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ये समाज तीसरी संतान पैदा करने पर देता है 51 हजार, 2030 तक 100 IAS IPS बनाने की जिद्द - MAHESWARI SAMAJ MISSION IAS

अखिल भारतीय माहेश्वरी समाज ने अपने समाज के 100 युवाओं को 2030 तक आईएस और आईपीएस बनाने का लक्ष्य रखा है.

MAHESWARI SAMAJ MISSION IAS
बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लिए लोन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 25, 2025, 3:31 PM IST

Updated : Jan 25, 2025, 3:48 PM IST

जबलपुर (विश्वजीत सिंह राजपूत) : हमारे समाज में जातीय आधार पर तमाम सामाजिक संगठन बने हुए हैं. जिसमें से ज्यादातर संगठन धार्मिक आयोजन या सामाजिक आयोजन तक सीमित रह जाते हैं. सामाजिक संगठनों से लोगों को आर्थिक सहयोग नहीं मिलता, इसलिए आम आदमी की सामाजिक संगठनों में भागीदारी भी बहुत अधिक नहीं होती. इन सब के बीच एक सामाजिक संगठन ऐसा भी है, जो अपने समाज के युवाओं को कलेक्टर और एसपी बनने में मदद कर रहा है. कारोबार करने के लिए लोन दे रहा है. हम बात कर रहे हैं माहेश्वरी समाज की, जिसने 2030 तक पूरे भारत में 100 से ज्यादा आईएस, आईपीएस बनाने का लक्ष्य रखा है.

होनहार बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाता है समाज

माहेश्वरी समाज के जबलपुर जिलाध्यक्ष शरद काबरा का कहना है कि "माहेश्वरी समाज अपने होनहार बच्चों के लिए एक विशेष योजना चला रहा है. इसके तहत भारत भर में माहेश्वरी समाज के ऐसे बच्चों की तन-मन-धन से मदद कर रहा है, जिनमें यूपीएससी की परीक्षा को पास करने की काबिलियत है." माहेश्वरी समाज के सदस्य नवनीत माहेश्वरी का कहना है कि "हम ऐसे बच्चों को देश के अच्छे कोचिंग संस्थानों में भेजते हैं. वहां उन बच्चों के रहन-सहन और खानपान की व्यवस्था कराते हैं."

तीसरा बच्चा पैदा करने पर 51 हजार की मदद (ETV Bharat)

इसके पीछे माहेश्वरी समाज का मानना है कि उनका समाज मूल रूप से व्यवसाय और कारोबार करता है. इसलिए जोखिम उठाने की क्षमता सामान्य लोगों से ज्यादा होती है. यदि इन क्षमताओं वाला व्यक्ति सरकार में पहुंचते हैं, तो इसका फायदा पूरे समाज को होगा.

100 से ज्यादा आईएएस-आईपीएस बनाने का लक्ष्य

नवनीत माहेश्वरी ने बताया कि "माहेश्वरी समाज व्यापार के साथ शिक्षा में भी आगे है. उनके समाज के बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर और चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं. उनके समाज के लोग सामान्य तौर पर दूसरों की नौकरियां करना ठीक नहीं समझते, बल्कि अपने कारोबार को विकसित करना बेहतर समझते हैं, लेकिन अब समाज ने यह महसूस किया कि आईएएस और आईपीएस बनकर भी समाज की सेवा की जा सकती है. इसलिए 2030 तक माहेश्वरी समाज ने 100 युवाओं को भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित करवाने का लक्ष्य रखा है."

