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भूकंप के झटकों से लगातार डोल रही उत्तरकाशी, कंपन से वैज्ञानिक भी हैरान - EARTHQUAKE IN UTTARAKHAND

उत्तरकाशी जिले की धरती भूकंप से डोल रही है. आखिर उत्तरकाशी में भूकंप आने के क्या कारण हो सकते हैं. देखिए इस खास रिपोर्ट में.

EARTHQUAKE IN UTTARAKHAND
उत्तरकाशी में रोजाना भूकंप से डोल रही धरती (PHOTO- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 2, 2025, 11:12 AM IST

Updated : Feb 2, 2025, 12:22 PM IST

देहरादून:उत्तरकाशी जिले में 24 जनवरी से लगातार भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं. जिसको देखते हुए उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने भूकंप से बचाव संबंधित एडवाइजरी भी जारी की है. वहीं, भू वैज्ञानिक उत्तरकाशी में लगातार आ रहे भूकंप को लेकर कुछ खास निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाए हैं. लगातार उत्तरकाशी में आ रहे भूकंप को वैज्ञानिक तमाम एंगल से देख रहे हैं, लेकिन कोई ठोस वजह नहीं बता पा रहे हैं.

उत्तरकाशी में छह बार आया भूकंप:उत्तरकाशी में रह रहे लोग इन दिनों दहशत के माहौल में हैं. जिसकी मुख्य वजह यही है कि 24 जनवरी से लेकर 31 जनवरी के बीच उत्तरकाशी में छह भूकंप के झटके महसूस हुए हैं. एक भूकंप 3.5 मैग्नीट्यूड का था. वहीं, बाकी पांच भूकंप 3.0 मेग्नीट्यूड से कम के थे, लेकिन कुछ दिनों के भीतर ही छह बार भूकंप आने से लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं. जिसमें मुख्य रूप से एक बड़ा सवाल यही खड़ा हो रहा है कि आखिर उत्तरकाशी के क्षेत्र में लगातार आ रहे छोटे-छोटे भूकंप कहीं बड़े भूकंप आने का संकेत तो नहीं दे रहे हैं. वैज्ञानिक उत्तरकाशी में लगातार आ रहे भूकंप को लेकर चिंतित और बेहतर जवाब देने में असमर्थ नजर आ रहे हैं.

हिमालयी राज्यों में बड़े भूकंप की आशंका बनी हुई है. (PHOTO- ETV Bharat)

सभी भूकंपों का डेप्थ 5 किलोमीटर था:नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी से मिली जानकारी के अनुसार उत्तरकाशी जिले में 24 जनवरी से लेकर 31 जनवरी के बीच छह बार भूकंप आए हैं. जिसके तहत 24 जनवरी की सुबह 7 बजकर 41 मिनट पर 2.7 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 24 जनवरी को ही सुबह 8 बजकर 19 मिनट पर 3.5 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 25 जनवरी को सुबह 5 बजकर 45 मिनट पर 2.4 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 29 जनवरी को दोपहर 3 बजकर 28 मिनट पर 2.7 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. 30 जनवरी को रात 7 बजकर 31 मिनट पर 2.7 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था और 31 जनवरी को सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर 2.7 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था. खास बात यह है कि इन सभी भूकंपों की डेप्थ 5 किलोमीटर थी.

उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से जोन चार और पांच में आता है. (PHOTO- ETV Bharat)

उत्तरकाशी में आ रहे भूकंप के हो सकते हैं कई कारण:वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. विनीत कुमार गहलोत ने बताया कि उत्तरकाशी के क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से लगातार छोटे-छोटे भूकंप आ रहे हैं, जिसकी डेप्थ 5 किलोमीटर दर्ज की गई है. उत्तरकाशी में लगातार आ रहे इन भूकंप के कई कारण हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि हिमालयन सिस्मिक बेल्ट में लगातार छोटे-बड़े भूकंप आते रहते हैं, जिनको साइंस की भाषा में बैकग्राउंड कहा जाता है. यानी सीस्मिक जोन में ऐसे भूकंप का सिलसिला जारी रहता है. ऐसे में हो सकता है कि जो भूकंप उत्तरकाशी में आ रहे हैं वो सिस्मिक बेल्ट के बैकग्राउंड का ही एक हिस्सा हो.

साल 2024 में विश्व में 13,672 बार आए भूकंप (PHOTO- ETV Bharat)

छोटे भूकंप बड़े भूकंप की चेतावनी है या नहीं:वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर विनीत कुमार गहलोत ने बताया कि कई बार ऐसा भी देखा गया है कि एक बड़ा भूकंप आने से पहले छोटे-छोटे भूकंप उसे क्षेत्र में आए हैं. हालांकि, देश-दुनिया में ऐसे मामले बहुत कम देखे गए हैं, लेकिन अक्सर ऐसा देखा गया है कि बिना किसी पूर्व चेतावनी के बड़े भूकंप आ गए हो. लिहाजा, उत्तरकाशी में पिछले कुछ दिनों से लगातार जो छोटे-छोटे भूकंप आ रहे हैं ये किसी बड़े भूकंप की चेतावनी है या नहीं है? इसका जवाब देना बहुत मुश्किल है.

