मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / bharat

सीहोर के आदिवासी गांवों में पहुंचीं सचिन तेंदुलकर की बेटी और पत्नी, आखिर क्या इन्हें यहां खींच लाया - Sehore visit Anjali Tendulkar - SEHORE VISIT ANJALI TENDULKAR

सीहोर जिले के भेरूंदा तहसील क्षेत्र में सचिन तेंदुलकर की पत्नी अंजलि तेंदुलकर और उनकी बेटी सारा तेंदुलकर पहुंचीं. यहां उन्होंने गांव जामुनझील व सेवनिया में संचालित सेवा कुटीर देखी. दरअसल, जिले की पांच कुटीरों को सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन के द्वारा गोद लिया गया है.

Sehore visit Anjali Tendulkar
अचानक सीहोर के आदिवासी गांवों में पहुंची सचिन तेंदुलकर की बेटी और पत्नी

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 17, 2024, 1:58 PM IST

Updated : Apr 17, 2024, 2:19 PM IST

सीहोर। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में उस दौरान हर कोई हैरान रह गया जब भारतीय क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की पत्नी अंजलि तेंदुलकर और उनकी बेटी सारा तेंदुलकर अचानक सीहोर के भेरूंदा तहसील क्षेत्र में पहुंच गईं. मां-बेटी बेहद गोपनीय तरीके से आदिवासी गांव जामुनझील व सेवनिया में संचालित सेवा कुटीर में पहुंचीं. आपको बता दें कि इससे पहले खुद सचिन तेंदुलकर भी यहां आ चुके हैं.

सीहोर के आदिवासी गांवों में पहुंची सचिन तेंदुलकर की बेटी और पत्नी

बेहद गोपनीय रखा गया था पूरा कार्यक्रम

सारा और अंजलि मुंबई से हवाई जहाज के जरिए भोपाल पहुंची. फिर भोपाल से सड़क के रास्ते पहले वो देवास जिले के संदलपुर पहुंचीं. इसके बाद दोनों लोग सीहोर जिले में संचालित जामुनझील और सेवनिया की सेवा कुटीर में पहुंचीं. उनका कार्यक्रम इतना गोपनीय था कि पुलिस प्रशासन को भी इसकी सूचना नहीं दी गई थी. गौरतलब है कि सीहोर जिले की पांच कुटीरों को सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन के द्वारा गोद लिया गया है और उन्हें मदद की जाती है. इसीलिए इससे पहले सचिन भी इन कुटीरों में पहुंचे थे. उनका कार्यक्रम भी इसी तरह गोपनीय रखा गया था.

अचानक सीहोर के आदिवासी गांवों में पहुंची सचिन तेंदुलकर की बेटी और पत्नी

इन कुटीरों में कराई जाती है बच्चों की पढ़ाई

सीहोर जिले में नयापुरा, खापा, बेलपाटी, जामुनझील और सेवनिया में सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन द्वारा कुटीर संचालित की जाती है. इन कुटीरों में यहां के बच्चों को सुबह-शाम पढ़ाई कराई जाती है. इस दौरान बच्चों को सुबह-शाम श्रीराम, श्रीकृष्ण के भजन सुनाने के साथ ही स्वामी विवेकानंदजी के जीवन से प्रेरित बातें भी बताई जाती हैं. बच्चे यहां पर पढ़ाई के साथ-साथ ड्राईंग व अन्य गतिविधियां भी करते हैं. इन कुटीरों में 3 वर्ष से 15 वर्ष के बच्चों को पढ़ाया जाता है. सुबह-शाम इन्हें यहां पर निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है और सुबह 7 बजे से 10 बजे तक व शाम को 4 बजे से 6 बजे तक इन्हें पढ़ाया भी जाता है. इस बीच में जो बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं वह स्कूल भी जाते हैं.

अचानक सीहोर के आदिवासी गांवों में पहुंची सचिन तेंदुलकर की बेटी और पत्नी

आदिवासी अंदाज में किया गया स्वागत

अंजलि तेंदुलकर और सारा तेंदुलकर जब ग्राम जामुनझील व सेवनिया पहुंचीं तो यहां पर ग्रामीणों ने उनका स्वागत भी बेहद शानदार तरीके से किया. आदिवासियों ने ढोल व तीर-कमान से दोनों का स्वागत सत्कार किया. इस दौरान अंजलि और सारा भी इस स्वागत से प्रसन्न नजर आईं. ग्रामीणों को जब इस बात की जानकारी हुई तो वह भी अपनी तैयारियों के साथ उनका स्वागत करने पहुंचे. इस दौरान यहां लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.

अचानक सीहोर के आदिवासी गांवों में पहुंची सचिन तेंदुलकर की बेटी और पत्नी

ये भी पढ़ें:

अब हवा में उगा सकते हैं आलू-टमाटर, सीहोर के वैज्ञानिकों ने खोजी खेती की नई तकनीक, होगा बंपर उत्पादन

आज ही के दिन धोनी के छक्के से निकली थी जीत, तेंदुलकर और शाह ने विश्व कप 2011 को किया याद

इन्होंने की थी कुटीरों की स्थापना

इन सेवा कुटीरों की स्थापना विनायक लोहानी द्वारा की गई थी. इसके बाद सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन ने इन्हें गोद ले लिया. अब सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन इन कुटीरों को संचालित करता है. इसके लिए उन्होंने इन गांवों में इसकी शुरूआत की थी. यहां पर बच्चों को पढ़ाई, भोजन के साथ ही संस्कारों की भी शिक्षा दी जाती है.

Last Updated : Apr 17, 2024, 2:19 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details