नई दिल्ली: रूस ने अंतरिक्ष कार्यक्रम में भारत की सफलता की सराहना की है. नई दिल्ली में रूसी उप राजदूत रोमन बाबुश्किन ने कहा कि भारत ने अपना मजबूत राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम विकसित किया है और उसे अंतरिक्ष महाशक्ति के साथ ही अच्छी तरह से प्रतिष्ठित होने के साथ ही विश्वसनीय का दर्जा प्राप्त है. इसके अलावा अंतरिक्ष विज्ञान और उपग्रह प्रक्षेपण के लिए पसंदीदा वैश्विक भागीदार है.उक्त बातें बाबुश्किन ने दिल्ली में रूसी दूतावास 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यान सोयुज टी-11 पर सवार पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की ऐतिहासिक अंतरिक्ष उड़ान की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर कहीं.
इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष अंवेषण में भारत की उल्लेखनीय उलब्धियों की सराहना की. भारत-रूस अंतरिक्ष सहयोग पर प्रकाश डालते हुए, रूसी मिशन के उप प्रमुख ने कहा कि रूस भारत के अग्रणी भागीदारों में से एक बना हुआ है. रूसी राज्य निगम 'रोस्कोस्मोस' और इसरो अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण देकर, मानवयुक्त अंतरिक्ष यान के विकास में सहायता प्रदान करके, जीवन-समर्थन और क्रू-एस्केप सिस्टम, फ्लाइट सूट, काउच, रेट सेंसर की आपूर्ति करके भारतीय गगनयान मिशन के कार्यान्वयन में गहराई से शामिल हैं.
उन्होंने आगे कहा कि अब भारत, अपने मजबूत राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को विकसित करने के बाद, अंतरिक्ष महाशक्ति, अच्छी तरह से प्रतिष्ठित, विश्वसनीय और अंतरिक्ष विज्ञान और उपग्रह प्रक्षेपण के लिए पसंदीदा वैश्विक भागीदार का दर्जा प्राप्त करता है. उन्होंने कहा कि सफल चंद्रयान-3 परियोजना एक बड़ा मील का पत्थर है. रूस-भारत राजनयिक संबंधों की स्थापना की 77वीं वर्षगांठ से पहले, राजनयिक ने कहा कि दोनों देशों के बीच जीवंत साझेदारी में अंतरिक्ष प्रणोदन इंजीनियरिंग, क्रायोजेन इंजन निर्माण, उपग्रह नेविगेशन और संचार सिग्नल प्राप्त करने के लिए ग्राउंड स्टेशन स्थापित करना शामिल है.