नई दिल्ली : सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत प्रदान की है. कोर्ट ने उन आरोपों को सही नहीं ठहराया है, जिनमें कहा गया था कि उनके आश्रम में बिना मर्जी के दो लड़कियां रह रही हैं. मद्रास हाईकोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच का आदेश देना अनुचित था.
दरअसल, दोनों लड़कियों के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि ईशा फाउंडेशन ने जबरदस्ती उनकी बेटियों को अपने यहां रखा हुआ है. उन्होंने हेबियस कॉर्पस दाखिल किया था. हाईकोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को पूरे मामले में जांच के आदेश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ ईशा फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया. इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की.
याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में दोनों लड़कियों को पेश किया गया. उन्होंने अदालत के सामने कहा कि वे अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं. इस मामले पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि दोनों लड़कियां बालिग हैं, लिहाजा उन पर किसी की मर्जी नहीं थोपी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने भी कहा है कि वे अपनी मर्जी से रह रही हैं.
सीजेआई ने कहा कि अगर पिता को लगता है कि उन्हें बेटी से मिलना है, या कोई बात करनी है, तो उनका विश्वास जीतने की कोशिश करें, न कि याचिका लगाकर कोई दबाव बनाएं. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले से इतर अगर ईशा फाउंडेशन के खिलाफ कोई अन्य मामला है, तो इस समय वह उन मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.