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सद्गुरु को मिली बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन पर लगे आरोपों को सही नहीं ठहराया - SADHGURU AND ISHA FOUNDATION

ईशा फाउंडेशन पर लगे आरोप सही नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा- संस्था के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं.

Sadhguru
सद्गुरु (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 18, 2024, 1:42 PM IST

Updated : Oct 18, 2024, 6:04 PM IST

नई दिल्ली : सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत प्रदान की है. कोर्ट ने उन आरोपों को सही नहीं ठहराया है, जिनमें कहा गया था कि उनके आश्रम में बिना मर्जी के दो लड़कियां रह रही हैं. मद्रास हाईकोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच का आदेश देना अनुचित था.

दरअसल, दोनों लड़कियों के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि ईशा फाउंडेशन ने जबरदस्ती उनकी बेटियों को अपने यहां रखा हुआ है. उन्होंने हेबियस कॉर्पस दाखिल किया था. हाईकोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को पूरे मामले में जांच के आदेश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ ईशा फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया. इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की.

याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में दोनों लड़कियों को पेश किया गया. उन्होंने अदालत के सामने कहा कि वे अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही हैं. इस मामले पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि दोनों लड़कियां बालिग हैं, लिहाजा उन पर किसी की मर्जी नहीं थोपी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने भी कहा है कि वे अपनी मर्जी से रह रही हैं.

सीजेआई ने कहा कि अगर पिता को लगता है कि उन्हें बेटी से मिलना है, या कोई बात करनी है, तो उनका विश्वास जीतने की कोशिश करें, न कि याचिका लगाकर कोई दबाव बनाएं. कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले से इतर अगर ईशा फाउंडेशन के खिलाफ कोई अन्य मामला है, तो इस समय वह उन मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.

ईशा फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईशा फाउंडेशन में आतंरिक शिकायत कमेटी का होना जरूरी है और संस्था को इस पर विचार करना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि फाउंडेशन के खिलाफ अगर पुलिस जांच कर रही है, और वह कोई अन्य मामला है, तो वह पहले की तरह जांच करती रहेगी.

सीजेआई ने यह भी कहा कि पहले इन दोनों लड़कियों की मां ने इसी तरह की याचिका दाखिल की थी, और अब पिता उसी तरह की याचिका लगा रहे हैं. मां ने आठ साल पहले ऐसी याचिका लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों महिलाएं अपनी मर्जी से रह रही हैं, यह निजता का सवाल है.

आपको बता दें कि तमिलनाडु के एक रिटायर्ड प्रोफेसर एस. कामराज ने ईशा फाउंडेशन पर आरोप लगाया था कि उनकी दोनों बेटियों को वहां पर जबरन रखा गया है. उन्हें इस तरह का खाना दिया जा रहा है, जिससे उनके सोचने की शक्ति खत्म हो रही है. हाईकोर्ट में दाखिल उनकी याचिक पर कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को जांच के आदेश दिए थे. एक अक्टूबर को सौ से अधिक पुलिसकर्मी आश्रम में पहुंचे थे. उसके बाद ईशा फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया.

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Last Updated : Oct 18, 2024, 6:04 PM IST

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