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दुनिया में रोज 1500 लोग कर रहे हैं आत्महत्या, कैरियर-रिलेशनशिप और सोशल मीडिया के साथ नशा बना चुनौती, डॉक्टर प्रतिभा की बात सुनिए - World Suicide Cases

Suicide prevention tips from psychologist Dr Pratibha Sharma आज के इस दौड़ते भागते दौर में इंसान लगातार अकेला होता जा रहा है. यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में आत्महत्याओं के आंकड़े बढ़े हैं. एक आंकड़े के अनुसार दुनिया में रोजाना डेढ़ हजार से ज्यादा लोग अपनी जान दे रहे हैं. क्या है आज आत्महत्या के आंकड़ों के पीछे की वजह और क्या हैं इसके सबसे बड़े कारण. साथ ही कैसे अपने मन और मस्तिष्क को स्वस्थ रखें, जानिए इस खास रिपोर्ट में.

Suicide prevention
आत्महत्या के बढ़ते केस (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 5, 2024, 11:40 AM IST

Updated : Jun 5, 2024, 6:25 PM IST

आत्महत्या के बढ़ते केस (ETV Bharat)

देहरादून: दुनिया में आज की तारीख में फिजिकल हेल्थ से ज्यादा मानसिक स्वास्थ्य लोगों की ज्यादा बड़ी चिंता बन रहा है. मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्याओं पर शोध करने वाले मानक वर्ल्डोमीटर के अनुसार इस साल 2024 में अब तक 4 लाख 50 हजार सुसाइड हो चुके हैं. हर दिन औसतन 1573 लोग सुसाइड कर रहे हैं. साल 2019 के एक डाटा के अनुसार हर साल होने वाले सुसाइड में 22.6% सुसाइड खुद के कर्म से और 76% सुसाइड पारिवारिक उत्पीड़न की वजह से हुए हैं. भारत में यदि बात करें तो सुसाइड के आंकड़ों में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और कर्नाटक टॉप 4 राज्यों में से हैं. इन राज्यों में आत्महत्या के मामले ज्यादा देखने को मिले हैं.

युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत (Photo- ETV Bharat)

आत्महत्या के पीछे के कुछ बड़े कारण:पिछले 25 सालों से प्रैक्टिस कर रहीं वरिष्ठ साइकोलॉजिस्ट जो कि दून साइकोलॉजी केंद्र की डायरेक्टर भी हैं डॉक्टर प्रतिभा शर्मा बताती हैं कि आत्महत्या के पीछे मानसिक संतुलन बिगड़ना सबसे बेसिक वजह है. व्यक्ति जब डिप्रेशन में जाता है और उसका दिमाग अपना संतुलन खो देता है, तो वह आत्मघाती कदम उठाता है. इसके लिए डिप्रेशन, अकेलापन और मानसिक बीमारियां वजह बनती हैं. डॉ प्रतिभा शर्मा के अनुसार हमारे सामाजिक जीवन में कई ऐसी परिस्थितियों आती हैं, जब मानसिक दबाव बढ़ता है. यदि व्यक्ति उस मानसिक दबाव को मैनेज नहीं कर पता है, तो वह आत्मघाती कदम की ओर अग्रसर होता है. ऐसे में हमें अपने आसपास मौजूद उन सभी कारणों को पहचानना होगा और उसके संबंध समाधान भी ढूंढना होगा ताकि व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ रह सके. डॉक्टर का कहना है कि फिजिकल हेल्थ भी तभी संभव है, जब व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य बरकरार रहे.

डॉक्टर प्रतिभा शर्मा युवाओं को जागरूक करती हैं (Photo- ETV Bharat)

करियर, प्रेम संबंध, नशा, सोशल मीडिया युवाओं को दे रहे तनाव:युवाओं में खासतौर से डिप्रेशन, अवसाद के कारणों को जानने की हमने कोशिश की. कई युवाओं से भी हमने बातचीत की. युवाओं से बातचीत करने पर ये बात निकलकर सामने आयी कि मानसिक दबाव में करियर का प्रेशर, युवाओं में प्रेम संबंध, नशा, ड्रग एडिक्शन और सोशल मीडिया के एडिक्शन की वजह से लोग अक्सर मानसिक दबाव में चले जा रहे हैं. इसकी वजह से लगातार युवाओं में डिप्रेशन बढ़ रहा है.

सुसाइड के बढ़ते मामलों से दुनिया चिंतित (Photo- ETV Bharat)

इस पर समय रहते ध्यान ना दिया गया, तो यह व्यक्ति को अवसाद में ले जाता है. ये आत्मघाती केस के लिए पहले प्रतिकूल अवस्था है. डॉ प्रतिभा शर्मा के अनुसार उनके 25 साल के करियर में से पिछले कुछ सालों में कई मामले सामने आए हैं. इन मामलों में करियर में सक्सेसफुल होने का प्रेशर, घर वालों की महत्वाकांक्षाओं पर खरे उतरने का प्रेशर युवा के लिए बेहद मानसिक दबाव भरा रहता है. युवा पूरी मेहनत से अपने करियर बनाने को में लगा है. लेकिन परिस्थितियों उस के अनुकूल नहीं होती हैं तो वो तनाव में चला जाता है. इसके अलावा प्रेम संबंधों में भी अक्सर यूथ अपने मानसिक संतुलन को बिगाड़ देते हैं. इसी तरह से ड्रग्स एडिक्शन और सोशल मीडिया पर खास तौर से आज के दौर में तनाव बढ़ता है. स्क्रीन टाइम और स्क्रोलिंग के जरिए एंटरटेनमेंट सीकर होने की स्थिति में व्यक्ति अकेला होता जाता है. इसकी वजह से व्यक्ति लंबे समय तक सामाजिक तौर से कटे रहने पर अपने मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ सकता है.

वरिष्ठ साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रतिभा शर्मा (Photo- ETV Bharat)

मानसिक स्वास्थ्य पर जानें डॉक्टर की राय:सुसाइड और डिप्रेशन जैसे हालातों से बचने के लिए वरिष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रतिभा शर्मा का कहना है कि हमें सामाजिक और भौतिक जीवन में ज्यादा सम्मिलित रहना चाहिए. इसके लिए हमें अपने स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करना चाहिए. खासतौर से इसको लेकर अभिभावकों में भी उतनी ही जागरूकता होने की जरूरत है, जितनी कि बच्चों में जागरूकता की जरूरत है. डॉ प्रतिभा शर्मा के अनुसार इंसान एक सामाजिक व्यक्ति है. यदि यह समाज से उपेक्षित होत है तो निश्चित तौर से उसमें मानसिक विकार उत्पन्न होता है. इसलिए अभिभावकों को अपने बच्चों से खुलकर बात करनी चाहिए. किसी भी तरह से डिप्रेशन की स्थिति में काउंसलिंग और साइकोलॉजिस्ट को दिखाना बेहद जरूरी है. इसे नजरअंदाज करने पर बड़ा जोखिम उठाना पड़ सकता है.
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Last Updated : Jun 5, 2024, 6:25 PM IST

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