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उत्तराखंड के पूर्व DGP बीएस सिद्धू के खिलाफ SIT ने कोर्ट में दाखिल की चार्जशीट, भूमि फर्जीवाड़ा और अवैध पेड़ कटान का है मामला - Chargesheet against BS Sidhu

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 19, 2024, 11:52 AM IST

Chargesheet filed against former DGP BS Sidhu उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू की मुश्किल बढ़ने वाली है. 9 बीघा भूमि फर्जीवाड़े में एसआईटी ने सिद्धू समेत 5 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है. आरोप है कि पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने मसूरी के पास वीरगिरवाली आरक्षित वन भूमि में धोखाधड़ी से जमीन खरीदी थी. उन पर संरक्षित साल प्रजाति के 25 पेड़ों को कटवाने का भी आरोप है. इस मामले में वन विभाग ने भी मुकदमा दर्ज कराया था, जो निचली अदालत में चल रहा है.

CHARGESHEET AGAINST BS SIDHU
पूर्व डीजीपी सिद्धू के खिलाफ चार्जशीट (Photo- ETV Bharat)

देहरादून: ओल्ड मसूरी रोड पर वीरगिरवाली स्थित आरक्षित वन क्षेत्र की करीब 9 बीघा जमीन फर्जीवाड़े से खरीदने के मामले में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू सहित पांच आरोपियों के खिलाफ एसआईटी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. अन्य पांच आरोपियों के खिलाफ जांच जारी रहेगी.

आरोप है कि पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने अपने कार्यकाल के समय साल 2012 में ओल्ड मसूरी रोड पर वीरगिरवाली स्थित आरक्षित वन क्षेत्र के करीब 9 बीघा जमीन अपने नाम कर ली थी. इस जमीन पर साल प्रजाति के 25 पेड़ कटवा दिए गए थे. उस दौरान बीएस सिद्धू के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को प्रार्थना पत्र दिया गया था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई थी.

यह भूमि दो दशक पहले किसी नत्थूराम नाम के व्यक्ति के नाम पर दर्ज थी. बाद में उस जमीन को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था. उसके बाद बीएस सिद्धू ने मेरठ जिले में नत्थूराम नाम के व्यक्ति की तलाश की. इस नाम का व्यक्ति मेरठ के रसूलपुर गांव में मिल गया. रसूलपुर गांव के ग्राम प्रधान चमन सिंह के जरिए नत्थूराम ने फर्जी दस्तावेज बनाए. इसके बाद उसे रजिस्ट्री कार्यालय में जमीन का मालिक दर्शाकर जमीन अपने नाम कर ली थी.

यह दाखिल खारिज 13 मार्च 2013 को बीएस सिद्धू के नाम हुई. इस दाखिल खारिज के खिलाफ काशीराम क्वार्टर डिस्पेंसरी रोड पर रहते असली नत्थूराम के बेटों ने अपर तहसीलदार कोर्ट से 25 मार्च 2013 को स्टे हासिल कर लिया था. इस दौरान रहमुद्दीन और हाजी रिजवान नाम के व्यक्ति सामने आए उन्होंने जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी अपने नाम होने का दावा किया. तब बीएस सिद्धू की तरफ से नत्थूराम बताए गए व्यक्ति ने उनके खिलाफ शहर कोतवाली में 5 जुलाई 2013 को मुकदमा दर्ज करा दिया गया. मामले में जांच शुरू हुई तो इस बीच बीएस सिद्धू रिटायर हो गए. इसके बाद जमीन खरीदने में हुए खेल की परतें खुलनी शुरू हुईं.

एसआईटी की पर्यवेक्षण डीआईजी एलओ पी रेणुका ने बताया है कि एसआईटी की जांच में पूर्व डीजीपी को आरोपी बनाया गया है. एसआईटी ने करीब एक साल की जांच के बाद पांच आरोपी पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू, रहमुद्दीन, हाजी रिजवान, सुभाष शर्मा और स्मिता दीक्षित पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत चार्जशीट दाखिल की गई है. साथ ही पांच अन्य के खिलाफ जांच जारी है.

ये है पूरा प्रकरण:साल 2012 से ये मामला चल रहा है. इस साल ओल्ड मसूरी रोड पर वीरगिरवाली स्थित आरक्षित वन क्षेत्र करीब 9 बीघा जमीन के फर्जीवाड़े की खबर सामने आई. ये भी पता चला कि आरक्षित इस वन क्षेत्र में साल प्रजाति के कई पेड़ों को भी अवैध तरीके से काटा गया. इस दौरान बीएस सिद्धू का नाम सामने आया, जो तब एडीजी पद पर तैनात थे. ये जमीन बीएस सिद्धू ने खरीदी थी. तब सिद्धू के खिलाफ शिकायती पत्र भी चले लेकिन कार्रवाई कुछ आगे नहीं बढ़ी. इसके बाद सिद्धू डीजीपी बन गए.

2013 में मामला काफी चर्चाओं में आया. वन विभाग की जांच में पता चला कि ये फॉरेस्ट रिजर्व की भूमि है और इस जमीन को जालसाजी से कब्जाने का प्रयास किया गया है. इसके बाद नए सिरे से जांच शुरू हुई. फिर गलत तरीके से पेड़ काटने के आरोपों में सिद्धू ने वन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ ही एक मुकदमा दर्ज करवा दिया. इस मामले की जांच सब इंस्पेक्टर निर्विकार सिंह को दी गई. हालांकि, निर्विकार सिंह कुछ ही दिन जांच के अधिकारी रहे.

फिर साल 2016 में शासन स्तर पर इस मामले में जांच की गई. रिटायरमेंट से 1 दिन पहले ही डीजीपी रहे बीएस सिद्धू को चार्जशीट थमाई गई. हालांकि, तब भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ. साल 2022 में वन विभाग के अधिकारी की ओर से बीएस सिद्धू के खिलाफ शिकायती पत्र देकर राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया. इस पूरे प्रकरण के सामने आने के बाद तत्कालीन सीईओ मसूरी ने इसकी जांच की. जांच में सामने आया कि बीएस सिद्धू ने साल 2012 में जिस नत्थूराम नाम के शख्स से ये जमीन खरीदने की बात कही थी उसकी 1983 में ही मौत हो चुकी है.

मुकदमा दर्ज होने के बाद पूर्व डीजीपी सिद्धू ने नैनीताल हाईकोर्ट भी गए. हाईकोर्ट की ओर से 4 नवंबर 2022 को उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई और सिद्धू से जांच में सहयोग करने को कहा. हालांकि, पूर्व डीजीपी ये कह चुके हैं कि ये सब उनकी व्यक्तिगत छवि को खराब करने की मंशा से किया गया है. वन विभाग सहित संबंधित सरकारी संस्थान अपना जुर्माना काट चुके हैं.

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