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'पराली जलाने के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की', सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए पूछे सवाल - No action against parali burning - NO ACTION AGAINST PARALI BURNING

सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पहले गठित सीएक्यूएम निकाय पर कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि आपका काम प्रदूषण पर नियंत्रण लगाना था, लेकिन ऐसा लगता है कि आपने पराली जलाने के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. पढ़ें पूरी खबर.

Supreme court
सुप्रीम कोर्ट (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 27, 2024, 7:16 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रदूषण नियंत्रण निकाय सीएक्यूएम को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि निकाय ने पराली जलाने के खिलाफ कोई भी प्रभावकारी कार्रवाई नहीं की है. सुनवाई के दौरान निकाय के अध्यक्ष राजेश वर्मा उपस्थित थे. न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति एजी मसीह ने मामले पर सुनवाई की.

कोर्ट ने कहा कि पराली हर साल जलाई जाती है, इसके बावजूद एक संस्था के रूप में आप कुछ नहीं कर रहे हैं और ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं, जबकि संकट सामने है, आप अपनी मीटिंग तीन महीने के अंतराल पर कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि जब संकट सामने हो तो क्या इतने लंबे अंतराल पर निकाय की बैठक की जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीएक्यूएम ने अधिनियम के एक भी प्रावधान की अनुपालना नहीं की है.

सीएक्टूएम पर बरसते हुए कोर्ट ने कहा कि क्या आपने अधिनियम की धारा 14 के तहत कोई एक्शन लिया, हमें लगता है कि आपने कोई कार्रवाई नहीं की है. कोर्ट ने कहा कि आप कागज पर भले ही कार्रवाई करते हों, लेकिन ग्राउंड पर ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है, आप एक मूक दर्शक की तरह देख रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस अधिनियम का क्या मतलब, जब आप उस पर अमल हीं नहीं करते हैं और उसके अधीन कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं, आप उल्लंघनकर्ता को कोई भी संदेश देने में विफल रहे हैं.

आपको बता दें कि इसी मामले में पिछले महीने 27 अगस्त को भी सुनवाई हुई थी. तब भी कोर्ट ने सीएक्यूएम को लताड़ लगाई थी. कोर्ट ने तब कहा था कि दिल्ली और एनसीआर के राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक तरीके से अप्रभावी हैं. उसी समय कोर्ट ने संबंधित निकाय से पूछा था कि पराली जलाने की स्थिति आने पर आप क्या कार्रवाई करते हैं, इसके बारे में बताइए.

कोर्ट ने प्रदूषण बोर्ड में हुई रिक्तियों पर भी कहा था कि आप 30 अप्रैल 2025 से पहले भर्ती कर लीजिए.

सीएक्यूएम ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब भी सौंपा था. इसमें उसने बताया कि उसने 10 हजार से अधिक फैक्ट्रियां बंद कर दीं और 15 सुझाव भी जारी किए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टीम ने 19 हजार से अधिक जगहों का निरीक्षण किया. इस पर कोर्ट ने कहा कि तीन साल में सीएक्यूएम ने सिर्फ 82 निर्देश ही जारी किए हैं और ये काफी नहीं हैं. आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने 2021 में सीएक्यूएम का गठन किया था. इसका मुख्य काम दिल्ली और एनसीआर क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए कदम उठाने को कहा गया था.

पराली जलाने से संबंधित मुख्य बातें

  • इसके जलाने से मिट्टी और वायु में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है. मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है.
  • इसके जलाए जाने की वजह से हवा में कार्बनडॉयक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है.
  • सीओ2 कोे बढ़ने के कारण ग्रीनहाउस प्रभावित होता है.
  • पराली जलाए जाने की वजह से मिट्टी का टेंपरेचर बढ़ जाता है और इसकी नमी कम हो जाती है.
  • मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हो जाते हैं.
  • आईपीसी की धारा 188 के तहत पराली जलाना अपराधा है.
  • कुछ पर्यावरणविदों ने पराली जलाए जाने की जगह पर सुझाव भी दिए हैं. उनके अनुसार बेहतर होगा कि किसान पराली को मिट्टी में मिला दें. या फिर पराली को बेच दें, जिसका इस्तेमाल कागज उद्योग या भी बिजली संयंत्रों में हो सकता है.

कब जलाया जाता है पराली

  • आम तौर पर सितंबर महीने में किसान पराली को जलाते हैं. दरअसल, पराली धान की ठूंठ होती है. इस पुआल के ठूंठ को किसान जलाते हैं. गेहूं की फसल लगाने से पहले किसान पराली को जलाते हैं. पंजाब, हरियाणा, प. यूपी और दिल्ली के कुछ इलाकों में यह आम प्रचलन है.
  • आपको बता दें कि पंजाब में चावल की पराली अधिक जलाई जाती है, जबकि प.यूपी में गेहूं की पराली जलाई जाती है.

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