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Watch : उत्तर बंगाल में चाय बागान श्रमिकों के फैसले पर टिकी उम्मीदवारों की किस्मत - voters in tea gardens of Bengal

voters in tea gardens of North Bengal : उत्तर बंगाल में सबसे बड़ा उद्योग चाय उद्योग है. चाय उद्योग से करीब साढ़े तीन लाख श्रमिक जुड़े हुए हैं. लोकसभा चुनाव में न्यूनतम मजदूरी का मुद्दा हावी है. ऐसे में इन करीब साढ़े तीन लाख श्रमिकों के फैसले पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला टिका है.

Etv Bharatvoters in tea gardens of North Bengal
चाय बागान श्रमिक

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 11, 2024, 8:24 PM IST

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जलपाईगुड़ी : चुनाव आते हैं, बीत जाते हैं लेकिन वादे अधूरे रह जाते हैं. चाय बागान श्रमिकों की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है. चाय बागान श्रमिक अभी भी न्यूनतम मजदूरी की मांग लेकर भटक रहे हैं. वे इस उम्मीद में फिर से मतदान केंद्रों पर कतार में लगेंगे कि लंबे समय से चली आ रही मांग शायद पूरी हो जाएगी.

उत्तर बंगाल में सबसे बड़ा उद्योग चाय उद्योग है. चाय उद्योग से करीब साढ़े तीन लाख श्रमिक जुड़े हुए हैं. जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार लोकसभा क्षेत्रों में चाय बागानों की संख्या सबसे अधिक है. लोकसभा चुनाव में मालबाजार, बानरहाट, कालचीनी, मदारीहाट-वीरपाड़ा, नागराकाटा, कुमारग्राम सहित कई ब्लॉकों में उम्मीदवारों की किस्मत काफी हद तक चाय श्रमिकों के वोटों पर निर्भर करेगी.

2019 के लोकसभा चुनाव में अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी चाय बेल्ट के मतदाताओं ने भाजपा को आशीर्वाद दिया था. 2021 के विधानसभा चुनाव में भी वह समर्थन अटूट था. क्या चाय बागान कर्मचारी भाजपा के मनोज तिग्गा (अलीपुरद्वार के उम्मीदवार), जयंतकुमार रॉय (जलपाईगुड़ी के उम्मीदवार) को वोट देंगे? या फिर तृणमूल के प्रकाश चिक बड़ाइक (अलीपुरद्वार उम्मीदवार) और निर्मल चंद्र रॉय (जलपाईगुड़ी उम्मीदवार) उनकी पहली पसंद होंगे.

मतदान 19 अप्रैल को :इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान 19 अप्रैल को होगा. लेकिन परिणाम लगभग डेढ़ महीने बाद 4 जून को घोषित किया जाएगा. इसलिए हमें यह जानने के लिए 4 जून तक इंतजार करना होगा कि चाय श्रमिकों ने किसे समर्थन देने का फैसला किया है. लेकिन उससे पहले ईटीवी भारत ने चाय बागान श्रमिकों का मन टटोलने की कोशिश की.

श्रमिकों ने बताई व्यथा :चाय श्रमिक ज्योति ने कहा, 'तनख्वाह अच्छी नहीं है, लेकिन राशन की बदौलत हमारा गुजारा हो रहा है. अगर बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं तो भी ट्यूशन फीस देनी पड़ती है. हम इस वेतन में खर्च नहीं उठा सकते. सरकार पट्टा दे रही है. जो जमीन दे रहे हैं वह हमारे पास नहीं रहेगी. जमीन का जो टुकड़ा दिया जा रहा है उसमें एक घर भी होगा. हमारा बड़ा परिवार है... हम कैसे रहेंगे? जो सरकार हमें चला रही है, उसके नेता अच्छे नहीं हैं.'

