हैदराबाद: श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग परियोजना की परिकल्पना 1980 में की गई थी. खराब मौसम और काम की मुश्किल प्रकृति के कारण यह परियोजना अभी तक पूरी नहीं हुई. अभी भी परियोजना के बारे में जानने वाले लोगों का मानना है कि अगर कोई नई समस्या सामने नहीं आयी तो इसे पूरा होने में तीन साल और लगेंगे.
संयुक्त आंध्र प्रदेश सरकार ने 1990 में विदेशी तकनीक का उपयोग करके श्रीशैलम जलाशय के तट से कृष्णा जल खींचने के लिए एक सुरंग योजना पर काम करने का फैसला किया था. उस समय, यह अनुमान लगाया गया था कि 43 किलोमीटर लंबी सुरंग का काम आठ साल में पूरा हो जाएगा. परियोजना के तहत दो सुरंगें, एक हेड रेगुलेटर, दो लिंक नहरें, एक जलाशय और अन्य काम किए जाने हैं.
हालांकि 2005 में जीओ (सरकारी आदेश) जारी किया गया था. आंध्र प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 2,813 करोड़ रुपये की लागत से एसएलबीसी सुरंग परियोजना के निर्माण को मंजूरी दी थी. लेकिन वास्तविक काम 2007 में शुरू हुआ. पहले से यह तय किया गया था कि एक बार जब सुरंग खोदने वाली मशीन पूरी सुरंग खोद लेगी तो उसे सुरंग के अंदर ही छोड़ दिया जायेगा.
सुरंग खोदने के लिए यह मशीन अमेरिका से लाई गई थी. काम के बीच में ही टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) खराब हो गई. अधिकारियों ने टीबीएम की बियरिंग की मरम्मत करने की कोशिश की लेकिन वह ठीक नहीं की जा सकी. इसके बाद एक और मशीन अमेरिका से लाई गई. वह मशीन भी 1.5 किलोमीटर की खुदाई को बाद ठप बड़ गई. फिर से, एजेंसी ने एक और टीबीएम को काम पर लगाया.
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग परियोजना में फंसे हैं आठ लोग. (PTI)
इस बीच, कोविड के दौरान दूसरे देशों से ऑपरेटर और इंजीनियर अपने देश वापस चले गये. इस दौरान कांग्रेस ने भी तत्कालीन बीआरएस सरकार पर अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान पर्याप्त धन आवंटित नहीं करने का आरोप लगाया. 2018 में, तत्कालीन सीएम के चंद्रशेखर राव ने घोषणा की कि सुरंग का काम पूरा होने में तीन साल और लगेंगे. लेकिन अप्रत्याशित घटनाओं के कारण ऐसा नहीं हो सका.
कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद, तत्कालीन नलगोंडा जिले से ताल्लुक रखने वाले सिंचाई मंत्री एन उत्तम कुमार रेड्डी ने जिले को सिंचाई और पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए परियोजना को पूरा करने में काफी दिलचस्पी दिखाई. लेकिन, चार दिन पहले काम फिर से शुरू होने के बाद सुरंग में हादसा हो गया.
इंफो ग्राफिक्स के माध्यम से समझें क्या है एसएलबीसी सुरंग परियोजना. (ETV Bharat GFX)
बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस परियोजना के पहले हिस्से में 43.93 किलोमीटर लंबी पहली सुरंग (सुरंग-1) का निर्माण 9.2 मीटर की रेडियस के साथ किया जाना था. इसके लिए केंद्र सरकार ने 1,925 करोड़ रुपए दिए. इसमें 33.35 किलोमीटर का काम किया जा चुका है. सिंचाई विभाग के अनुसार श्रीशैलम परियोजना के ऊपरी हिस्से पर 43.93 किलोमीटर लंबी पहली सुरंग (सुरंग-1) का निर्माण 9.2 मीटर की रेडियस के साथ किया जाना था.
