नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि, जादू-टोना के आरोप में एक महिला के साथ सार्वजनिक रूप से शारीरिक दुर्व्यवहार और उसके कपड़े उतरवाने की घटना से उसकी अंतरात्मा हिल गई है. कोर्ट ने कहा कि, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के मामले में समानता की बात करें तो अभी बहुत कुछ हासिल किया जाना बाकी है.
सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट द्वारा मामले की जांच पर रोक लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. यह घटना मार्च 2020 में बिहार के चंपारण जिले में हुई थी. 13 लोगों पर शिकायतकर्ता की दादी पर जादू टोना करने का आरोप लगाते हुए हमला करने का आरोप लगाया गया था.
उन्होंने बीच बचाव करने आई एक अन्य महिला पर भी हमला किया. 13 लोगों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और डायन अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की, जिस पर मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लिया. हालांकि, आरोपियों द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए ट्रायल कोर्ट को प्रतिदिन सुनवाई करने के निर्देश दिए और आरोपियों को 15 जनवरी, 2025 को पेश होने का निर्देश दिया.
मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति संजय करोल की बेंच ने कहा कि, समाज में व्यक्ति के अस्तित्व के मूल में गरिमा का होना बहुत जरूरी है और किसी अन्य व्यक्ति या राज्य के कृत्य से उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली कोई भी कार्रवाई संविधान की भावना के खिलाफ जा सकती है, जो यह सुनिश्चित करके सभी व्यक्तियों की सुरक्षा की गारंटी देता है कि, प्रत्येक व्यक्ति के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित की जाए.