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भारत से भी जल्द वापस भेजे जाएंगे अवैध घुसपैठिए, डेडलाइन तय - SUPREME COURT ON ILLEGAL IMMIGRANTS

सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को फटकार लगाई, कहा- विदेशी नागरिकों को वापस भेजने के लिए किस मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (INAS)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 25, 2025, 2:45 PM IST

Updated : Feb 25, 2025, 2:51 PM IST

नई दिल्ली:असम के ट्रांजिट कैंपों में हिरासत में लिए गए 270 विदेशी नागरिकों के निर्वासन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सख्त रुख अपनाया. अदालत ने अपने पहले के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान, अदालत ने 21 मार्च की डेडलाइन तय करते हुए कहा कि अब और समय नहीं दिया जाएगा.

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले पर विचार-विमर्श जारी रहने और अतिरिक्त समय की आवश्यकता की बात कही. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल की अपील पर सुनवाई स्थगित कर दी. इससे पहले, बेंच ने कहा था कि विदेशियों के निर्वासन के मुद्दे को उच्चतम स्तर पर निपटाया जा रहा है और यदि संभव हो, तो सरकार इस संबंध में आधिकारिक फैसले को रिकॉर्ड में दर्ज करे.

सुप्रीम कोर्ट विदेशियों को निर्वासित करने के बजाय अनिश्चितकाल तक कैद में रखने को लेकर पहले भी असम सरकार को फटकार लगा चुका है. अदालत ने सरकार से सवाल पूछा था कि क्या वह इन लोगों को वापस भेजने के लिए किसी 'मुहूर्त' का इंतजार कर रही है. पीठ ने यह भी कहा था कि असम सरकार तथ्यों को छिपा रही है और हिरासत में लिए गए लोगों के विदेशी होने की पुष्टि होते ही उन्हें तत्काल निर्वासित कर दिया जाना चाहिए.

SC बोला- क्या किसी मुहूर्त का कर रहे इंतजार?
अदालत ने असम सरकार की इस सफाई पर आश्चर्य जताया था कि वह विदेश मंत्रालय को राष्ट्रीयता सत्यापन फॉर्म इसलिए नहीं भेज रही है, क्योंकि विदेश में बंदियों का पता ज्ञात नहीं है. इस पर अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, ‘आपने यह कहकर निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करने से इनकार कर दिया कि उनके पते ज्ञात नहीं हैं. यह हमारी चिंता क्यों होनी चाहिए? आप उन्हें उनके देश भेज दें. क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?’

शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को अब तक निर्वासित किए गए लोगों का विवरण देने का भी निर्देश दिया है. इसके साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि सरकार आगे इस तरह के बंदियों के मामले में कैसे निपटेगी, जिनकी राष्ट्रीयता अज्ञात है.

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Last Updated : Feb 25, 2025, 2:51 PM IST

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