नई दिल्लीःयूपी के संभल में शाही जामा मस्जिद के प्रवेश द्वार के पास स्थित कुआं सार्वजनिक भूमि पर बना है. यह मस्जिद के अंदर नहीं है और इसका मस्जिद से कोई संबंध नहीं है. यहां तक कि धार्मिक स्थल भी सार्वजनिक भूमि पर स्थित है. सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामा में ये बातें कहीं. राज्य सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता सार्वजनिक संपत्ति के संबंध में निजी अधिकार बनाने का प्रयास कर रहे हैं.
पिछली सुनवाई में क्या हुआ थाः 10 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि संभल में शाही जामा मस्जिद के प्रवेश द्वार के पास स्थित कुएं के संबंध में यथास्थिति बनाए रखी जाए. भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने प्रतिवादियों को दो सप्ताह के भीतर अपने जवाबी हलफनामे और स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था. मामले की सुनवाई 25 फरवरी को निर्धारित की गई थी. वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व किया था और अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व किया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने तर्क दिया कि उस स्थान के आसपास स्थिति शांतिपूर्ण थी, लेकिन आवेदक ने मुद्दा बनाने की कोशिश की.
तीन सदस्यीय टीम ने तैयार की रिपोर्टः राज्य सरकार ने कहा कि जिला प्रशासन ने संबंधित कुएं की स्थिति की जांच करने के लिए एसडीएम संभल, क्षेत्र अधिकारी, संभल और कार्यकारी अधिकारी, नगर पालिका परिषद, संभल की तीन सदस्यीय समिति बनाई थी. "रिकॉर्ड की जांच करने पर पता चला कि याचिकाकर्ता यह बताने में विफल रहा है कि विवादित धार्मिक स्थल की चारदीवारी के भीतर वास्तव में एक कुआं है जिसे स्थानीय रूप से 'यज्ञ कूप' के रूप में जाना जाता है. यह प्रस्तुत किया गया है कि उक्त 'यज्ञ कूप' में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है. 3 सदस्यीय समिति ने निरीक्षण में पाया कि संबंधित कुआं मस्जिद की चारदीवारी के बाहर स्थित है.
कुआं की तस्वीर पेश कीः राज्य सरकार ने कहा कि मस्जिद समिति ने भ्रामक तस्वीरें संलग्न की हैं, जिनसे यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि संबंधित कुआं उसके परिसर के अंदर स्थित है. उसने संबंधित कुआं की कुछ तस्वीरें प्रस्तुत की, जिनसे पता चलता है कि यह मस्जिद के बाहर है. राज्य सरकार ने कहा कि मस्जिद समिति का आवेदन गलत है और सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष तथ्यात्मक गलतबयानी करता है.
कुआं का प्रयोग सभी धर्मों के लोग करते थेः राज्य सरकार ने हलफनामा में कहा कि निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि इस कुएं का उपयोग सभी समुदायों के लोगों द्वारा अनादि काल से किया जा रहा है. हालांकि, अब इसमें पानी नहीं है. यह भी पाया गया कि 1978 के सांप्रदायिक दंगों के बाद, कुएं के एक हिस्से के ऊपर एक पुलिस चौकी बनाई गई थी. दूसरा हिस्सा 1978 के बाद भी उपयोग में रहा. यह भी पाया गया कि 2012 में किसी समय इस कुएं को ढक दिया गया था. वर्तमान में कुएं में पानी नहीं है.