नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को मौजूदा भू-राजनीतिक घटनाक्रम और उनके परिणाम पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रूस शासन कला की एक महान परंपरा वाली शक्ति है और एशिया या गैर पश्चिमी देशों की तरफ इसका रुख अधिक रहा है. रायसीना डायलॉग के एक सत्र में जयशंकर बीजिंग के साथ मॉस्को की बढ़ती निकटता से जुड़े एक सवाल का जवाब दे रहे थे.
उन्होंने कहा कि रूस को कई विकल्प देने के मायने हैं और इसे केवल एक विकल्प के अनुरूप ढालकर, इसके लिए आलोचना करना तर्कसंगत नहीं होगा. उन्होंने कहा कि 'मुझे लगता है कि रूस को कई विकल्प देने का मतलब है. अगर हम रूस को एक ही विकल्प में ढालते हैं और कहते हैं कि यह वास्तव में बुरा है, क्योंकि यही परिणाम है, तो यह भविष्य की अनिश्चित घटना को पहले ही सही मानकर उसके अनुरूप व्यवहार करने जैसा (सेल्फ फुलफिलिंग प्रोफेसी) होगा.'
जयशंकर ने कहा कि 'आज अन्य देशों, खासकर एशिया के लिए रूस के साथ जुड़ना महत्वपूर्ण है.' उन्होंने कहा कि 'रूस शासन कला की एक महान परंपरा वाली एक शक्ति है. ऐसी शक्तियां कभी भी खुद को बहुत गहन प्रकृति के एक रिश्ते में नहीं बांधेंगी. यह उनकी सोच के खिलाफ होगा.' विदेश मंत्री से रूस और चीन के बीच संबंधों की प्रगाढ़ता पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया था. साथ ही उनसे यह भी पूछा गया था कि क्या भारत इससे असहज है?
जयशंकर ने कहा कि 'रूस के साथ आज जो हुआ है वह यह है कि रूस और पश्चिम के लिए बहुत सारे दरवाजे बंद कर दिए गए हैं. हम इसका कारण जानते हैं. रूस एशिया या दुनिया के गैर पश्चिमी देशों की तरफ अधिक रुख कर रहा है.' विदेश मंत्री ने कहा कि पश्चिम की नीतियां रूस और चीन को करीब ला रही हैं. उन्होंने कहा कि 'यह अजीब है कि एक तरफ आपके पास ऐसे लोग हैं, जो नीतियां तय करते हैं (और) दोनों को एक साथ लाते हैं और फिर आप कहते हैं कि उनके एक साथ आने से सावधान रहें.'