मधुबनी:कहते हैं जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं, लेकिन धरती पर इसे मिलाने के लिए किसी ना किसी को अगुआ होना पड़ता है जो भगवान के फैसले की तामिल करते हुए लोगों की जिंदगी को खुशियों के रंगों से भर देता है. आज ईटीवी भारत आपको बिहार के मधुबनी के ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहा है, जिसे सभी शादीराम या घटकराज के नाम से पुकारते हैं.
कौन हैं मधुबनी के शादीराम: घटकराज उर्फ शादीराम का असली नाम नवीन कुमार झा है और मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड के रहने वाले हैं. इनके काम के कारण लोग इन्हें शादीराम ही कहकर पुकारते हैं. शादीराम ना सिर्फ गरीब लड़कियों की शादी करवाने के लिए लड़का तलाशने का काम करते हैं बल्कि कई अनाथ बच्चियों को गोद भी ले चुके हैं और सभी की शादी करवाने की जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं. शादीराम दहेज मुक्त शादी कराते हैं और अगर कोई पैसे का लोभी मिलता है तो उसे हाथ जोड़कर शादी के लिए ना बोल देते हैं.
सरकारी नौकरी छोड़ मैरिज ब्यूरो का काम:ईटीवी भारत से खास बातचीत में शादीराम ने बताया कि 12 जुलाई 1988 को मैंने मैथिली समाज में एक शादी के जोड़े को देखा, जिसमें ब्राह्मण समाज का लड़का था. लड़की किसी और समाज और जात से थी. मैंने पूछा ऐसी शादी क्यों करवायी तो बताया गया कि अच्छा रिश्ता नहीं मिल रहा था. मेरा मानना है कि शादी विवाह एक आध्यात्मिक कार्य है और अपनी जात बिरादरी में करना उत्तम होता है. आधुनिक सोच के मैं खिलाफ नहीं हूं. मैंने एसएससी कंप्लीट करने के बाद सरकारी नौकरी छोड़कर गरीब लड़कियों की शादी का जिम्मा उठाया है.
"1983 में मेरे घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में मैंने गांव-गांव घूमकर कपड़ा बेचने का काम शुरू किया. 1983-88 तक मैंने लेडिज आइटम बेचे हैं. इस दौरान मैंने किसी को पहला रिश्ता बताया. वह रिश्ता तय हो गया, घरवालों ने मुझे अपनी खुशी से दक्षिणा दिया. इससे मुझे घर में थोड़ा सहयोग मिला. मैंने सोचा कि इसी काम को जीवन में अपना लेना चाहिए. मां भगवती बेनीपट्टी उचाईठ स्थान मैंने 2121 जोड़ी लगाने का उस दिन संकल्प लिया था. "-शादीराम उर्फ घटकराज
दहेजमुक्त शादी कराना है जीवन का मकसद: घटकराज का कहना है कि ज्यादातर लड़कियों के मां बाप गरीबी के कारण दहेज देने के लिए जो भी थोड़ी बहुत जमीन होती है उसे बेच देते हैं. कभी भी ऐसा ना करे. पैसे के लोभी लोग हमेशा गलत काम करते हैं. घटकराज कहते हैं मैं बेटा और बेटी की शादी कराता हूं. पेटा और पेटी चाहिए तो दुकान से जाकर खरीद लें.
35 दिन में ऐसे करवाते हैं शादी: शादीराम ने कहा कि जब मैं किसी की शादी के बारे में बात करने की शुरुआत करता हूं तो पहले मां भगवती को नमन करता हूं. फिर एक साड़ी, 11 हल्दी, चावल और 11 सौ रुपये किसी गरीब सुहागन को भेंट उसके बाद मां भगवती से प्रार्थना करता हूं कि 35 दिनों के अंदर शादी तय हो जाए. मां का आशीर्वाद मिल भी जाता है.
संघर्षों से भरा रहा जीवन: बता दें कि शादीराम अब तक 914 से अधिक शादियां करवा चुके हैं. उनका लक्ष्य 2121 शादी कराने का है. यदि किसी व्यक्ति के पास उचित रिश्ते का मार्गदर्शन ना हो तो वो इनसे संपर्क करते हैं. उन्होंने बताया कि उनका जीवन काफी गरीबी में गुजरा. बचपन में भीषण कष्ट का सामना करना पड़ा. छोटी उम्र में ही पिता का साया उठ गया. ऐसे में परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी भी इन्हीं के कंधों पर आ गई.