एक अन्य चाय श्रमिक पचोला ने भी कहा, 'वे जो दे रहे हैं उसे सभी स्वीकार कर रहे हैं, हम भी स्वीकार कर रहे हैं. लेकिन परिवार नहीं चला सकते. हम ठीक हैं क्योंकि वे राशन दे रहे हैं. जो भी आए हमसे मिले और हमारी मदद करे.'

आशा मुंडा ने कहा, 'मतदान होना है... हम चाहते हैं कि बगीचा अच्छा हो. हम अपना मौका पाना चाहते हैं. हमें जो वेतन मिलता है उससे परिवार चलाना बहुत मुश्किल है. हम श्रमिकों के लिए कुछ अच्छा चाहते हैं. कई वादे धरे के धरे रह गए.'

चाय श्रमिक असीम रॉय ने कहा, 'मैं 41 वर्षों से चाय बागानों में काम कर रहा हूं, लेकिन अभी तक न्यूनतम मजदूरी नहीं मिल रही है. सड़क की हालत बहुत खराब है. चुनाव सामने हैं... आइए मतदान करें. हम सड़कें चाहते हैं. हमारा बगीचा फले-फूले. मैं यही चाहता हूं.'

महेश बर्मन ने कहा, 'चाय बागान के मजदूर अच्छी स्थिति में नहीं हैं. हमारा न्यूनतम वेतन अभी भी नहीं है. सरकार में चाहे कोई भी हो, कुछ नहीं किया जा रहा है. मुझे नहीं पता कि भविष्य में न्यूनतम वेतन होगा या नहीं. न्यूनतम वेतन बेहतर होगा. राज्य सरकार द्वारा जमीन का पट्टा दिया गया लेकिन हमारे बगीचे में नहीं. हम कई महीनों से चाय बागान में हैं. मकान बनाने के लिए सरकारी पट्टे से समस्या का समाधान नहीं होगा. हमारी समस्या का कोई समाधान नहीं है. हमें न्यूनतम वेतन मिलना चाहिए. किसी ने हमारी बात नहीं सुनी.'

ये बोले- केंद्रीय मंत्री जॉन बारला :वोट के लिए प्रचार में चाय श्रमिकों का रुख राजनीतिक नेता भी महसूस कर रहे हैं. चाय श्रमिकों का समर्थन पाने के लिए वह क्या रणनीति अपना रहे हैं? इस पर केंद्रीय मंत्री जॉन बारला से चर्चा हुई. 2019 में अलीपुरद्वार से जीतने के बाद बारला केंद्रीय मंत्री हैं. हालांकि, बारला चाय श्रमिकों की शिकायतों को लेकर आशावादी हैं. उनका मानना ​​है कि इस बार भी अलीपुरद्वार के चाय श्रमिक भाजपा उम्मीदवार मनोज तिग्गा का समर्थन करेंगे.

वहीं, विपक्ष द्वारा बीजेपी पर चाय श्रमिकों को वंचित करने के आरोप पर जॉन बारला ने कहा, 'कौन क्या कह रहा है ये देखने की जरूरत नहीं है. मैं क्या करूंगा इस पर नजर रखता हूं. लोग विकास के लिए वोट करते हैं. इसलिए बहस करने का कोई मतलब नहीं है... इसलिए हम अपने काम पर ध्यान केंद्रित करते हैं.'

टीएमसी नेता ये बोले :दूसरी ओर अलीपुरद्वार के तृणमूल उम्मीदवार प्रकाश चिक बड़ाईक कहते हैं, 'हमने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी से चाय बागानों में जो काम करने को कहा था, वह किया गया है.'

उन्होंने कहा कि चाय बागान क्षेत्रों में श्रमिकों के इलाज के लिए बुनियादी ढांचे को पहले से बेहतर बनाया गया है. उन्होंने दावा किया कि भूमि पट्टे की मांग 200 वर्षों से चली आ रही है. राज्य सरकार ने उस मांग को पूरा कर दिया है. कल और भी काम किए जाएंगे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अलीपुरद्वार चुनाव जीतने के बाद भी बीजेपी के जान बारला ने कोई काम नहीं किया.

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