साल 2024 के बड़े भूकंप (PHOTO- ETV Bharat)

छोटे-छोटे भूकंप आने की वजह swarm भूकंप:विनीत कुमार गहलोत ने बताया कि उत्तरकाशी में लगातार आ रहे छोटे-छोटे भूकंप की एक और वजह हो सकती है जिसे स्वार्म (swarm) भूकंप कहा जाता है. यानी कुछ समय में ही बहुत सारे छोटे-छोटे भूकंप का आ जाना ही स्वार्म भूकंप कहलाता है. ऐसे भी मामले हिमालय में कई बार देखे गए हैं, जिसमें एक छोटी सी जगह में छोटे-छोटे कई भूकंप आए हैं. उन्होंने कहा कि ये कुछ दिनों के लिए छोटे-छोटे भूकंप एक ही जगह पर आते हैं और फिर बंद हो जाते हैं. हिमालय में अभी तक ऐसा कोई केस नहीं है. जिसमें स्वार्म भूकंप के बाद कोई बड़ा भूकंप आया हो, लेकिन हिमालय से अलग कुछ जगह पर ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां पर स्वार्म भूकंप के बाद बड़ा भूकंप देखा गया है.

उत्तराखंड में साल 2024 में करीब 59 भूकंप रिकॉर्ड (PHOTO- ETV Bharat)

छोटे भूकंप आने से कम नहीं होती है बड़े भूकंप की संभावना: विनीत कुमार गहलोत ने बताया कि किसी भी जगह पर छोटे-छोटे भूकंप आने से एक बड़े भूकंप आने की संभावना कम नहीं होती है. क्योंकि एक बड़े भूकंप की एनर्जी छोटे भूकंप के मुकाबले कई गुना अधिक होती है. यानी अगर तीन मैग्नीट्यूड का भूकंप 30 बार आता है, तो उसमें जितनी एनर्जी रिलीज होगी, उतनी एनर्जी चार मैग्नीट्यूड के भूकंप में एक साथ रिलीज होगी. ऐसे में यह छोटे-छोटे भूकंप भूगर्भ से कोई खास एनर्जी रिलीज नहीं करते हैं. लिहाजा छोटे-छोटे भूकंप के आने से ना तो बड़े भूकंप के आने की संभावना खत्म होती है और ना ही कम होती है.

बड़े भूकंप में सीस्मिक गैप की भी थ्योरी करती है काम:विनीत कुमार गहलोत ने बताया कि बड़े भूकंप में एक सीस्मिक गैप की भी थ्योरी काम करती है. जिसके अनुसार, जिन क्षेत्रों में लगातार भूकंप आते हैं और बड़े भूकंप भी पहले उस क्षेत्र में आ चुके हैं. ऐसे में माना जाता है कि उस क्षेत्र में कोई ऐसा सोर्स है, जिसकी वजह से भूगर्भ में एनर्जी एकत्र हो रही है. लिहाजा जिस क्षेत्र में टेक्निक एक्टिविटी जारी है, लेकिन कई सौ सालों से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में माना जाता है कि उस क्षेत्र के भू गर्भ में एनर्जी एकत्र हो रही होगी. यानी उस क्षेत्र में बड़ा भूकंप आने की संभावना अधिक हो जाती हैं, जिसे सीस्मिक गैप माना जाता है.

कुमाऊं और पश्चिमी नेपाल के बीच का क्षेत्र सीस्मिक गैप:वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. विनीत कुमार गहलोत ने बताया कि हिमालय में तमाम सीस्मिक गैप हैं. जिसमें से सबसे बड़ा सीस्मिक गैप, कुमाऊं और पश्चिमी नेपाल के बीच का क्षेत्र है, क्योंकि इस क्षेत्र में सालों से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. हालांकि, ऐसा कहा जाता रहा है कि 1344 में एक बड़ा भूकंप आया था. जिस वजह से उत्तराखंड के कुमाऊं और पश्चिमी नेपाल के बीच के क्षेत्र को काफी संवेदनशील माना जा रहा है, जहां बड़ा भूकंप आने की संभावना है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के पास इसका प्रमाण है कि इस क्षेत्र में एनर्जी लगातार एकत्र हो रही है. जियोलॉजी में ऐसा कहा जाता है कि "जो आज हो रहा है वह पीछे भी हो रहा था और आगे भी होता रहेगा". अगर इस थ्योरी को मानें तो कुमाऊं और पश्चिमी नेपाल के बीच के क्षेत्र में बड़ा भूकंप आने की संभावना होगी. लिहाजा कोई भी बड़ा भूकंप सीस्मिक गैप के क्षेत्र में आ सकता है.

