देहरादूनःउत्तराखंड चारधाम रूट के बाद अब परिवहन विभाग प्रदेश के अन्य पर्यटक स्थलों के मार्गों पर चार्जिंग स्टेशन लगाने जा रहा है. गंगोत्री धाम को छोड़ बाकी तीन धामों को जाने वाले मार्गों पर करीब 28 जगहों पर ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाए जा चुके हैं. ऐसे में अब प्रदेश के खासकर कुमाऊं क्षेत्रों में मौजूद तमाम पर्यटक स्थलों के मार्गों पर ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाये जाने हैं. इसके लिए 41 प्वाइंट भी चिन्हित किए गए हैं. परिवहन विभाग का उद्देश्य है कि प्रदेश में न सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन को खरीदने के प्रति प्रोत्साहित किया जा सके, बल्कि अन्य राज्यों से आने वाले लोग भी बेहिचक इलेक्ट्रिक वाहन के जरिए पर्यटक स्थलों की ओर रुख कर सकें.
देश की राजधानी दिल्ली समेत तमाम राज्य इन दिनों एयर पॉल्यूशन से जूझ रहे हैं. इससे उत्तराखंड राज्य भी अछूता नहीं है. दिलचस्प बात ये है कि उत्तराखंड राज्य का करीब 70 फीसदी हिस्सा फॉरेस्ट से घिरा हुआ है. पिछले एक हफ्ते के दौरान उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की आबोहवा काफी खराब हो गई थी. यही नहीं, फॉरेस्ट फायर और चारधाम यात्रा के दौरान भी प्रदेश के न सिर्फ मैदानी जिलों, बल्कि पर्वतीय जिलों में भी एयर क्वालिटी पर काफी असर पड़ता है. इससे न सिर्फ लोगों को दिक्कतें होती हैं, बल्कि एयर पॉल्यूशन अधिक होने से ग्लेशियर पर पीएम 2.5 और पीएम 10 के पार्टिकल्स जमा हो जाते हैं. इससे ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बढ़ जाती है.
चुनौती से कम नहीं इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन:देश-दुनिया में लगातार बढ़ रहे एयर पॉल्यूशन और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को देखते हुए भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए सब्सिडी का भी प्रावधान किया गया है. ताकि देश दुनिया में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण पर लगाम लगायी जा सके. हालांकि, भारत सरकार ने साल 2070 तक देश में होने वाले कार्बन उत्सर्जन को न के बराबर करने का लक्ष्य रखा है. इसके चलते ही भारत सरकार और राज्य सरकारें, लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल के प्रति प्रोत्साहित कर रही हैं. लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल संबंधित एक बड़ी चुनौती इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन हैं. लिहाजा, उत्तराखंड सरकार प्रदेश भर में ईवी चार्जिंग स्टेशन पर जोर दे रही है.
पर्वतीय मार्गों पर चार्जिंग स्टेशन से बढ़ेगा पर्यटन: उत्तराखंड में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है. जिसके चलते साल दर साल उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. विश्व व तमाम राज्यों से उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों का लुफ्त उठाने के लिए आने वाले पर्यटक डीजल या फिर पेट्रोल की गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं. इसकी मुख्य वजह यही है कि प्रदेश के खासकर पर्वतीय क्षेत्र में ईवी चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में उत्तराखंड परिवहन विभाग प्रदेश के चारधाम यात्रा मार्गों (गंगोत्री मार्ग को छोड़कर) के साथ ही अब तमाम पर्यटक स्थलों के मार्गों पर इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन लगाने पर जोर दे रहा है. ताकि अन्य राज्यों से आने वाले पर्यटक पर्वतीय क्षेत्र में भी इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल कर सकें.
इन रूटों पर ईवी चार्जिंग स्टेशन: उत्तराखंड परिवहन निगम की ओर से बदरीनाथ, केदारनाथ और यमुनोत्री धाम यात्रा मार्ग पर कुल 28 स्थानों पर ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाए गए हैं. यानी चारधाम यात्रा मार्गों पर परिवहन निगम ने पहले चरण में पांच रूट चिन्हित करते हुए 28 स्थानों पर इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन का कॉरिडोर बनाया है. इसके तहत, मंगलौर-हरिद्वार-ऋषिकेश रूट पर 7 ईवी चार्जिंग स्टेशन, बड़कोट-यमुनोत्री रूट पर 4 ईवी चार्जिंग स्टेशन, ऋषिकेश-बदरीनाथ रूट पर 12 ईवी चार्जिंग स्टेशन, रुद्रप्रयाग-केदारनाथ रूट पर 4 ईवी चार्जिंग स्टेशन और उत्तरकाशी-घनसाली रूट पर एक ईवी चार्जिंग स्टेशन इंस्टॉल किया गया है. हालांकि, अधिकतर चार्जिंग स्टेशन गढ़वाल विकास निगम लिमिटेड के गेस्ट हाउस में लगाये गये हैं.
दूसरे चरण में 41 स्थानों पर लगेंगे स्टेशन: ऐसे में अब परिवहन विभाग दूसरे चरण के तहत प्रदेश के 8 जिलों में 41 जगहों पर ईवी चार्जिंग स्टेशन बनाने जा रहा है. परिवहन विभाग ने न सिर्फ ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाए जाने संबंधित डीपीआर तैयार कर लिया है, बल्कि ईवी चार्जिंग स्टेशन के लिए भूमि का चयन भी कर लिया गया है. ऐसे में अब जब चारधाम की यात्रा संपन्न हो गई है, तो जल्द ही प्रदेश के आठ जिलों में 41 जगहों पर ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. दरअसल, परिवहन निगम ने प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर मौजूद पर्यटक स्थलों को जाने वाले मार्गों पर इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन लगाए जाने पर जोर दिया है. ताकि, अन्य राज्यों से उत्तराखंड आने वाले पर्यटक भी बेहिचक इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल कर सकें.