पलामू: 1970 के बाद भारत में पहली बार भेड़ियों का सर्वे हो रहा है. यह सर्वे देश के एक मात्र वुल्फ सेंचुरी महुआडांड़ के इलाके में हो रहा है. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ (भेड़िया) हैं. ग्रे वुल्फ की संख्या पूरे विश्व में मात्र दो हजार के करीब है.
नेशनल वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की एक टीम पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में सर्वे कर रही है. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की टीम महुआडांड़ के इलाके में चार महीने तक रही. भेड़ियों से जुड़े डाटा का वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून में आकलन किया जा रहा है. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी का कॉरिडोर झारखंड और छत्तीसगढ़ के बीच जुड़ा हुआ है.
महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी 70 की संख्या में हैं भेड़िया
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के सर्वे में महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के इलाके में 70 भेड़िया के होने के सबूत मिले हैं. यह भेड़िया चार झुंडों में बंटे हुए हैं. भेड़ियों का यह झुंड छत्तीसगढ़ और झारखंड के बीच घूम रहा है. दरअसल महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी करीब 63 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और पलामू टाइगर रिजर्व के एक हिस्से में मौजूद है. कहा जाता है कि यह एशिया का एकमात्र वुल्फ सेंचुरी है जहां दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ पाए जाते हैं.
"वुल्फ सेंचुरी में सर्वे हो रहा है, कुछ फैक्ट निकले हैं. जिसका आकलन वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट कर रही है."- कुमार आशुतोष, निदेशक, पीटीआर
"महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में 70 के करीब भेड़िया मौजूद है. भेड़िया के व्यवहार उनके हैबिटेट के बारे में विस्तृत सर्वे किया जा रहा है. 1970 के बाद यह पहला मौका है जब इस तरह के सर्वे की शुरुआत की गई है. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की एक टीम ने महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी के इलाके में महीनों तक कैम्प किया. इस दौरान कई चौंकाने वाली जानकारी भी निकाल कर सामने आई है."- प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक, पीटीआर
खतरा होने के बाद जीवन भर मांद में वापस नहीं लौटते हैं भेड़िया