नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 9 अतिरिक्त न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीशों के रूप में की है. कॉलेजियम, जिसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल हैं, ने 13 अगस्त को जारी एक प्रस्ताव में न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी, मनीष कुमार निगम, अनीश कुमार गुप्ता, नंद प्रभा शुक्ला, क्षितिज शैलेंद्र, विनोद दिवाकर, प्रशांत कुमार, मंजीव शुक्ला और अरुण कुमार सिंह देशवाल, अतिरिक्त न्यायाधीशों को मौजूदा रिक्तियों के विरुद्ध इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए जाने की सिफारिश की.
प्रस्ताव में कहा गया है कि 28 मई 2024 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से 9 अतिरिक्त न्यायाधीशों की संस्तुति की है. इसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने भी संस्तुति पर सहमति जताई है. कॉलेजियम ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के 26 अक्टूबर 2017 के प्रस्ताव के अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की समिति ने उपरोक्त नामित अतिरिक्त न्यायाधीशों के निर्णयों का मूल्यांकन किया है."
कॉलेजियम ने यह भी कहा, "स्थायी न्यायाधीशों के रूप में उनकी नियुक्ति के लिए उपरोक्त नामित अतिरिक्त न्यायाधीशों की योग्यता और उपयुक्तता का आकलन करने के उद्देश्य से, कॉलेजियम ने परामर्शदाता-सहकर्मियों की राय और निर्णय मूल्यांकन समिति की रिपोर्ट सहित रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री की जांच और मूल्यांकन किया है." एक अलग प्रस्ताव में, कॉलेजियम ने गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए तीन अधिवक्ताओं संजीव जयेंद्र ठाकर, दीप्तेंद्र नारायण रे और मौलिक जितेंद्र शेलाट के नामों की भी सिफारिश की.
22 दिसंबर 2023 को गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने अपने दो वरिष्ठतम सहयोगियों के परामर्श से उक्त अधिवक्ताओं के नामों की सिफारिश उस उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए की. मुख्यमंत्री और गुजरात राज्य के राज्यपाल ने उपरोक्त सिफारिश पर अपने विचार व्यक्त नहीं किए हैं.
ठाकर के बारे में कॉलेजियम ने कहा कि, “चार परामर्शदाता न्यायाधीशों में से तीन ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए उम्मीदवार की उपयुक्तता पर सकारात्मक राय दी है और एक ने कोई राय नहीं दी है. फाइल में न्याय विभाग द्वारा दिए गए इनपुट से संकेत मिलता है कि उम्मीदवार की व्यक्तिगत और पेशेवर छवि अच्छी है और उसकी ईमानदारी के संबंध में कोई प्रतिकूल बात सामने नहीं आई है."