Maheshwari Charitable Trust help
बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाता है समाज का ट्रस्ट (ETV Bharat)

बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लिए लोन

शरद काबरा बताते हैं कि "माहेश्वरी समाज के बेरोजगार युवाओं को समाज के माध्यम से 5 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है. इसके लिए लोन लेने वाले सदस्य का वेरिफिकेशन समाज के सदस्य करते हैं और कारोबारी युवा को काम करने में मदद दी जाती है. व्यापार की विपरीत परिस्थितियों में लोन को चुकता करने के लिए भी मदद की जाती है." शरद काबरा का कहना है कि इस तरह के सामाजिक लोन की वजह से सैकड़ों युवाओं ने अपना कारोबार खड़ा कर लिया है.

विधवा महिलाओं को हर माह मिलती है सहायता

माहेश्वरी समाज, समाज की विधवा और निराश्रित महिलाओं को 3500 रुपया प्रति माह की मदद देता है. यह पैसा हर माह इन महिलाओं के बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता है. शरद कबरा बताते हैं कि "वे जब छोटे थे तब यह राशि 300 रुपए प्रति माह थी, जिसे मनी ऑर्डर के माध्यम से निराश्रित महिलाओं तक पहुंचाया जाता था. आज भी यह क्रम जारी है."

Maheshwari society target 100 IAS
5 साल में 100 युवाओं को आईएएस-आईपीएस बनाने का लक्ष्य (ETV Bharat)
हेल्थ इंश्योरेंस का कॉन्सेप्ट हमारे समाज में अभी आया है, लेकिन माहेश्वरी समाज बहुत पहले से अपने समाज के लोगों के इलाज के लिए मदद करता रहा है. पहले लोग आपस में पैसा इकट्ठा करके अस्पताल में दे देते थे, लेकिन अब इसके लिए बाकायदा एक फंड बनाया गया है और बीमार व्यक्ति के परिजन को अस्पताल में भर्ती होते ही यह मदद दे दी जाती है.

तीसरा बच्चा पैदा करने पर 51 हजार की मदद

शरद काबरा ने बताया कि "एक समय माहेश्वरी समाज की भारत भर में आबादी 21 लाख के करीब थी, जो घटकर अब 7 लाख 50 हजार बची है. दरअसल, सरकार की नीति के तहत लोगों ने कम बच्चे पैदा करना शुरू कर दिया, इसलिए समाज को यह अपील करनी पड़ी की यदि कोई परिवार तीसरा बच्चा पैदा करता है तो समाज ऐसे परिवार को 51 हजार तक की मदद करेगा."

शरद काबरा का कहना है कि "भारत में पारसी समाज भी एक कारोबारी समाज है, लेकिन पारसियों की संख्या भी लगातार घटती जा रही है. कुछ ऐसी ही स्थिति माहेश्वरी समाज की भी बन रही है. यदि समाज में जोखिम उठाने वाले कारोबारी नहीं रहेंगे, तो इससे पूरे देश का नुकसान है." उनका दावा है कि भारत की कुल जीडीपी में माहेश्वरी समाज के कारोबारियों का योगदान लगभग 20% है.

माहेश्वरी चैरिटेबल ट्रस्ट से होती है मदद

शरद काबरा ने बताया कि "इन सब आर्थिक मदद में पैसे की जरूरत होती है. इसके लिए मध्य प्रदेश के माहेश्वरी समाज ने मिलकर माहेश्वरी चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया है. इसमें माहेश्वरी समाज के सभी लोग दान करते हैं. इसके अलावा कई फंड, ट्रस्ट और फाउंडेशन का है, जिनमें समाज के बड़े कारोबारी लोग खुलकर दान करते हैं. इन सबसे एक बहुत बड़ी रकम जमा की हुई है और उसी के ब्याज मात्र से बहुत से सामाजिक काम पूरे हो जाते हैं. इसमें हर साल नया दान भी जुड़ता जा रहा है."

माहेश्वरी मारवाड़ी समाज का इतिहास

माहेश्वरी मारवाड़ी समाज मूल रूप से राजस्थान के मारवाड़ इलाके के हैं. यह कारोबार करने वाला समाज है. माहेश्वरी शब्द भगवान महेश से उत्पन्न हुआ है. मारवाड़ी समाज ने कारोबार के सिलसिले में सदियों पहले राजस्थान को छोड़कर देश के अलग-अलग शहरों में अपने ठिकाने बनाए थे. आज भी यह भारत का एक समृद्ध समाज है.

