हल्द्वानी:नवरात्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों में पूजा की गई. घरों में कलश स्थापना की गई, तो वहीं मंदिरों में श्रद्धालुओं ने मां भगवती की आराधना कर परिवार की सुख-शांति की कामना की. मान्यता है कि नवरात्रों में विधि विधान से मां शीतला की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शीतला मां शांति, सेहत और शीतलता प्रदान करती हैं. आज राम नवमी है. ऐसे में आज कीजिए मां शीतला देवी के दर्शन.
काठगोदाम के रानीबाग में है मंदिर: उत्तराखंड का प्रसिद्ध शीतला देवी मंदिर नैनीताल जिले के काठगोदाम से 2 किलोमीटर दूर रानीबाग की पहाड़ी पर है. ये मंदिर चारों तरफ से हरियाली से घिरा हुआ है. माता शीतला मां दुर्गा का अवतार भी मानी जाती हैं. इस मंदिर में मां के दर्शन करने के लिए स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में आते हैं.
ऐसे स्थापित हुआ था मंदिर:पौराणिक मान्यता के अनुसार, नैनीताल जिले के भीमताल के पाण्डे लोग बनारस से माता शीतला देवी की मूर्ति लेकर वापस अपने गांव आ रहे थे. वो अपने गांव भीमताल में इस मूर्ति को स्थापित करना चाहते थे. लेकिन हल्द्वानी से रानीबाग गुलाब घाटी की ओर जब उन्होंने चढ़ाई की तो इसी जगह पर रात हो गई.
काशी से लाई गई मूर्ति: कहा जाता है कि बनारस से माता की मूर्ति को लेकर आ रही टोली ने इसी जगह पर रात्रि विश्राम किया था. टोली में से एक शख्स को रात में मां ने सपने में दर्शन दिए और इसी स्थान पर मूर्ति को स्थापित करने की बात कही. जब उस शख्स ने सुबह अपने साथियों को सपने के बारे में बताया, तो उन्हें पहले तो यकीन ही नहीं हुआ. लेकिन जब लोगों ने मूर्ति उठाने की कोशिश की तो वो मूर्ति उसी जगह पर गड़ गई.