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अलकायदा संदिग्ध डॉक्टर के झारखंड नेटवर्क की तलाश में जुटी सुरक्षा एजेंसियां, पाकिस्तान, ईरान और तुर्की संपर्क की भी जांच - Jharkhand network of Al Qaeda

Jharkhand network of Al-Qaeda suspected doctor. झारखंड एटीएस और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के द्वारा गिरफ्तार किए गए झारखंड के अल-कायदा संदिग्धों से जल्द ही झारखंड एटीएस भी पूछताछ करेगी. रांची के मेडिका अस्पताल के डॉक्टर इश्तियाक सहित अन्य गिरफ्तार अलकायदा संदिग्धों से उनके झारखंड नेटवर्क के बारे में पूछताछ की जाएगी.

Jharkhand network of Al Qaeda suspected doctor
झारखंड एटीएस (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 1, 2024, 5:37 PM IST

रांची:अलकायदा इंडियन सब कांटिनेंट के सरगना डॉ इश्तियाक ने अपना नेटवर्क झारखंड में कहां-कहां तक फैला रखा था और युवाओं को अलकायदा मॉड्यूल में कैसे जोड़ता था, इसकी तफ्तीश लगातार जारी है. झारखंड एटीएस के लिए सबसे अहम बात यह है कि डॉक्टर इश्तियाक के साथ पकड़े गए अन्य अलकायदा
संदिग्धों के तार झारखंड के पुराने आतंकी मामले से तो जुड़े नहीं है. झारखंड एटीएस की टीम पुराने आतंकी मामलों की पड़ताल भी कर रही है. ताकि डॉक्टर इश्तियाक के बारे में और अधिक जानकारी हासिल हो सके.

एटीएस एसपी का बयान (ईटीवी भारत)
अबु सुफियान को लेकर जांच

साल 2009-10 में झारखंड के चतरा जिला के रहने वाले अबू सुफियान का नाम भी अलकायदा से जुड़ा था. अबू सुफियान अब तक फरार है. सूत्रों के अनुसार अलकायदा के प्रशिक्षण शिविर में जाने के बाद से उसका पता नहीं चला. इसके अलावा डॉ. सबील और अब्दुल रहमान कटकी का जमशेदपुर से जुड़ाव रहा. इनके पाकिस्तान, ईरान और तुर्की से चलने वाले आतंकी संगठनों के प्रमुख लोगों से संपर्क हैं. झारखंड एटीएस की टीम या जांच कर रही है कि डॉक्टर इश्तियाक के संबंध कहीं अबू सुफियान से तो नहीं थे. झारखंड एटीएस के एसपी ऋषभ जाने बताया कि सभी पुराने कांडों को लेकर तफ्तीश की जा रही है. पूरे मामले की जांच का दायरा काफी बड़ा हो चुका है जैसे-जैसे सूचनाओं सामने आएंगी आगे की कार्रवाई की जाएगी.

कटकी के तार भी जुड़े थे चान्हो से

सूत्रों के अनुसार जमशेदपुर जेल में बंद आतंकी कटकी और डॉक्टर इश्तियाक को लेकर भी सुरक्षा एजेंसियां जांच कर रही है. साल 2010 के बाद कटकी ने झारखंड के जमशेदपुर, रांची, लोहरदगा, हजारीबाग समेत कई शहरों का दौरा किया था. इन शहरों में तकरीर के जरिए वह लोगों को प्रभावित करता था, इसके बाद रेडिक्लाइज कर उसने सैकड़ों लोगों को स्लीपर सेल से जोड़ा था. 18 जनवरी 2016 को कटकी को पहली बार दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मेवात से गिरफ्तार किया था. कटकी की गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ था कि झारखंड के कई बच्चों को वह कटक भी ले गया था, जहां धार्मिक पाठ के बहाने जिहाद के लिए उकसाया जाता था.

17 लोगों की टीम बनाई थी कटकी ने

सूत्रों के अनुसार अब्दुल रहमान कटकी ने एक्यूआईएस की 17 सदस्यीय कोर टीम बनाई थी. उसमे जमशेदपुर के सामी और कलीम भी शामिल थे. झारखंड में एक्यूआईएस मॉड्यूल के बारे में जांच एजेंसियां बताती हैं कि यहां पहले चरण की शुरुआत की गई थी. इसके लिए रिक्रूटमेंट सेल स्थापित किया गया था. इसका काम जेहादी के तौर पर युवाओं को संगठन से जोड़ना था. झारखंड निवासी जीशान अली, सैयद मो. अर्शियान, मो. सामी (तीनों जमशेदपुर), अबु सूफियान (चतरा), मो. कलीमुद्दीन मूल निवासी रड़गांव और वर्तमान पता आजादबस्ती रोड नम्बर 12 मानगो, जमशेदपुर, रिक्रूटमेंट सेल का संचालक और प्रेरक थे. हालांकि बाद में कलीमुद्दीन को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से राहत मिल गई थी. यही वजह है कि झारखंड एटीएस आतंकी मामलों से जुड़े सभी पुराने कांडों को भी खंगाल रही है, ताकि यह जानकारी मिल सके की कहीं डॉक्टर इश्तियाक का लिंक उनसे तो नहीं था.

रांची के आतंकी संगठनों से जुड़ते रहे तार

रांची के तार आतंकी संगठनों से जुड़ते रहे हैं. पहली बार साल 2007 में एर्नाकुलम ब्लास्ट की जांच में रांची के मंजर इमाम और दानिश रिजवान का नाम आया था. दोनों इस केस में सजा काट अब वे जेल से बाहर आ चुके हैं. दोनो के सिमी से जुड़ाव का दावा एजेंसियों ने किया था. सिमी पर प्रतिबंध के बाद इंडियन मुजाहिदीन का गठन भटकल बंधुओं ने किया तब उसके स्लीपर सेल यहां सक्रिय रहे. अहमदाबाद में साल 2008 में ब्लास्ट में भी दानिश और मंजर का नाम सामने आया था. हालांकि दोनों के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिले थे. साल 2011 में दोनों की गिरफ्तारी हुई थी.

पटना ब्लास्ट में भी झारखंड कनेक्शन

साल 2013 में अक्टूबर माह में नरेंद्र मोदी की सभा में ब्लास्ट के बाद इंडियन मुजाहिदीन पर एनआईए ने शिकंजा कसा था. इस केस में आईएम के रांची मॉड्यूल का खुलासा हुआ था. जांच में गया के महाबोधि मंदिर ब्लास्ट में भी रांची के आतंकियों की संलिप्तता सामने आयी थी. इस केस में रांची के इम्तियाज अहमद समेत सीठियों के चार लोगों के अलावा, हैदर उर्फ ब्लैक ब्यूटी, मुजीबुल्लाह समेत अन्य आतंकियों को उम्रकैद की सजा हुई थी. रांची में स्लीपर सेल के द्वारा ही तब भटकल बंधुओं को भी ठहराने का खुलासा एजेंसियों ने किया था. पटना और महाबोधि मंदिर ब्लास्ट की साजिश रांची के आतंकियों ने हिंदपीढ़ी इलाके के इरम लॉज में रची थी. यहां से देश के अलग अलग हिस्सों में ब्लास्ट की योजना से जुड़े साक्ष्य भी एजेंसियों को मिले थे.

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