पटना:भागीरथी देवीबिहार की उस भंगी समाज की इकलौती विधायक हैं, जिसका राजनीति में कोई बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं है. 1980 से राजनीति में सक्रिय भागीरथी देवी 2000 में पहली बार विधायक बनी थीं. उसके बाद से उन्हें लगातार पांच बार विधायक जनता ने चुना है. भागीरथी देवी विधायक बनने से पहले सफाईकर्मी के तौर पर काम करती थीं. सरल सहज स्वभाव ने जनता के बीच उन्हें लोकप्रिय बना दिया है.
महादलित वर्ग में बनाई अलग पहचान: भागीरथी देवी आज बिहार की राजनीति में एक अलग पहचान बना चुकी हैं. महादलित वर्ग से आने वाली भागीरथी देवी 1980 से राजनीति में काम कर रही हैं. गरीबों के लिए खासकर दलित महादलित समाज के लिए लड़ाई लड़ती रही हैं. महिला मोर्चा के बैनर के लिए 1991 में जेल की यात्रा कर चुकी हैं.
पश्चिम चंपारण के रामनगर से बीजेपी की विधायक:भागीरथी देवी 2000 से लेकर 2010 तक नरकटियागंज (पश्चिमी चंपारण) विधानसभा से चुनाव जीतती रही हैं. परिसीमन के बाद सीट का नाम बदलकर रामनगर हो गया और रामनगर से भी विधायक चुनी जा रही हैं. 2015 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ थे, उस समय भी भागीरथी देवी ने बिहार की राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी पूर्णमासी राम को बुरी तरह से पराजित किया था.
2019 में केंद्र सरकार ने दिया पद्मश्री अवार्ड: जनता के प्रति समर्पण और किए गए कामों के बदौलत ही केंद्र सरकार ने 2019 में भागीरथी देवी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया. भंगी समाज से आने वाले भागीरथी देवी बिहार की एकमात्र विधायक हैं. हमेशा भोजपुरी में ही बात करती हैं. विधानसभा में एक बार जब भोजपुरी में बोल रही थी तो विधानसभा अध्यक्ष भी भोजपुरी में बोलने लगे. प्यार मोहब्बत जिंदाबाद फिल्म में भी काम कर चुकी हैं. विनय बिहारी के निर्देशन में बनी फिल्म में 11 विधायको में भागीरथी देवी को भी एक रोल दिया गया था. 2022 में बगावती तेवर भी अपना चुकी हैं और पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दिया था.
सफाई कर्मी से शुरू हुआ था भागीरथी का सफर: भागीरथी देवी अत्यंत ही गरीब परिवार की महिला है जो ₹800 के महीने पर प्रखंड कार्यालय नरकटियागंज में सफाई कर्मी की नौकरी करती थीं, लेकिन गरीब मजदूर और घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए लगातार आवाज उठाती रही. भागीरथी जेल भी गईं और यही कारण है कि राजनीति में उनकी एंट्री हो सकी और बीजेपी ने उन्हें मौका दिया.
जा चुकी हैं कई बार जेल: राम मंदिर निर्माण के लिए निकाली गई रथ यात्रा में भी भागीरथी समस्तीपुर में जेल जा चुकी हैं. भागीरथी देवी का कहना है कि राजनीति में जब आए तो परिवार की तरफ से भी विरोध हुआ. पति ने काफी विरोध किया, लेकिन मैंने भी कह दिया कि आपको नहीं रखना है नहीं रखें, लेकिन हम राजनीति नहीं छोड़ेंगे. भागीरथी देवी विधानसभा हो या बाहर हर जगह भोजपुरी में बात करती हैं.
उठाती रही हैं जनता से जुड़े मुद्दे: बिहार विधानसभा सत्र के दौरान भागीरथी देवी हमेशा उपस्थित रहती हैं. शून्य काल में जनता का सवाल जरूर उठाती हैं. भागीरथी देवी की बात को विधानसभा अध्यक्ष भी गंभीरता से लेते रहे हैं. खासकर जब महिलाओं के उत्पीड़न और महादलित का मामला हो तो पार्टी भागीरथी देवी को कई मौकों पर अपनी बात रखने के लिए कहती है.
पार्टी में मिलता है सम्मान:भागीरथी देवी के निशाने पर आरजेडी रहती है. राजद शासन में महिलाओं की क्या स्थिति थी, कई बार उन्होंने सदन में इसे उठाया है. बीजेपी जब विपक्ष में थी उस समय विधानसभा अध्यक्ष के रवैया के खिलाफ सभी सदस्य सदन का वाक आउट कर गए थे. भागीरथी देवी को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर पैरेलल सदन विधानसभा पोर्टिको में चलाया गया था.
अपनाती रही हैं बागी तेवर: जब पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी जा रही थी तो जून 2022 में भागीरथी देवी ने भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा था कि महादलित होने के कारण संगठन में उनकी बात नहीं सुनी जाती है. हालांकि नरेंद्र मोदी को वह हमेशा भगवान बताती हैं. नीतीश कुमार जब पाला बदलकर फिर से एनडीए में वापस लौटे और सरकार के फ्लोर टेस्ट के दौरान इनका बागी तेवर खुलकर सामने आ गया था. हालांकि बाद में उस मामले को पार्टी ने आसानी से सलटा लिया.
मंत्री पद नहीं मिलने का मलाल: भागीरथी देवी को पार्टी के नेता भी बड़ा सम्मान देते हैं. लेकिन भागीरथी देवी को लंबे समय तक विधायक रहने के बाद भी सरकार में या संगठन में बड़ी जिम्मेवारी नहीं मिलने की कसक है. ऐसे खुलकर भागीरथी देवी इस पर कुछ नहीं बोलती हैं लेकिन इतना जरूर कह रही हैं कि सरकार में आगे बढ़ाने के लिए नरेंद्र मोदी, अमित शाह जो बड़े नेता हैं वही फैसला ले सकते हैं.
परिवार में कौन-कौन है?:भागीरथी देवी के पति ममीखन राउत रेलवे में काम करते थे, सेवानिवृत हो चुके हैं. भागीरथी देवी के पांच पुत्र हैं. एक पुत्री भी थी लेकिन उनका निधन हो गया. भागीरथी देवी के पति को राजनीति में बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं है और इसलिए जब भागीरथी देवी राजनीति में सक्रिय हुई तब उन्होंने कहा था कि परिवार को कौन देखेगा.