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मानव तस्करी: चाइल्ड लाइन और आरपीएफ का ऑपरेशन, यूपी-एमपी के 6 नाबालिगों सहित 10 लोगों को बचाया गया - human trafficking

Minors Rescued from Human Trafficking. आरपीएफ और चाइल्ड लाइन की टीम ने धनबाद स्टेशन से 10 लोगों को रेस्क्यू किया और मानव तस्कर के चंगुल से सभी की जान बचायी गई. आरपीएफ पुलिस ने बताया कि दस लोगों में 6 नाबालिग से 14-14 घंटे काम कराया जाता था.

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छह नाबालिगों का रेस्क्यू (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 7, 2024, 11:04 PM IST

धनबाद: देशभर में सरकार के श्रम विभाग समेत सभी सिस्टम और अधिकारियों-कर्मियों की पूरी फौज होने के बावजूद मानव तस्करी और बाल मजदूरी रुकने का नाम नहीं ले रही है. हर साल धनबाद समेत देशभर के अन्य जगहों से हजारों लोगों को रेस्क्यू किया जाता है. घरों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने और अपने जिले में काम या नौकरी नहीं मिलने के कारण माता-पिता भी अपने नाबालिग बेटे-बेटियों को कमाने के लिए महानगरों और अन्य क्षेत्रों में भेज देते हैं, ताकि उनके परिवार का भरन पोषण हो सके. सरकार, नेता और अफसर तो बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ भी काम नहीं होता है.

इसी से जुड़ा एक मामला धनबाद स्टेशन पर देखने को मिला. आरपीएफ और चाइल्ड लाइन की टीम ने धनबाद स्टेशन से 10 लोगों को रेस्क्यू किया और मानव तस्कर के चंगुल से सभी की जान बचायी. आरपीएफ पुलिस के मुताबिक, दस लोगों में 6 नाबालिग से 14-14 घंटे काम कराया जाता था. नाबालिग समेत सभी लोग यूपी के सोनभद्र और एमपी के सिंगरौली रहने वाले हैं. मानव तस्कर सभी को लेकर शक्तिपुंज एक्सप्रेस ट्रेन से निकलने वाला था. जब इसकी भनक आरपीएफ और चाइल्ड लाइन की टीम को लगी तो धनबाद स्टेशन पर मानव तस्कर के खिलाफ जाल बिछाया गया. इसके बाद सभी पीड़ितों को तस्कर के कब्जे से छुड़ा लिया गया.

रेस्क्यू किए गए लोगों से पूछताछ में पता चला कि उनके मालिक बिना नहाए और भोजन किए नाबालिग समेत सभी लोगों से काम कराते थे. पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के झालदा और उसके आसपास इलाके में बच्चों से चौदह घंटे तक काम कराया जा रहा था. स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर सभी थके हारे सोए हुए थे. रेलवे चाइल्ड लाइन के विकास कुमार और सिंपी गुप्ता ने जांच शुरू की तो पता चला कि मनसाराम अगाड़िया नामक एक बाल तस्कर बड़ी संख्या में बच्चों को लेकर शक्तिपुंज एक्सप्रेस से निकलने वाला है. सूचना मिलने के बाद सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन उत्तम मुखर्जी को अलर्ट किया गया, जिसमें आरपीएफ़ इंस्पेक्टर पंकज कुमार ने भी सहयोग किया. इसके बाद 10 लोगों को बचाया गया, जिनमें चार वयस्क है.

वहीं, शेष 6 बच्चों को मेडिकल जांच के बाद बाल गृह बोकारो में रखा गया. सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष उत्तम मुखर्जी ने इसकी सूचना दी. बच्चों ने सीडब्लूसी चेयरपर्सन उत्तम मुखर्जी को बताया कि वे तस्कर के जाल में फंसे हुए थे. उनसे बोरिंग, खेती का काम, मजदूरी के बहाने चौदह घंटे काम कराया जाता था. इस दौरान तीन बच्चे बीमार पड़ गए, लेकिन इलाज तक नहीं कराया गया. ऐसी स्थिति हो गई थी कि भूत जैसा चेहरा हो गया था. नहाने भी नहीं दिया जाता था. भीषण गरीबी और लाचारी के कारण उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से बच्चे काम के लिए निकले थे. पूरे झारखंड में तस्करी के कारण एक साथ दस लोगों को बचाने का यह पहला मामला है.

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