जबलपुर (विश्वजीत सिंह राजपूत) : हमारे समाज में जातीय आधार पर तमाम सामाजिक संगठन बने हुए हैं. जिसमें से ज्यादातर संगठन धार्मिक आयोजन या सामाजिक आयोजन तक सीमित रह जाते हैं. सामाजिक संगठनों से लोगों को आर्थिक सहयोग नहीं मिलता, इसलिए आम आदमी की सामाजिक संगठनों में भागीदारी भी बहुत अधिक नहीं होती. इन सब के बीच एक सामाजिक संगठन ऐसा भी है, जो अपने समाज के युवाओं को कलेक्टर और एसपी बनने में मदद कर रहा है. कारोबार करने के लिए लोन दे रहा है. हम बात कर रहे हैं माहेश्वरी समाज की, जिसने 2030 तक पूरे भारत में 100 से ज्यादा आईएस, आईपीएस बनाने का लक्ष्य रखा है.

होनहार बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाता है समाज

माहेश्वरी समाज के जबलपुर जिलाध्यक्ष शरद काबरा का कहना है कि "माहेश्वरी समाज अपने होनहार बच्चों के लिए एक विशेष योजना चला रहा है. इसके तहत भारत भर में माहेश्वरी समाज के ऐसे बच्चों की तन-मन-धन से मदद कर रहा है, जिनमें यूपीएससी की परीक्षा को पास करने की काबिलियत है." माहेश्वरी समाज के सदस्य नवनीत माहेश्वरी का कहना है कि "हम ऐसे बच्चों को देश के अच्छे कोचिंग संस्थानों में भेजते हैं. वहां उन बच्चों के रहन-सहन और खानपान की व्यवस्था कराते हैं."

तीसरा बच्चा पैदा करने पर 51 हजार की मदद (ETV Bharat)

इसके पीछे माहेश्वरी समाज का मानना है कि उनका समाज मूल रूप से व्यवसाय और कारोबार करता है. इसलिए जोखिम उठाने की क्षमता सामान्य लोगों से ज्यादा होती है. यदि इन क्षमताओं वाला व्यक्ति सरकार में पहुंचते हैं, तो इसका फायदा पूरे समाज को होगा.

100 से ज्यादा आईएएस-आईपीएस बनाने का लक्ष्य

नवनीत माहेश्वरी ने बताया कि "माहेश्वरी समाज व्यापार के साथ शिक्षा में भी आगे है. उनके समाज के बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर और चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं. उनके समाज के लोग सामान्य तौर पर दूसरों की नौकरियां करना ठीक नहीं समझते, बल्कि अपने कारोबार को विकसित करना बेहतर समझते हैं, लेकिन अब समाज ने यह महसूस किया कि आईएएस और आईपीएस बनकर भी समाज की सेवा की जा सकती है. इसलिए 2030 तक माहेश्वरी समाज ने 100 युवाओं को भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित करवाने का लक्ष्य रखा है."

Maheshwari Charitable Trust help
बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाता है समाज का ट्रस्ट (ETV Bharat)

बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लिए लोन

शरद काबरा बताते हैं कि "माहेश्वरी समाज के बेरोजगार युवाओं को समाज के माध्यम से 5 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है. इसके लिए लोन लेने वाले सदस्य का वेरिफिकेशन समाज के सदस्य करते हैं और कारोबारी युवा को काम करने में मदद दी जाती है. व्यापार की विपरीत परिस्थितियों में लोन को चुकता करने के लिए भी मदद की जाती है." शरद काबरा का कहना है कि इस तरह के सामाजिक लोन की वजह से सैकड़ों युवाओं ने अपना कारोबार खड़ा कर लिया है.

