बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा का शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहा, क्योंकि वक्फ संपत्ति विवाद और पंचमसाली समुदाय आरक्षण की मांग के मुद्दे पर कार्यवाही हावी रही, जिसके कारण तीखी नोकझोंक हुई और व्यवधान उत्पन्न हुआ.विधानसभा के पहले दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शोरगुल और आरोप-प्रत्यारोप का माहौल रहा, जिसके कारण विधानसभा अध्यक्ष यूटी खादर को व्यवस्था बहाल करने के लिए कई बार हस्तक्षेप करना पड़ा.
सत्र की शुरुआत परंपरागत शोक प्रस्ताव से हुई, जिसके बाद अध्यक्ष खादर ने अध्यक्ष की कुर्सी के जीर्णोद्धार और सुवर्ण विधान सौध में बसवन्ना के अनुभव मंडप की पेंटिंग लगाने की घोषणा की. हालांकि, विपक्ष के नेता आर अशोक द्वारा वक्फ संपत्ति मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए प्राथमिकता की मांग करने पर तनाव तेजी से बढ़ गया.
'मंदिरों को वक्फ संपत्तियों में बदला जा रहा है'
अशोक ने आरोप लगाया कि बसवन्ना के मंदिरों को वक्फ संपत्तियों में बदला जा रहा है, जिससे सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों में हंगामा मच गया. मंत्री डॉ शरण प्रकाश पाटिल ने कड़े शब्दों में जवाब देते हुए भाजपा और आरएसएस पर बसवन्ना के आदर्शों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया.पाटिल ने कहा कि भाजपा के पास बसवन्ना के बारे में बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. उनके कार्यों ने हमेशा उनके दर्शन का विरोध किया है.जिससे हंगामा और बढ़ गया.