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आय से अधिक संपत्ति मामले में तमिलनाडु के मंत्री के पोनमुडी की सजा पर SC की रोक - SC relief to Ponmudi in assets case

सुप्रीम कोर्ट ने अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराए जाने पर तमिलनाडु के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी की सजा को निलंबित कर दिया.

SC stays conviction of Tamil Nadu Minister K Ponmudi in disproportionate assets case
सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में तमिलनाडु के मंत्री के पोनमुडी की सजा पर लगाई रोक

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 11, 2024, 4:42 PM IST

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी की सजा पर रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने उनकी पत्नी पी. विशालाक्षी की सजा भी निलंबित कर दी. पूर्व मंत्री और उनकी पत्नी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि श्री पोनमुडी को सजा और दोषसिद्धि दोनों पर रोक मिल गई है, और उनकी पत्नी को सजा पर रोक मिल गई है.

पूर्व मंत्री और उनकी पत्नी की तरफ से एडवोकेट पुलकित तारे ने शीर्ष अदालत के फैसले को बताते हुए कहा कि यह दोषसिद्धि को उलटने का मामला है, इसलिए मामले को उचित संदेह से परे निपटाया जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस मामले में व्यापक जनहित भी शामिल है क्योंकि पोनमुडी एक निर्वाचित उम्मीदवार हैं और फिर से चुनाव कराना होगा.

इस साल जनवरी में शीर्ष अदालत ने उन्हें मामले में आत्मसमर्पण करने से छूट दे दी थी. पूर्व मंत्री और उनकी पत्नी को अभी तक कैद नहीं किया गया है क्योंकि उच्च न्यायालय ने उन्हें शीर्ष अदालत में जाने की अनुमति देने के लिए उनकी सजा को निलंबित कर दिया था.

बता दें, पिछले साल दिसंबर में, मद्रास उच्च न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री और उनकी पत्नी विशालाची को तीन साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी. 1967 में द्रमुक के सत्ता में आने के बाद पहली बार, पार्टी के किसी मौजूदा मंत्री को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई है. पोनमुडी को दोषी ठहराए जाने पर तत्काल अयोग्यता का सामना करना पड़ा क्योंकि यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(1) के तहत था.

मामले की दूसरी आरोपी पोनमुडी की पत्नी पी. विशालाक्षी को भी ऐसी ही सजा मिली. न्यायाधीश ने सजा को 30 दिनों के लिए निलंबित कर दिया ताकि वे सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकें. 72 वर्षीय पोनमुडी और उनकी पत्नी दोनों ने अपने मेडिकल रिकॉर्ड जमा किए और कम सजा की अपील की.

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