सिवनी/छिंदवाड़ा: चंदन की खुशबू से देश को महकाने वाला सिवनी तस्करों की चंगुल में फंसकर वीरान हो गया था, लेकिन एक बार फिर यहां के जंगल में पनप रहे चंदन के पेड़ देश में अपनी खुशबू बिखेर रहे हैं. वहीं, सिवनी वन विभाग के सीसीएफ एस एस उद्देने ईटीवी भारत को फोन पर चर्चा में बताया "डेढ़ सौ एकड़ में वन विभाग ने चंदन का प्लांटेशन कराया है और करीब डेढ़ सौ एकड़ नेचुरल तरीके से जंगलों में पौधे पाए गए हैं जिनकी देखरेख की जा रही है सिवनी एक बार फिर से चंदन की पहचान वापस पाएगा."
1980 में सलैया के जंगलों में लगाए थे चंदन के पौधे
सिवनी के जंगलों में हाई क्वालिटी का चंदन हुआ करता था जिसकी डिमांड देश भर में होती थी इसी को देखते हुए वन विभाग में 1980 में सलैया और नागनदेवरी के जंगलों में 5000 चंदन के पौधे लगाए थे जिसमें से कई पौधे तो खराब हो गये, लेकिन वन विभाग में उनकी लगातार देखरेख की और इसकी कटाई शुरू की करीब 10 लाख रुपए का चंदन भी बेचा गया है.
तस्करी से वीरान हुए आमागढ़ में फिर अंकुरित हो रहे चंदन
साल 2000 में तस्करों ने सिवनी के जंगलों को चंदन से वीरान कर दिया था. सबसे ज्यादा चंदन आमागढ़ के जंगलों में हुआ करता था. चंदन काटे जाने के बाद बचे ठूंठ को वन विभाग ने देखरेख किया और भी फिर से अंकुरित हो गए करीब 500 पेड़ चंदन के अब 10 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पार कर चुके हैं.
चंदन को फैलाने में पक्षी कर रहे मदद, गुलजार हो रहे जंगल
चंदन के पेड़ जंगल में लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ रही है कई जंगल ऐसे हैं जहां पर प्राकृतिक रूप से चंदन के पेड़ तैयार हो गए हैं. इन जंगलों को बढ़ाने में पक्षी अहम भूमिका निभा रहे हैं. चंदन के बीज को पक्षी इधर से उधर बिखेर कर सिवनी की चंदन वाली पहचान वापस ला रहे हैं. धूमा और लखनादौन के बीच शेड नदी के किनारे सबसे ज्यादा चंदन के पेड़ प्रकृतिक रूप से तैयार हो रहे हैं.