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टेरर फंडिंग मामले के आरोपी राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत अवधि 28 अक्टूबर तक बढ़ी

जम्मू कश्मीर टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और बारामूला सांसद राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत अवधि 28 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी गई है.

By ETV Bharat Delhi Team

Published : 4 hours ago

राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत अवधि 28 अक्टूबर तक बढ़ी
राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत अवधि 28 अक्टूबर तक बढ़ी (ETV BHARAT)

नई दिल्ली:जम्मू-कश्मीर में चुनाव से पहले अपनी पार्टी के लिए अंतरिम बेल पर बाहर आए इंजीनियर रशीद की अंतरिम जमानत अवधि 28 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी गई है. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जम्मू कश्मीर टेरर फंडिंग मामले में अंतरिम जमानत अवधि 28 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया है. एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने ये आदेश दिया है. इससे पहले बीते शनिवार को उन्हें तीन दिन की अंतरिम जमानत दी गई थी.

राशिद के पिता की खराब तबीयत को देखते हुए मिली राहत:कोर्ट ने राशिद इंजीनियर के पिता की खराब तबीयत को देखते हुए अंतरिम जमानत बढ़ाने का आदेश दिया. राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत बढ़ाने की अर्जी का एनआईए ने विरोध नहीं किया. कोर्ट ने राशिद इंजीनियर की नियमित जमानत याचिका पर भी फैसला टाल दिया और 28 अक्टूबर को ही फैसला सुनाने का आदेश दिया.

10 सितंबर को चुनाव प्रचार के लिए मिली थी जमानत:10 सितंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने राशिद इंजीनियर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी थी. उसके बाद से कोर्ट राशिद इंजीनियर की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ा चुका है. राशिद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की है. राशिद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था.

16 मार्च 2022 को कोर्ट ने आरोप तय करने का दिया था आदेश:पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद , सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.

NIA के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.

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