जलपाईगुड़ी : चुनाव आते हैं, बीत जाते हैं लेकिन वादे अधूरे रह जाते हैं. चाय बागान श्रमिकों की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है. चाय बागान श्रमिक अभी भी न्यूनतम मजदूरी की मांग लेकर भटक रहे हैं. वे इस उम्मीद में फिर से मतदान केंद्रों पर कतार में लगेंगे कि लंबे समय से चली आ रही मांग शायद पूरी हो जाएगी.
उत्तर बंगाल में सबसे बड़ा उद्योग चाय उद्योग है. चाय उद्योग से करीब साढ़े तीन लाख श्रमिक जुड़े हुए हैं. जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार लोकसभा क्षेत्रों में चाय बागानों की संख्या सबसे अधिक है. लोकसभा चुनाव में मालबाजार, बानरहाट, कालचीनी, मदारीहाट-वीरपाड़ा, नागराकाटा, कुमारग्राम सहित कई ब्लॉकों में उम्मीदवारों की किस्मत काफी हद तक चाय श्रमिकों के वोटों पर निर्भर करेगी.
2019 के लोकसभा चुनाव में अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी चाय बेल्ट के मतदाताओं ने भाजपा को आशीर्वाद दिया था. 2021 के विधानसभा चुनाव में भी वह समर्थन अटूट था. क्या चाय बागान कर्मचारी भाजपा के मनोज तिग्गा (अलीपुरद्वार के उम्मीदवार), जयंतकुमार रॉय (जलपाईगुड़ी के उम्मीदवार) को वोट देंगे? या फिर तृणमूल के प्रकाश चिक बड़ाइक (अलीपुरद्वार उम्मीदवार) और निर्मल चंद्र रॉय (जलपाईगुड़ी उम्मीदवार) उनकी पहली पसंद होंगे.
मतदान 19 अप्रैल को :इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान 19 अप्रैल को होगा. लेकिन परिणाम लगभग डेढ़ महीने बाद 4 जून को घोषित किया जाएगा. इसलिए हमें यह जानने के लिए 4 जून तक इंतजार करना होगा कि चाय श्रमिकों ने किसे समर्थन देने का फैसला किया है. लेकिन उससे पहले ईटीवी भारत ने चाय बागान श्रमिकों का मन टटोलने की कोशिश की.
श्रमिकों ने बताई व्यथा :चाय श्रमिक ज्योति ने कहा, 'तनख्वाह अच्छी नहीं है, लेकिन राशन की बदौलत हमारा गुजारा हो रहा है. अगर बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं तो भी ट्यूशन फीस देनी पड़ती है. हम इस वेतन में खर्च नहीं उठा सकते. सरकार पट्टा दे रही है. जो जमीन दे रहे हैं वह हमारे पास नहीं रहेगी. जमीन का जो टुकड़ा दिया जा रहा है उसमें एक घर भी होगा. हमारा बड़ा परिवार है... हम कैसे रहेंगे? जो सरकार हमें चला रही है, उसके नेता अच्छे नहीं हैं.'
एक अन्य चाय श्रमिक पचोला ने भी कहा, 'वे जो दे रहे हैं उसे सभी स्वीकार कर रहे हैं, हम भी स्वीकार कर रहे हैं. लेकिन परिवार नहीं चला सकते. हम ठीक हैं क्योंकि वे राशन दे रहे हैं. जो भी आए हमसे मिले और हमारी मदद करे.'
आशा मुंडा ने कहा, 'मतदान होना है... हम चाहते हैं कि बगीचा अच्छा हो. हम अपना मौका पाना चाहते हैं. हमें जो वेतन मिलता है उससे परिवार चलाना बहुत मुश्किल है. हम श्रमिकों के लिए कुछ अच्छा चाहते हैं. कई वादे धरे के धरे रह गए.'
चाय श्रमिक असीम रॉय ने कहा, 'मैं 41 वर्षों से चाय बागानों में काम कर रहा हूं, लेकिन अभी तक न्यूनतम मजदूरी नहीं मिल रही है. सड़क की हालत बहुत खराब है. चुनाव सामने हैं... आइए मतदान करें. हम सड़कें चाहते हैं. हमारा बगीचा फले-फूले. मैं यही चाहता हूं.'