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कर्नाटक: दलित महिला की हत्या के 14 साल बाद 21 को आजीवन कारावास

तुमकुरु तृतीय जिला एवं सत्र न्यायालय ने दलित महिला के साथ दुर्व्यवहार और हत्या के मामले में 21 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

Dalit woman murder and caste abuse
प्रतीकात्मक तस्वीर. (Getty Image)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 22, 2024, 9:54 AM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक में 14 साल की कानूनी लड़ाई को समाप्त करते हुए तुमकुरु की एक अदालत ने गुरुवार को 21 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इन 21 दोषियों में दो महिलाएं भी शामिल हैं. इनके खिलाफ 2010 में 45 वर्षीय दलित महिला की हत्या का आरोप सिद्ध हो गया है.

तुमकुरु जिले के गोपालपुरा के सभी निवासी दोषियों पर तीसरे अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय के न्यायाधीश ए नागी रेड्डी ने 13,500-13,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया. पुलिस ने 27 लोगों पर हत्या का आरोप लगाया था, लेकिन मुकदमे के दौरान छह संदिग्धों की मौत हो गई. आर होनम्मा उर्फ धाबा होनम्मा की 28 जून, 2010 को गोपालपुरा में हत्या कर दी गई थी. 27 घावों के साथ उसका शव एक नाले में मिला था, जिससे समुदाय में हड़कंप मच गया था.

होनम्मा, जिन्होंने दो ग्राम पंचायत चुनावों में असफलता हासिल की थी, एक मंदिर बनाने की योजना बना रही थीं - एक ऐसा कदम जिसने कथित तौर पर कई साथी ग्रामीणों को नाराज कर दिया था. अपनी योजना के तहत उसने अपने घर के बाहर लकड़ी के लट्ठे जमा कर रखे थे, जिन्हें बाद में चुरा लिया गया. जब होनम्मा ने कुछ ग्रामीणों के नाम लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, तो तनाव की स्थिति घातक प्रतिद्वंद्विता में बदल गई.

सरकारी वकील बीएस ज्योति ने कहा कि स्थिति तब हिंसक हो गई जब 25 से अधिक ग्रामीणों की भीड़ ने होनम्मा पर हमला किया, जब वह रात में हुलियार गांव से घर लौट रही थी. समूह ने उस पर पत्थरों से हमला किया और उसके शव को नाले में फेंक दिया. उसके करीबी रिश्तेदारों सहित गवाहों ने इस घटना को खौफनाक रूप से देखा, वे हस्तक्षेप करने में असमर्थ थे.

बाद में एक सब-इंस्पेक्टर सहित दो पुलिस अधिकारियों को कर्तव्य में लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया. ज्योति ने कहा कि 32 गवाह थे. ज्योति ने कहा कि होनम्मा के दो करीबी रिश्तेदारों सहित प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों ने सजा को सुरक्षित करने में मदद की. साथ ही, अदालत के सामने गवाही देने वाले कुछ ग्रामीणों ने भी अपनी बात पर अड़े रहे.

दोषियों में रंगनाथ, मंजुला, थिम्मराजू, राजू (देवराजू), श्रीनिवास, अनादस्वामी, वेंकटस्वामी, वेंकटेश, नागराजू, राजप्पा, हनुमंथैया, गंगाधर (गंगन्ना), नंजुंदैया, सत्यप्पा, सतीश, चंद्रशेखर, रंगैया, उमेश, चन्नम्मा, मंजू और स्वामी (मोहन कुमार) शामिल हैं.

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तुमकुरु जिले के गोपालपुरा के सभी निवासी दोषियों पर तीसरे अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय के न्यायाधीश ए नागी रेड्डी ने 13,500-13,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया. पुलिस ने 27 लोगों पर हत्या का आरोप लगाया था, लेकिन मुकदमे के दौरान छह संदिग्धों की मौत हो गई. आर होनम्मा उर्फ धाबा होनम्मा की 28 जून, 2010 को गोपालपुरा में हत्या कर दी गई थी. 27 घावों के साथ उसका शव एक नाले में मिला था, जिससे समुदाय में हड़कंप मच गया था.

होनम्मा, जिन्होंने दो ग्राम पंचायत चुनावों में असफलता हासिल की थी, एक मंदिर बनाने की योजना बना रही थीं - एक ऐसा कदम जिसने कथित तौर पर कई साथी ग्रामीणों को नाराज कर दिया था. अपनी योजना के तहत उसने अपने घर के बाहर लकड़ी के लट्ठे जमा कर रखे थे, जिन्हें बाद में चुरा लिया गया. जब होनम्मा ने कुछ ग्रामीणों के नाम लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, तो तनाव की स्थिति घातक प्रतिद्वंद्विता में बदल गई.

सरकारी वकील बीएस ज्योति ने कहा कि स्थिति तब हिंसक हो गई जब 25 से अधिक ग्रामीणों की भीड़ ने होनम्मा पर हमला किया, जब वह रात में हुलियार गांव से घर लौट रही थी. समूह ने उस पर पत्थरों से हमला किया और उसके शव को नाले में फेंक दिया. उसके करीबी रिश्तेदारों सहित गवाहों ने इस घटना को खौफनाक रूप से देखा, वे हस्तक्षेप करने में असमर्थ थे.

बाद में एक सब-इंस्पेक्टर सहित दो पुलिस अधिकारियों को कर्तव्य में लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया. ज्योति ने कहा कि 32 गवाह थे. ज्योति ने कहा कि होनम्मा के दो करीबी रिश्तेदारों सहित प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों ने सजा को सुरक्षित करने में मदद की. साथ ही, अदालत के सामने गवाही देने वाले कुछ ग्रामीणों ने भी अपनी बात पर अड़े रहे.

दोषियों में रंगनाथ, मंजुला, थिम्मराजू, राजू (देवराजू), श्रीनिवास, अनादस्वामी, वेंकटस्वामी, वेंकटेश, नागराजू, राजप्पा, हनुमंथैया, गंगाधर (गंगन्ना), नंजुंदैया, सत्यप्पा, सतीश, चंद्रशेखर, रंगैया, उमेश, चन्नम्मा, मंजू और स्वामी (मोहन कुमार) शामिल हैं.

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