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बुंदेलखंड में एक टीचर की मुहिम, रक्तदान से डरने वाले ग्रामीणों में जगाई अलख, महिलाएं भी आ रही हैं आगे - Sagar blood donation awareness

Sagar Teacher Blood Donation Drive: रक्तदान को महादान कहा गया है, लेकिन रक्तदान को लेकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में आज भी तमाम भ्रांतियां हैं. वे रक्तदान के लिए जल्दी आगे नहीं आते हैं. ऐसे में सागर के एक शिक्षक ने लोगों में रक्तदान के लिए अलख जगाया, पढ़िए पूरी कहानी

Sagar Teacher Blood Donation Drive
सागर के शिक्षक ने ग्रामीणों को किया रक्तदान के लिए प्रेरित

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 21, 2024, 3:30 PM IST

सागर के शिक्षक ने ग्रामीणों को किया रक्तदान के लिए प्रेरित

सागर।रक्तदान के प्रति शहरी इलाकों से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में आज भी डर का माहौल है. बुंदेलखंड में ग्रामीण इलाकों के लोग खून देने से कमजोरी और बीमारियों के डर से अपने करीबी लोगों को भी रक्तदान करने से घबराते हैं. लेकिन, सागर के जैसीनगर ब्लाॅक के प्राइमरी स्कूल में पदस्थ एक शिक्षक के साथ एक हादसे के बाद शिक्षक ने ग्रामीण इलाकों में रक्तदान और रक्तदान के प्रति जागरूकता की मुहिम छेड़ी है.

बुंदेलखंड में एक टीचर की मुहिम

शिक्षक का मानना है कि शहरी इलाकों में तो रक्तदान के लिए ज्यादा समस्या नहीं आती है. ग्रामीण इलाकों में लोगों के मन में रक्तदान को लेकर तरह-तरह की भ्रांतिया हैं. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करना कठिन काम था. लेकिन हम कुछ लोगों ने मिलकर लोगों को जागरूक करने का काम किया और आज ग्रामीण इलाकों में जागरूकता आयी है और लोग आगे बढ़कर रक्तदान कर रहे हैं.

कौन हैं रक्तदान के प्रति जागरूकता लाने वाले शिक्षक

सागर जिले के जैसीनगर विकासखंड की शासकीय प्राथमिक शाला ओरिया में पदस्थ शिक्षक सौमित्र पांडे इन दिनों काफी चर्चाओं में हैं. दरअसल, सौमित्र पांडे
के जुनून के चलते उनकी एक अलग पहचान बनी है. उनके प्रयासों से आज ग्रामीण क्षेत्रों में रक्तदान के प्रति जागरूकता आई है और लोग बढ़-चढ़कर रक्तदान करने लगे हैं. खास बात ये है कि सौमित्र पांडे और उनके साथियों के प्रयास से ग्रामीण इलाकों की महिलाएं भी रक्तदान करने आगे आ रही हैं.

रक्तदान के लिए लोगों को कर रहे प्रेरित

शिक्षक को कैसे मिली राह

एक प्राइमरी सरकारी स्कूल में शिक्षक सौमित्र पांडे बताते हैं कि साल 2019 में उनकी बहन को डेंगू हो गया था. जिसे इलाज के लिए बुंदेलखंड मेडिकल काॅलेज में भर्ती किया गया. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में 16 यूनिट खून के बाद भी खून की व्यवस्था करने के लिए कहा गया. लेकिन भारी कोशिश के बाद भी सागर में खून नहीं मिला. आनन फानन में परिजन उसे भोपाल ले गए और वहां रक्तदान करने आगे आए कुछ युवकों के कारण उनकी बहन की जान बच गयी. शिक्षक बताते हैं कि जिन परेशानियों से हम और हमारे परिवार के लोग उस दौरान गुजरे और खून का इंतजाम करने के लिए क्या-क्या करना पड़ा. तब मन में विचार आया कि कभी किसी के साथ ऐसे हालात न बने, इसके लिए काम करना होगा. इस घटना से मिले सबक और रक्तदाताओं की प्ररेणा से "मैंने तय किया कि लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करना है. मैनें साथियों को इस बारे में बताया और हम सभी लोगों ने 2020 से रक्तदान के प्रति जागरूकता के लिए काम शुरू किया."

ग्रामीण इलाकोंं में चला रहे मुहिम

शहरी क्षेत्रों में रक्तदान के प्रति लोग जागरूक होते हैं और कई ऐसे लोग हैं,जो रक्तदान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. लेकिन "मैनें देखा कि ग्रामीण इलाकों में तो रक्तदान का नाम सुनकर लोग तरह-तरह की बातें करते हैं और कमजोरी होने और बीमारी का बहाना बनाकर अपने परिजन और रिश्तेदार को भी खून देने से कतराते हैं. ऐसे में हम दोस्तों ने अवसर नाम की जन जागरूकता समिति का गठन किया और तय किया कि सबसे पहले ग्रामीण इलाकों में रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाएंगे. इसके लिए दुर्घटना के शिकार लोगों, डिलेवरी के दौरान खून की कमी के कारण महिलाओं की मौत वाले मामलों के परिजनों और ऐसे लोगों से मिले, जिनके परिजनों या परिचितों की मौत खून ना मिल पाने के कारण मौत हो गयी थी. इन उदाहरणों के जरिए हमने लोगों को समझाया और खासकर महिलाओं को बताया कि डिलेवरी के समय खून की कमी के चलते कितनी मौतें होती हैं. तब जाकर लोग जागरूक हुए और धीरे-धीरे रक्तदान के प्रति उनकी धारणा बदली."

जागरूकता के बाद ग्रामीण अंचल में लगाए शिविर

सौमित्र पांडे और उनके दोस्तों की मुहिम ने ऐसी अलख जगाई कि अब सौमित्र और उनकी टीम गांवों में रक्तदान शिविर लगाती है. सौमित्र पांडे और दोस्तों की बनायी अवसर समिति में आज कई युवा जुड़े हुए हैं, जो कभी भी लोगों को खून की जरूरत होती है,तो वह आगे आकर रक्तदान करते हैं. आज तक वह इस तरह से सैकड़ों लोगों की जान बचा चुके हैं.

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समिति के सदस्य कर चुके दर्जनों बार रक्तदान

लोगों को जागरूक करने के लिए शिक्षक सौमित्र पांडे खुद 15 बार रक्तदान कर चुके हैं. उनकी समिति के सदस्य कई बार रक्तदान कर लोगों की जान बचा चुके हैं. उनके साथी विक्रम ठाकुर 34 बार रक्तदान कर चुके हैं. गोपाल नामदेव 27 बार,लक्ष्मण पटेल 12 बार रक्तदान कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि अगर हमारे रक्त से किसी की जान बचाई जा सकती है, तो इससे बड़ा पुण्य का कार्य हो नहीं सकता है.

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