रांची:भारतीय संविधान ने आदिवासियों को कई अधिकार दिए हैं. अलग-अलग राज्यों ने भी इस समाज की रक्षा के लिए कई कानून बनाए हैं. इसके बावजूद आदिवासियों का शोषण हो रहा है. विकास के नाम पर जल, जंगल और जमीन से बेदखल किया जा रहा है. लिहाजा, आदिवासी समाज को संविधान से मिले अधिकार से परिचित कराने के लिए चर्चित तेलुगू फिल्म निर्माता आर.नारायण मूर्ति ने 'ये धरती हमारी ' नाम से एक फिल्म बनाई है.
इस फिल्म को झारखंड के आठ शहरों में 8 फरवरी को रिलीज किया जाएगा. फिल्म के निर्देशक आर.नारायण मूर्ति से ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने खास बातचीत की. उन्होंने इस फिल्म की खासियत और उद्देश्य से जुड़े सवालों का बेबाकी से जवाब दिया.
सवाल: आदिवासियों के अधिकार पर आधारित फिल्म 'ये धरती हमारी' की शूटिंग कहां हुई है और झारखंड में क्यों रिलीज करना चाह रहे हैं?
आर.नारायण मूर्ति का जवाब -इस फिल्म को झारखंड में इसलिए रिलीज किया जा रहा है क्योंकि यह फिल्म आदिवासियों के हक पर आधारित है. झारखंड आदिवासियों की भूमि है. यह भगवान बिरसा मुंडा का क्षेत्र है. भगवान बिरसा मुंडा से प्रेरणा लेकर सबसे पहले झारखंड में रिलीज करने की तैयारी की गई है.
सवाल: आपने आदिवासियों के अधिकार पर फोकस करते हुए फिल्म क्यों तैयार की, आदिवासियों की कौन सी बात आपको प्रभावित करती है?
आर.नारायण मूर्ति का जवाब- मेरा मानना है कि इस धरती पर अगर कोई असली बुद्धिस्ट है तो वो आदिवासी हैं. वो कभी धनी बनने की लालसा नहीं रखते. वे किसी को लूटने में विश्वास नहीं करते. वे सिर्फ शांति चाहते हैं. उनके लिए दो वक्त का भोजन काफी होता है. हमारे संविधान ने आदिवासियों की रक्षा के लिए कई अधिकार दिए हैं. फिर भी विकास के नाम पर उनका शोषण हो रहा है. उनकी जमीन लूटी जा रही है. इसलिए इस फिल्म में आदिवासी समाज के संघर्ष को दिखाया गया है.
सवाल: शिबू सोरेन ने आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ी है. क्या आप उनके बारे में जानते हैं?
आर.नारायण मूर्ति का जवाब -मैं शिबू सोरेन जी के नाम से वाकिफ हूं. उन्होंने आदिवासियों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है. मेरी मुलाकात राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी से भी हुई है. मैंने उनको 'ये धरती हमारी' फिल्म देखने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि वो इस फिल्म को जरूर देखेंगे और राज्यवासियों से फिल्म देखने की अपील भी करेंगे.