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग परियोजना में फंसे हैं आठ लोग. (PTI)
इसके लिए केंद्र सरकार ने 1,925 करोड़ रुपए दिए. इसमें नागरकुरनूल ज़िले के अमराबाद मंडल के डोमलापेंटा में 33.35 किलोमीटर का काम किया जा चुका है. सुरंग का काम अचम्पेटा मंडल के मन्नेवारी पल्ली में पूरा किया जाना है. अभी इसमें 9.56 किलोमीटर सुरंग का निर्माण होना बाकी है. इसके अलावा 8.75 मीटर रेडियस वाली 7.13 किलोमीटर लंबी एक अन्य सुरंग (सुरंग-2) का निर्माण पूरा हो चुका है.
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग परियोजना में फंसे हैं आठ लोग. (PTI)
यह सुरंग नालगोंडा जिले के चंदमपेट मंडल में तेलदेवरापल्ली से नेरेदुगोम्मा तक स्थित है. इस सुरंग के लिए इनलेट और आउटलेट दोनों तरफ से काम किया गया है. इस परियोजना की परिकल्पना करीब चार दशक पहले 1978 में की गई थी. तब के आंध्रप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चेन्ना रेड्डी ने इस परियोजना की संभावनाओं का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया था.
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग परियोजना में फंसे हैं आठ लोग. (PTI)
समिति ने सर्वेक्षण कराने और सुरंग के माध्यम से पानी की दिशा मोड़ने का सुझाव दिया. इसके बाद साल 1980 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अंजैया ने अक्कम्मा क्रेटर पर एक सुरंग के निर्माण की आधारशिला रखी थी. तत्कालीन सरकार ने इस परियोजना के लिए 3 करोड़ रुपये भी आवंटित किए थे. साल 1983 में सीएम बनने के बाद एनटीआर सीएम बने और लेफ्ट बैंक नहर और राइट बैंक नहर की आधारशिला रखी थी.
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग परियोजना में फंसे हैं आठ लोग. (PTI)
बाद में साल 1995 में सरकार को लगा कि सुरंग के निर्माण में देरी हो रही है, इसलिए उन्होंने विकल्प के रूप में नालगोंडा जिले के पुट्टंगंडी से एक लिफ्ट सिंचाई योजना का प्रस्ताव रखा और इस परियोजना को अपनाया गया. इसे एलिमिनेटी माधव रेड्डी लिफ्ट सिंचाई योजना नाम दिया गया. श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कनाल परियोजना में लगातार हो रही देरी की वजह से विकल्प के तौर पर अपनाया गया है.
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग परियोजना में फंसे हैं आठ लोग. (PTI)
इसका इस्तेमाल पुट्टंगंडी से पानी को मोड़ने और संयुक्त नालगोंडा जिले के लिए सिंचाई और पेयजल के साथ-साथ हैदराबाद की पेयजल जरूरतों के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट में परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि एसएलबीसी परियोजना साल 2010 तक पूरी हो जानी चाहिए थी. अब तक परियोजना के पूरा होने की समयसीमा को छह बार आगे बढ़ाया जा चुका है. मौजूदा समय सीमा के मुताबिक इसे जून 2026 तक पूरा किया जाना है.
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग परियोजना में फंसे हैं आठ लोग. (PTI)
इस सुरंग के शुरुआती छोर की तरफ भारी मात्रा में पानी का रिसाव होने की वजह से इसका काम मुश्किल हो गया है. यानी यहां काम के दौरान ही पानी और गाद निकासी का काम किये जाने की जरूरत है. परियोजना की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि यहां सुरंग बनाते हुए रिसाव को नियंत्रित करना काफी मुश्किल है. और यही सबसे बड़ी चुनौती है. जानकार लोगों का कहना है कि सुरंग के अंदर पत्थरों को टूटने से रोकने के लिए सीमेंट की परत बनाने की जरुरत है जो रिसाव के कारण एक मुश्किल काम है. वहीं निर्माण कंपनी ने कहा कि परियोजना के लिए जरूरी सुरंग खोदने वाली मशीन कई बार खराब हो चुकी है.
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग परियोजना में फंसे हैं आठ लोग. (PTI)
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक परियोजना की कुल लागत 2,647 करोड़ रुपये. पिछले दस साल में इसके लिए केवल 500 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. खासकर साल 2019, 2020 और 2021 के दौरान तीन साल में केवल 10 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं.