जम्मू: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने जम्मू को कश्मीर से जोड़ने वाली करीब 2.5 किमी. लंबी जवाहर सुरंग के जीर्णोद्धार का काम लगभग पूरा कर लिया है. इस संबंध में बीआरओ ने जानकारी दी कि इस सुरंग में हाई क्वालिटी के निगरानी वाले उपकरण लगाए गए हैं. इससे सुरंग की सुरक्षा, संरक्षा और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के साथ ही वैकल्पिक मार्ग लंबे समय तक चालू रहेंगे. बता दें, यह सुरंग राष्ट्रीय राजमार्ग पर वैकल्पिक रुट के रूप में प्रयोग की जाती है.
760 बीआरटीएफ के कमांडर अमिया श्रीवास्तव ने बताया कि इस जवाहर सुरंग के अंदर बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के साथ-साथ सुरक्षा, संरक्षा और निगरानी को बढ़ाने पर हमारा ध्यान था. उन्होंने आगे कहा कि सुरंग के बुनियादी ढांचे, सुरक्षा उपायों और निगरानी प्रणालियों को काफी हाईटेक किया गया है. पिछले साल जुलाई में शुरू किए गए नवीनीकरण कार्य में सुरंग की सतह को दोनों तरफ कंक्रीट बिछाकर बेहतर बनाया गया है.
सुरंग की निगरानी के लिए वेंटिलेशन जेट पंखे और प्रकाश की उचित व्यवस्था सहित आधुनिक गैजेट लगाए गए हैं. परियोजना की कुल लागत ₹62.50 करोड़ थी और यह काम 18 महीने में पूरा हो गया है.
अमिया ने यह भी बताया कि सुरंगों में रिसाव की समस्या के कारण 2010 से ही नवीनीकरण की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जिससे सड़क की सतह को नुकसान पहुंच रहा था. इस समस्या का समाधान करने और सुरंग को आधुनिक बनाने के लिए, बीआरओ ने एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ईंधन टैंकर, एलपीजी सिलेंडर और विस्फोटक सामग्री ले जाने वाले वाहनों को नई सुरंग का उपयोग करने पर प्रतिबंध है. 1954 में एक जर्मन इंजीनियरिंग कंपनी द्वारा पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में 2,200 मीटर की ऊंचाई पर निर्मित यह सुरंग 2022 तक कश्मीर को शेष भारत से जोड़ने वाला एकमात्र मार्ग है.
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