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सुप्रीम कोर्ट का वायुसेना को निर्देश, भूतपूर्व कर्मी को ₹18 लाख भुगतान करे

SC IAF veteran compensation: सुप्रीम कोर्ट ने वायुसेना को एचआईवी से संक्रमित हुए एक भूतपूर्व कर्मी को मुआवजा के रूप में 18 लाख रुपये तुरंत भुगतान करने के निर्देश दिए. जम्मू-कश्मीर के एक सैन्य अस्पताल में संक्रमित रक्त चढ़ाने के कारण वह एचआईवी रोग से ग्रसित हो गए थे.

Instructions to pay Rs 18 lakh to former Air Force personnel
वायुसेना के भूतपूर्व कर्मी को 18 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 6, 2024, 2:19 PM IST

नई दिल्ली:उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को निर्देश दिया कि 2002 में जम्मू कश्मीर के सांबा में एक सैन्य अस्पताल में संक्रमित रक्त चढ़ाये जाने के कारण एचआईवी से संक्रमित हुए भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के एक भूतपूर्व कर्मी को मुआवजे के रूप में तत्काल 18 लाख रुपये का भुगतान किया जाए. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 26 सितंबर को भूतपूर्व कर्मी की याचिका पर दिए गए अपने फैसले में भारतीय वायुसेना को उन्हें मुआवजे के रूप में लगभग 1.5 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था.

भूतपूर्व कर्मी 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर आतंकवादी हमले के बाद शुरू किए गए 'ऑपरेशन पराक्रम' के दौरान बीमार हो गया था और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उसे एक यूनिट रक्त चढ़ाना पड़ा था. शीर्ष अदालत द्वारा 2023 के फैसले में जारी निर्देशों की अवमानना का आरोप लगाने वाली उनकी याचिका मंगलवार को न्यायमूर्ति बी आर गवई और संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आयी.

यह आदेश देने के अलावा कि उसे तत्काल 18 लाख रुपये का भुगतान किया जाए, शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि उसे यहां बेस अस्पताल में उपचार प्रदान किया जाए और प्रत्येक यात्रा के लिए यात्रा एवं प्रवास खर्च के लिए 25,000 रुपये का भुगतान किया जाए. पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि कर्मी को विकलांगता पेंशन का भुगतान करने के लिए उनकी विकलांगता को 100 प्रतिशत माना जाए. उसने इस मामले में न्यायमित्र एक वकील की इन दलीलों पर गौर किया कि कुछ मुद्दे हैं जिनका समाधान करने की आवश्यकता है.

न्यायमित्र ने 2023 के फैसले के एक पैरा का हवाला दिया जिसमें कहा गया था, 'जैसे-जैसे समय आगे बढ़ेगा, भूतपूर्व वायुसेना कर्मी को एक सहायक की सहायता की आवश्यकता होगी. ऐसे सहायक को लगभग 10,000 रुपये से 15,000 रुपये प्रति माह का भुगतान करना होगा. यदि बारह वर्षों के लिए औसत 10,000 रुपये से 15,000 रुपये (यानी 12,500 रुपये) की गणना की जाए, तो कुल राशि 18,00,000 रुपये होगी.'

न्यायमित्र ने ने विकलांगता पेंशन, उसके इलाज और यात्रा और रहने के खर्च सहित अन्य मुद्दे भी उठाए. पीठ ने कहा, 'इस बीच, हम प्रतिवादियों को निर्देश देते हैं कि वे याचिकाकर्ता को तुरंत 18 लाख रुपये का भुगतान करें.' पीठ ने कहा कि यह राशि उसके खाते में जमा की जाए. पीठ ने कहा कि शेष राशि, जो प्रतिवादी को उस व्यक्ति को देनी है, दो सप्ताह के भीतर शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा की जानी चाहिए.

पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) विक्रमजीत बनर्जी की दलीलों पर गौर किया कि 2023 के फैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली एक याचिका दायर की गई है और अवमानना याचिका को उसके नतीजे तक लंबित रखा जाना चाहिए. विकलांगता पेंशन के मुद्दे पर, उसने कहा कि एएसजी के अनुसार, एक मेडिकल बोर्ड उसकी विकलांगता का आकलन करेगा.

पीठ ने कहा, 'जहां तक विकलांगता पेंशन का सवाल है, हमने पाया है कि मामले के अजीब तथ्यों और परिस्थितियों में, अगर हम मेडिकल बोर्ड के माध्यम से आगे बढ़ने की अनुमति देते हैं, तो इससे मुकदमेबाजी का एक और दौर शुरू हो जाएगा.' उसने कहा, 'मामले को ध्यान में रखते हुए, हम प्रतिवादी को याचिकाकर्ता की विकलांगता को 100 प्रतिशत मानने और विकलांगता पेंशन का भुगतान करने का निर्देश देते हैं.' उसने कहा कि पेंशन हर महीने की 10वीं तारीख से पहले उसके खाते में जमा की जानी चाहिए. पीठ ने कहा कि यह जमा राशि मार्च 2024 से शुरू होगी और मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को तय की.

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