सागर।रक्तदान के प्रति शहरी इलाकों से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में आज भी डर का माहौल है. बुंदेलखंड में ग्रामीण इलाकों के लोग खून देने से कमजोरी और बीमारियों के डर से अपने करीबी लोगों को भी रक्तदान करने से घबराते हैं. लेकिन, सागर के जैसीनगर ब्लाॅक के प्राइमरी स्कूल में पदस्थ एक शिक्षक के साथ एक हादसे के बाद शिक्षक ने ग्रामीण इलाकों में रक्तदान और रक्तदान के प्रति जागरूकता की मुहिम छेड़ी है.
शिक्षक का मानना है कि शहरी इलाकों में तो रक्तदान के लिए ज्यादा समस्या नहीं आती है. ग्रामीण इलाकों में लोगों के मन में रक्तदान को लेकर तरह-तरह की भ्रांतिया हैं. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करना कठिन काम था. लेकिन हम कुछ लोगों ने मिलकर लोगों को जागरूक करने का काम किया और आज ग्रामीण इलाकों में जागरूकता आयी है और लोग आगे बढ़कर रक्तदान कर रहे हैं.
कौन हैं रक्तदान के प्रति जागरूकता लाने वाले शिक्षक
सागर जिले के जैसीनगर विकासखंड की शासकीय प्राथमिक शाला ओरिया में पदस्थ शिक्षक सौमित्र पांडे इन दिनों काफी चर्चाओं में हैं. दरअसल, सौमित्र पांडे
के जुनून के चलते उनकी एक अलग पहचान बनी है. उनके प्रयासों से आज ग्रामीण क्षेत्रों में रक्तदान के प्रति जागरूकता आई है और लोग बढ़-चढ़कर रक्तदान करने लगे हैं. खास बात ये है कि सौमित्र पांडे और उनके साथियों के प्रयास से ग्रामीण इलाकों की महिलाएं भी रक्तदान करने आगे आ रही हैं.
शिक्षक को कैसे मिली राह
एक प्राइमरी सरकारी स्कूल में शिक्षक सौमित्र पांडे बताते हैं कि साल 2019 में उनकी बहन को डेंगू हो गया था. जिसे इलाज के लिए बुंदेलखंड मेडिकल काॅलेज में भर्ती किया गया. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में 16 यूनिट खून के बाद भी खून की व्यवस्था करने के लिए कहा गया. लेकिन भारी कोशिश के बाद भी सागर में खून नहीं मिला. आनन फानन में परिजन उसे भोपाल ले गए और वहां रक्तदान करने आगे आए कुछ युवकों के कारण उनकी बहन की जान बच गयी. शिक्षक बताते हैं कि जिन परेशानियों से हम और हमारे परिवार के लोग उस दौरान गुजरे और खून का इंतजाम करने के लिए क्या-क्या करना पड़ा. तब मन में विचार आया कि कभी किसी के साथ ऐसे हालात न बने, इसके लिए काम करना होगा. इस घटना से मिले सबक और रक्तदाताओं की प्ररेणा से "मैंने तय किया कि लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करना है. मैनें साथियों को इस बारे में बताया और हम सभी लोगों ने 2020 से रक्तदान के प्रति जागरूकता के लिए काम शुरू किया."