साल 2007 में खरसाली में 5.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था:वहीं, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक नरेश कुमार ने बताया कि उत्तरकाशी में पिछले कुछ दिनों से जो लगातार भूकंप आ रहे हैं, वह भूकंप 3 मैग्नीट्यूड के आसपास के हैं. हालांकि, एक भूकंप 3.5 मैग्नीट्यूड का आया था. ऐसे में इस तरह के भूकंप का आना एक नेचुरल प्रोसेस है, लेकिन हमें सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि पिछले कुछ दिनों में भूकंप की एक्टिविटी बड़ी है, जिसे कुछ दिनों तक मॉनिटरिंग करने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सीस्मिक जोन 4 और 5 में आता है, खासकर उत्तरकाशी का क्षेत्र जोन 5 में आता है. उत्तरकाशी में 1991 में 6.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप पहले ही आ चुका है. साल 2007 में खरसाली में करीब 5.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप आ चुका है.

भूकंप कब आएगा ये सिर्फ संभावना अनुमान नहीं:वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक नरेश कुमार ने बताया कि उत्तरकाशी भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील है. ऐसे में यहां भूकंप आते रहते हैं. कभी-कभी भूकंप की एक्टिविटी बढ़ जाती है , तो कभी-कभी भूकंप की एक्टिविटी कम हो जाती है. सीस्मिक गैप है, जिसके चलते यहां भूकंप आने की संभावना है और खासकर हिमालय में कभी भी भूकंप आ सकता है. हालांकि, भूकंप कब आएगा ये सिर्फ संभावना है, लेकिन इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अभी तक यह साबित नहीं हुआ है कि किसी बड़े भूकंप के आने से पहले छोटे-छोटे भूकंप आए हो, लेकिन हमें सतर्क रहने की जरूरत है कि स्वार्म भूकंप के बाद हो सकता है की कोई बड़ा भूकंप आए.

उत्तराखंड में साल 2024 में करीब 59 भूकंप आए थे:वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड में साल 2024 में करीब 59 भूकंप आए थे. जिसमें से 43 भूकंप 2.0 से 3.0 मैग्नीट्यूड के थे. 15 भूकंप 3.0 से 3.9 मैग्नीट्यूड के बीच के थे. इसके साथ ही केवल एक भूकंप 4.1 मैग्नीट्यूड थ, जिसको लोगों ने महसूस किया था. ये सभी भूकंप पिथौरागढ़, चमोली, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और कुछ टिहरी जिलों के उत्तरी भाग में दर्ज किए गए हैं.

सभी भूकंप उच्च हिमालय के नीचे आए:वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों की ओर से किए गए अध्ययन के अनुसार, ये सभी भूकंप उच्च हिमालय के नीचे आए हैं. उत्तरकाशी में साल 1991 में आए 6.6 मैग्नीट्यूड के भूकंप ने बड़ी तबाही मचाई थी. इस भूकंप में करीब 768 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 1800 लोग बुरी तरह से घायल हो गए थे. साथ ही लगभग तीन हजार परिवार बेघर हो गए थे. वहीं, साल 1999 में चमोली जिले में 6.4 मैग्नीट्यूड का भूकंप, साल 2007 में खरशाली में 5.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप और साल 2017 में रुद्रप्रयाग जिले में 5.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.

विश्व में साल 2024 में करीब 13,672 भूकंप आए थे:विश्व में हर साल करीब 15 से 16 हजार बड़े भूकंप आते हैं. वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी से मिली जानकारी के अनुसार, साल 2024 में विश्व भर में करीब 13,672 भूकंप आए थे. जिसमें 10 भूकंप 7.0 से 7.9 मैग्नीट्यूड, 90 भूकंप 6.0 से 6.9 मैग्नीट्यूड, 1403 भूकंप 5.0 से 5.9 मैग्नीट्यूड, 12,196 भूकंप 4.0 से 4.9 मैग्नीट्यूड के थे. इसके अलावा, 4.0 मैग्नीट्यूड से कम के हजारों भूकंप हर साल आते हैं, जो अधिकांश जगहों पर लोगों को महसूस भी नहीं होते हैं. इसके अलावा, साल 2023 में 15,600 भूकंप, साल 2022 में 15,438 भूकंप और साल 2021 में 16,849 भूकंप आए थे.

साल 2024 में देश-दुनिया में आए बड़े भूकंप

  • 1 जनवरी 2024 को जापान के नोटो प्रायद्वीप पर 7.5 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
  • 2 अप्रैल में ताइवान के हुआलिएन काउंटी में 7.4 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
  • 19 जुलाई को चिली के एंटीफगस्ता में 7.4 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
  • 17 दिसंबर को वानुअतु के शेफा में 7.3 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
  • 28 जून को पेरू के अरेक्यूपा में 7.2 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
  • 8 अगस्त को जापान के मियाजाकी में 7.1 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
  • 11 जुलाई को फिलीपींस के सॉक्सक्सर्जन में 7.1 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
  • 22 जनवरी को चीन के शिनजियांग में 7.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
  • 5 दिसंबर को यूनाइटेड स्टेट के कैलिफोर्निया में 7.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.
  • 17 अगस्त को रूस के कमचातका क्राय में 7.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था.

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Last Updated : Feb 2, 2025, 12:22 PM IST

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