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छोटे बच्चों या गर्भवती महिलाओं ने की गलती, तो जवानी में भुगतनी पढ़ सकती है सजा, हो सकती हैं ये बीमारियां

गर्भावस्था के दौरान अधिक मीठा खाने से वयस्क होने पर डायबिटीज और ब्लेड प्रेशर की संभावना बढ़ जाती है.

गर्भावस्था के दौरान अधिक मीठा खाने से बचें
गर्भावस्था के दौरान अधिक मीठा खाने से बचें (Canva)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 4 hours ago

नई दिल्ली: क्या त्योहारों के मौसम में आपका फ्रिज मिठाइयों से भरा गया है? अगर हां, तो बेहतर होगा कि आप इन मिठाइयों को अपने बच्चों और गर्भवती महिलाओं से दूर रखें. दरअसल, एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल साइंस में पब्लिश एक स्टडी में कहा गया है कि बचपन में खासकर जीवन के पहले दो साल में मीठा खाने की आदत वयस्कों में डायबिटीज और बल्ड शुगर के जोखिम को बढ़ाती है.

अध्ययन में कहा गया है कि गर्भवती महिलाओं के बहुत ज्यादा चीनी खाने से यह समस्या बढ़ जाती है. स्टडी से पता चला है कि गर्भ में ज्यादा चीनी के संपर्क में आने वाले लोगों में वयस्क होने पर डायबिटीज और बल्ड शुगर जैसी बीमारियों के विकसित होने का जोखिम बहुत ज्यादा होता है.

बता दें कि यूनाइटेड किंगडम में 1953 में चीनी के राशनिंग के खत्म होने से पहले और बाद में 1951 और 1956 के बीच गर्भधारण करने वाले लगभग 60,000 लोगों से एकत्र किए गए डेटा का विश्लेषण करने के बाद परिणाम प्रकाशित किए गए थे. रिसर्चर ने एक बच्चे के गर्भधारण के 1000 दिनों के भीतर चीनी के संपर्क के प्रभाव की जांच की- जिसमें गर्भावस्था के 9 महीने और जीवन के पहले दो साल शामिल हैं.

यूनिवर्सिटी ऑफ साउथर्न कैलिफोर्निया के सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड सोशल रिसर्च के शोधकर्ताओं ने कहा कि प्रतिबंधों के दौरान चीनी का सेवन मौजूदा आहार दिशानिर्देशों के अनुरूप था, लेकिन राशनिंग समाप्त होने के बाद यह दोगुना हो गया.

यूके बायोबैंक के आंकड़ों का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि राशनिंग अवधि के दौरान गर्भधारण करने वाले और जन्म लेने वाले लोग, जिन्होंने बचपन में अधिक चीनी नहीं खाई, उनमें डायबिटीज होने का जोखिम 35 प्रतिशत कम था और उच्च ब्लड प्रेशर का जोखिम 20 प्रतिशत कम था.

इससे बीमारी की शुरुआत में भी दो से चार साल की देरी हुई, जिन माताओं ने गर्भावस्था के दौरान कम चीनी का सेवन किया, उनमें जोखिम एक तिहाई तक कम हो गया.

अध्ययन में क्या कहा गया है?
हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि बचपन के आहार को वयस्कों में पुरानी बीमारी से जोड़ा गया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अध्ययन इस बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करता है कि कैसे खराब आहार बहुत कम उम्र से ही मानव जीवन को प्रभावित कर सकता है. यह दर्शाता है कि गर्भाधान से लेकर जीवन के पहले दो वर्षों तक की अवधि कितनी महत्वपूर्ण है.

फोर्टिस सी-डीओसी हॉस्पिटल फॉर डायबिटीज एंड एलाइड साइंसेज के चेयरमैन डॉ. अनूप मिश्रा कहते हैं, "ब्रिटेन में चीनी राशनिंग अवधि से उत्पन्न एक प्राकृतिक प्रयोग प्रारंभिक जीवन में चीनी के संपर्क में आने वालों के बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करता है. निष्कर्षों में डायबिटीज में 35 प्रतिशत की कमी और राशनिंग के संपर्क में आने वालों में ब्लड प्रेशर में 20 प्रतिशत की कमी शामिल है, जो आज के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, चीनी के दुष्प्रभावों पर निरंतर बहस को देखते हुए."

शोधकर्ताओं ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लगाए गए चीनी प्रतिबंध आज के आहार संबंधी दिशा-निर्देशों के समान हैं. हालांकि, डॉ मिसरा का कहना है कि इसकी व्याख्या में सावधानी बरतने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, "इसकी व्याख्या में सावधानी बरतने की आवश्यकता है क्योंकि 1950 के दशक के आहार वातावरण में चीनी के अलावा कई पोषक तत्व शामिल थे - जो वर्तमान से काफी अलग हैं."

इस सीमा के बावजूद डॉ मिसरा कहते हैं कि भविष्य में इस तरह के अध्ययन को दोहराना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, जो इन निष्कर्षों को सभी आहार संबंधी विचारों में शामिल करने के महत्व को रेखांकित करता है.

प्रतिदिन कितनी चीनी लेनी चाहिए?
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिदिन खाने के लिए सुरक्षित चीनी की मात्रा आपके कुल कैलोरी सेवन, गतिविधि स्तर और अन्य कारकों पर निर्भर हो सकती है. सामान्य तौर पर सलाह दी जाती है कि अतिरिक्त चीनी से बचें और ऐसी चीनी का सेवन करने की कोशिश करें जो सब्जियों और फलों जैसे खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से मौजूद हो. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, प्रतिदिन इस्तेमाल की जाने वाली चीनी की अधिकतम मात्रा पुरुषों में 35 ग्राम और महिलाओं में 25 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए.

शोधकर्ताओं का कहना है कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों के आहार से चीनी को पूरी तरह से खत्म करने की जरूरत नहीं है, लेकिन अतिरिक्त चीनी की तुलना में प्राकृतिक चीनी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इसलिए जब आपकी दादी आपको सलाह देती हैं कि अपने बच्चे के दूध में एक चम्मच चीनी न डालें, तो आपको उनकी बात सुननी चाहिए.

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