सागर. खास बात ये है कि उन्हें नौकरी मिलने के बाद फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने उन्हें घर पर बुलाया. अक्षय कुमार ने उन्हें आशीर्वाद देने के साथ जीवन मंत्र दिया कि एथलीट के जीवन में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण होता है, और उसी के सहारे वह पूरी जिंदगी जीता है. गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के सागर जिले के सोहेल खान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूडो प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर भारत को कई पदक दिला चुके हैं. अक्षय कुमार भी उनके फैन हैं.
सोहेल खान की उपलब्धियां
सोहेल खान का जन्म 18 अगस्त 1999 को सागर में हुआ. उन्होंने पांचवीं क्लास से ही कूडो, ताइक्वांडो, कराटे, कबड्डी, एथलेटिक्स, राइफल शूटिंग और आर्चरी जैसे खेलों में भाग लेना शुरू कर दिया था. लेकिन कूडो उनको ऐसा भाया कि महज 18 साल की उम्र में 2017 में कूडो (एमएमए) के विश्व चैंपियन बन गए. फाइनल मुकाबले में उन्होंने फ्रेंच प्रतिद्वंद्वी को हराकर स्वर्ण पदक जीता था. 2023 में टोक्यो में विश्व चैंपियनशिप में भी भाग लिया, जो उनके अंतर्राष्ट्रीय करियर में मील का पत्थर साबित हुआ. यहां सोहेल ने विलियस तारासेविसियस के खिलाफ असाधारण प्रदर्शन कर किया. सोहेल को अभिनेता अक्षय कुमार द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया, जो कूडो (जापानी हाइब्रिड मार्शल आर्ट) अंतर्राष्ट्रीय संघ के संरक्षक भी हैं.
चुनौतियों का डटकर किया मुकाबला
सोहेल खान ने कूडो में करियर बनाने के लिए कई तरह की समस्याओं का सामना किया. उन्हें आर्थिक परेशानियां भी झेलनी पड़ीं और कई बार चोट की वजह से परेशान रहना पड़ा. मानसिक दिक्कतों के कारण भी खेल पर विपरीत असर पड़ा. लेकिन माता-पिता और कोच एजाज खान लगातार प्रोत्साहित करते रहे. सोहेल कहते हैं कि माता-पिता और गुरु की प्रेरणा से ही मुझे सफलता हासिल हुई है.
कंसिस्टेंसी ही जीत का मंत्र
सोहेल कहते हैं, '' स्पोर्ट्स में करियर बनाने के लिए लगातार अभ्यास जरूरी है. आप एक दिन में ब्रूस ली या कोई बड़ा फाइटर नहीं बन सकते हैं. आपको लगातार एक जैसी मेहनत करनी पड़ेगी. इसके लिए लगातार टूर्नामेंट में हिस्सा लेना पड़ेगा. अगर आप बिना टूर्नामेंट में हिस्सा लिए अपने आप को बेहतर खिलाड़ी मान लें, तो कुछ हासिल नहीं होगा. आपको मुकाबले में उतरना होगा. जो बच्चे किसी भी खेल में करियर बनाना चाहते हैं. उन्हें टूर्नामेंट में हिस्सा लेना चाहिए. टूर्नामेंट के समय पर ही ट्रेनिंग नहीं करना चाहिए. हर खेल में जीत हार होती है. जीत से घमंड नहीं और हार से निराशा नहीं आनी चाहिए.''