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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा, ‘77 समुदायों को ओबीसी के रूप में नामित करने का आधार क्या?' - Naming 77 Communities as OBC - NAMING 77 COMMUNITIES AS OBC

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा 77 समुदायों, जिनमें से अधिकांस मुस्लिम हैं, उनको अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में नामित करने के अपने फैसले का आधार बताने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्देश जारी किए.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (फोटो - ANI Photo)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 5, 2024, 2:19 PM IST

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह 77 समुदायों, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं, को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में नामित करने के अपने फैसले का आधार बताए. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन तथा राज्य की सेवाओं में प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के पहलुओं पर किए गए सर्वेक्षण की प्रकृति को रिकॉर्ड पर लाने को कहा.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया और उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने की मांग करने वाली राज्य सरकार की याचिका पर भी नोटिस जारी किया. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने वर्गीकरण प्रक्रिया को अवैध घोषित किया था.

सीजेआई ने कहा कि "पश्चिम बंगाल राज्य इस न्यायालय के समक्ष हलफनामा दाखिल करेगा, जिसमें 77 समुदायों को ओबीसी के रूप में नामित करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया की व्याख्या की जाएगी…राज्य को विशेष रूप से स्पष्ट करना होगा: 1. सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के पहलुओं पर किए गए सर्वेक्षण की प्रकृति और राज्य की सेवाओं में प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता. 2. क्या 37 समुदायों के संबंध में 77 समुदायों की सूची में किसी भी समुदाय को ओबीसी के रूप में नामित करने से पहले पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग के साथ परामर्श की कमी थी."

सीजेआई ने कहा कि "क्या राज्य सरकार ने ओबीसी के उप-वर्गीकरण के संबंध में पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग के साथ कोई परामर्श किया था… राज्य को सर्वेक्षण की प्रकृति के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए… हम चाहते हैं कि राज्य हमारे सामने स्पष्टीकरण दे और हमने (उच्च न्यायालय के फैसले पर) रोक लगाने के लिए नोटिस जारी कर दिया है."

पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने की मांग की. उन्होंने तर्क दिया कि "मैं आरक्षण कैसे करूं? मेरे पास अब कोई रोस्टर नहीं है? अब कोई सूची नहीं है? इसका परिणाम यह है कि पूरे पश्चिम बंगाल में कोई आरक्षण नहीं है…"

उच्च न्यायालय के आदेश के बारे में जयसिंह ने कहा कि "यही कारण दिया जाता है कि आरक्षण धर्म के आधार पर किया जाता है! .... क्योंकि वे मुसलमान हैं… यही तर्क दिया जाता है." जयसिंह ने जोर देकर कहा कि "उच्च न्यायालय के फैसले में उठाए गए मुद्दों में से एक यह है कि राज्य सरकार ने जनगणना नहीं की, अब इस देश में जाति जनगणना नहीं होती है."

इस साल मई में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2010 से 77 समुदायों को दिए गए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम थे. उच्च न्यायालय ने वर्गीकरण प्रक्रिया को अवैध करार दिया था और राज्य को तत्काल प्रभाव से इन समुदायों के लोगों की नियुक्ति करने से रोक दिया था. हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि अब तक ओबीसी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्त किए गए लोगों को नहीं छुआ जाएगा. राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया.

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