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'कुआं ही नहीं, संभल मस्जिद भी सरकारी जमीन पर'! सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार का बड़ा दावा - SAMBHAL MOSQUE WELL ROW

संभल मस्जिद कुआं विवाद में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'कुआं मस्जिद के अंदर नहीं बल्कि सार्वजनिक भूमि पर स्थित है'.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (IANS)

By Sumit Saxena

Published : Feb 24, 2025, 7:00 PM IST

नई दिल्लीःयूपी के संभल में शाही जामा मस्जिद के प्रवेश द्वार के पास स्थित कुआं सार्वजनिक भूमि पर बना है. यह मस्जिद के अंदर नहीं है और इसका मस्जिद से कोई संबंध नहीं है. यहां तक ​​कि धार्मिक स्थल भी सार्वजनिक भूमि पर स्थित है. सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामा में ये बातें कहीं. राज्य सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता सार्वजनिक संपत्ति के संबंध में निजी अधिकार बनाने का प्रयास कर रहे हैं.

पिछली सुनवाई में क्या हुआ थाः 10 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि संभल में शाही जामा मस्जिद के प्रवेश द्वार के पास स्थित कुएं के संबंध में यथास्थिति बनाए रखी जाए. भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने प्रतिवादियों को दो सप्ताह के भीतर अपने जवाबी हलफनामे और स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. मामले की सुनवाई 25 फरवरी को निर्धारित की गई थी. वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व किया था और अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व किया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने तर्क दिया कि उस स्थान के आसपास स्थिति शांतिपूर्ण थी, लेकिन आवेदक ने मुद्दा बनाने की कोशिश की.

तीन सदस्यीय टीम ने तैयार की रिपोर्टः राज्य सरकार ने कहा कि जिला प्रशासन ने संबंधित कुएं की स्थिति की जांच करने के लिए एसडीएम संभल, क्षेत्र अधिकारी, संभल और कार्यकारी अधिकारी, नगर पालिका परिषद, संभल की तीन सदस्यीय समिति बनाई थी. "रिकॉर्ड की जांच करने पर पता चला कि याचिकाकर्ता यह बताने में विफल रहा है कि विवादित धार्मिक स्थल की चारदीवारी के भीतर वास्तव में एक कुआं है जिसे स्थानीय रूप से 'यज्ञ कूप' के रूप में जाना जाता है. यह प्रस्तुत किया गया है कि उक्त 'यज्ञ कूप' में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है. 3 सदस्यीय समिति ने निरीक्षण में पाया कि संबंधित कुआं मस्जिद की चारदीवारी के बाहर स्थित है.

कुआं की तस्वीर पेश कीः राज्य सरकार ने कहा कि मस्जिद समिति ने भ्रामक तस्वीरें संलग्न की हैं, जिनसे यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि संबंधित कुआं उसके परिसर के अंदर स्थित है. उसने संबंधित कुआं की कुछ तस्वीरें प्रस्तुत की, जिनसे पता चलता है कि यह मस्जिद के बाहर है. राज्य सरकार ने कहा कि मस्जिद समिति का आवेदन गलत है और सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष तथ्यात्मक गलतबयानी करता है.

कुआं का प्रयोग सभी धर्मों के लोग करते थेः राज्य सरकार ने हलफनामा में कहा कि निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि इस कुएं का उपयोग सभी समुदायों के लोगों द्वारा अनादि काल से किया जा रहा है. हालांकि, अब इसमें पानी नहीं है. यह भी पाया गया कि 1978 के सांप्रदायिक दंगों के बाद, कुएं के एक हिस्से के ऊपर एक पुलिस चौकी बनाई गई थी. दूसरा हिस्सा 1978 के बाद भी उपयोग में रहा. यह भी पाया गया कि 2012 में किसी समय इस कुएं को ढक दिया गया था. वर्तमान में कुएं में पानी नहीं है.

ऐतिहासिक कुओं के संरक्षण की योजनाः राज्य सरकार ने कहा कि जिला प्रशासन संभल जिले में सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थलों को पुनर्जीवित करने की चल रही योजना में शामिल है, जिसमें 19 ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण कुओं का संरक्षण और जीर्णोद्धार शामिल है. यह कुआं 19 कुओं में से एक है. इसमें कहा गया कि ऐसे 14 कुओं के संरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है, जिस पर 123.65 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है.

क्या है संरक्षण योजना मेंः राज्य सरकार ने कहा कि पुनरुद्धार योजना के शुरुआती चरण में, नगर पालिका ने शहर के सभी कुओं को पूरी तरह से साफ करवा दिया है. जो बंद थे या कीचड़ और कचरे से भरे हुए थे, सुरक्षा के लिए जालियां लगाई गई हैं. कुओं के ऐतिहासिक नाम और ऐतिहासिक महत्व वाले साइन बोर्ड लगाए जा रहे हैं. अगले चरणों में परिक्रमा पथ का निर्माण, पीने के पानी की सुविधा, कुओं के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाने वाले बोर्ड लगाना शामिल होगा.

जीर्णोद्धार की तत्काल आवश्यकताः राज्य सरकार ने कहा कि वर्तमान में संभल जिला भूजल स्तर के मामले में डार्क जोन में है और इसलिए भूजल पुनर्भरण के लिए कुओं के जीर्णोद्धार की तत्काल आवश्यकता है. संभल कुआं पुनरुद्धार योजना इस लक्ष्य को सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है. इन प्राचीन कुओं के पुनरुद्धार से सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में संभल में पर्यटन को भी आकर्षित किया जा सकेगा. इस प्रकार, याचिकाकर्ता द्वारा उक्त पुनरुद्धार प्रक्रिया को विफल करने का प्रयास न केवल अवैध है, बल्कि क्षेत्र के पारिस्थितिक संरक्षण और विकास के लिए भी हानिकारक है.

क्या है विवादःपिछले साल नवंबर में सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पुलिस और संभल जिला प्रशासन को पूरी तरह से तटस्थ रहने और इलाके में हिंसा के बाद शांति बनाए रखने को कहा था. जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी. प्रदर्शनकारियों ने एक सर्वेक्षण को लेकर पुलिस के साथ झड़प की थी. जिसका आदेश एक सिविल कोर्ट ने दिया था, ताकि हिंदू वादियों के इस दावे की पुष्टि की जा सके कि मस्जिद 16वीं शताब्दी में एक मंदिर के ऊपर बनाई गई थी. सर्वोच्च न्यायालय ने स्थानीय अदालत में दीवानी कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. एडवोकेट कमिश्नर द्वारा तैयार मस्जिद सर्वेक्षण रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने का निर्देश दिया था.

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