.
हार का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ रहे नेता
राजद के झारखंड प्रदेश प्रधान महासचिव संजय प्रसाद यादव पलामू में राजद की बड़े मतों के अंतर से हार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा है. इसी तरह जमशेदपुर लोकसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार समीर मोहंती की भाजपा उम्मीदवार बिद्युत बरण महतो से हार की वजह भीतरघात को बताते हैं. जाहिर है कि जमशेदपुर में भीतरघात की बात कहकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष कांग्रेस पर ही निशाना साध रहे हैं. झामुमो नेता कहते हैं कि समय आने पर भीतरघात की सभी पन्ने खोल दिए जाएंगे.
वहीं, अपने सहयोगियों की ओर से कांग्रेस पर हार का ठीकरा फोड़े जाने से आहत कांग्रेस के प्रधान महासचिव ने कहा कि हम भी विधानसभा वार अपनी हार की समीक्षा करेंगे और तब बताएंगे कि हमारी हार क्यों हुई.
क्या INDIA ब्लॉक में दरार पड़ने का संकेत हैं
राज्य में चम्पाई सोरेन की सरकार, महागठबंधन की सरकार है जिसमें झामुमो, राजद और कांग्रेस शामिल हैं. INDIA ब्लॉक के एक अन्य दल सीपीआई माले का सरकार को बाहर से समर्थन हैं. ऐसे में अपने सहयोगियों पर ही भीतरघात और असहयोग वाले बयान क्या महागठबंधन या राज्य में INDIA ब्लॉक में बिखराव के संकेत है? इस सवाल के जवाब में झारखंड के वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि महागठबंधन के तीनों दलों के नेताओं को यह बखूबी पता है कि राज्य में 2024 विधानसभा के आसन्न चुनाव जीतकर दोबारा सत्ता पाने की संभावना तभी तक जीवित है जब तक ये सभी दल एकजुट हैं. ऐसे में झामुमो हो या कांग्रेस-राजद का कोई भी नेता यह नहीं चाहेगा कि वह अकेले चुनाव मैदान में जाएं. ऐसे में वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह के अनुसार झारखंड में महागठबंधन के ये नेता अपनी अपनी हार का ठीकरा सहयोगी दलों के ऊपर फोड़ कर अपनी जिम्मेदारी और जवाबदेही की नाकामी को सहयोगी दलों के ऊपर थोपना चाहते हैं.
झामुमो की महत्वाकांक्षा शुरू से अकेले बहुमत की सरकार बनाने की, राजद चाहता है अधीक सीट