विधवा महिलाओं को हर माह मिलती है सहायता

माहेश्वरी समाज, समाज की विधवा और निराश्रित महिलाओं को 3500 रुपया प्रति माह की मदद देता है. यह पैसा हर माह इन महिलाओं के बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता है. शरद कबरा बताते हैं कि "वे जब छोटे थे तब यह राशि 300 रुपए प्रति माह थी, जिसे मनी ऑर्डर के माध्यम से निराश्रित महिलाओं तक पहुंचाया जाता था. आज भी यह क्रम जारी है."

Maheshwari society target 100 IAS
5 साल में 100 युवाओं को आईएएस-आईपीएस बनाने का लक्ष्य (ETV Bharat)
हेल्थ इंश्योरेंस का कॉन्सेप्ट हमारे समाज में अभी आया है, लेकिन माहेश्वरी समाज बहुत पहले से अपने समाज के लोगों के इलाज के लिए मदद करता रहा है. पहले लोग आपस में पैसा इकट्ठा करके अस्पताल में दे देते थे, लेकिन अब इसके लिए बाकायदा एक फंड बनाया गया है और बीमार व्यक्ति के परिजन को अस्पताल में भर्ती होते ही यह मदद दे दी जाती है.

तीसरा बच्चा पैदा करने पर 51 हजार की मदद

शरद काबरा ने बताया कि "एक समय माहेश्वरी समाज की भारत भर में आबादी 21 लाख के करीब थी, जो घटकर अब 7 लाख 50 हजार बची है. दरअसल, सरकार की नीति के तहत लोगों ने कम बच्चे पैदा करना शुरू कर दिया, इसलिए समाज को यह अपील करनी पड़ी की यदि कोई परिवार तीसरा बच्चा पैदा करता है तो समाज ऐसे परिवार को 51 हजार तक की मदद करेगा."

शरद काबरा का कहना है कि "भारत में पारसी समाज भी एक कारोबारी समाज है, लेकिन पारसियों की संख्या भी लगातार घटती जा रही है. कुछ ऐसी ही स्थिति माहेश्वरी समाज की भी बन रही है. यदि समाज में जोखिम उठाने वाले कारोबारी नहीं रहेंगे, तो इससे पूरे देश का नुकसान है." उनका दावा है कि भारत की कुल जीडीपी में माहेश्वरी समाज के कारोबारियों का योगदान लगभग 20% है.

माहेश्वरी चैरिटेबल ट्रस्ट से होती है मदद

शरद काबरा ने बताया कि "इन सब आर्थिक मदद में पैसे की जरूरत होती है. इसके लिए मध्य प्रदेश के माहेश्वरी समाज ने मिलकर माहेश्वरी चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया है. इसमें माहेश्वरी समाज के सभी लोग दान करते हैं. इसके अलावा कई फंड, ट्रस्ट और फाउंडेशन का है, जिनमें समाज के बड़े कारोबारी लोग खुलकर दान करते हैं. इन सबसे एक बहुत बड़ी रकम जमा की हुई है और उसी के ब्याज मात्र से बहुत से सामाजिक काम पूरे हो जाते हैं. इसमें हर साल नया दान भी जुड़ता जा रहा है."

माहेश्वरी मारवाड़ी समाज का इतिहास

माहेश्वरी मारवाड़ी समाज मूल रूप से राजस्थान के मारवाड़ इलाके के हैं. यह कारोबार करने वाला समाज है. माहेश्वरी शब्द भगवान महेश से उत्पन्न हुआ है. मारवाड़ी समाज ने कारोबार के सिलसिले में सदियों पहले राजस्थान को छोड़कर देश के अलग-अलग शहरों में अपने ठिकाने बनाए थे. आज भी यह भारत का एक समृद्ध समाज है.

Last Updated : Jan 25, 2025, 3:48 PM IST
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