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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति मामले में 4 फरवरी को अगली सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने की यह टिप्पणी - SUPREME COURT

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 4 फरवरी को निर्धारित की है.

Supreme Court observation on selection of CEC and EC
सुप्रीम कोर्ट (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 8, 2025, 4:16 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि 2023 के कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह अदालत की राय बनाम कानून बनाने की विधायी शक्ति होगी. यह मामला जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ के समक्ष आया.

एक एनजीओ की पैरवी करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि शीर्ष अदालत ने अपने मार्च 2023 के फैसले में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सीजेआई को शामिल करते हुए एक पैनल का गठन किया था. दिसंबर 2023 में, केंद्र सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और पदावधि) अधिनियम, 2023 को अधिनियमित किया. नए कानून ने सीईसी और ईसी के चयन के लिए गठित किए जाने वाले पैनल में भारत के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक कैबिनेट मंत्री को शामिल किया है, जो सीधे तौर पर शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए फैसले के विपरीत है.

बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने पीठ के समक्ष दलील दी कि मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो जाएंगे और नए कानून के तहत नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की जाएगी. उन्होंने मामले में सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की. भूषण ने कहा कि सरकार ने चयन समिति से मुख्य न्यायाधीश को हटा दिया है और समिति में प्रधानमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, विपक्ष के नेता या लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता शामिल होंगे.

वहीं, याचिकाकर्ताओं में से एक की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क दिया कि सरकार ने मार्च के फैसले के आधार को नहीं हटाया और नया कानून बनाया. भूषण ने जोर देकर कहा कि अगर सरकार चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को नियंत्रित करती है तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा होगा.

दलीलें सनने के बाद पीठ ने मामले में अगली सुनवाई 4 फरवरी को निर्धारित करते हुए कहा, "यह सुनवाई अनुच्छेद 141 के तहत न्यायालय की राय बनाम कानून बनाने की विधायी शक्ति होगी." पीठ ने कहा कि वह देखेगी कि किसके विचार सर्वोच्च हैं.

पिछले वर्ष मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने नए कानून के तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था तथा नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी थी.

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