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मनोरोगियों के बीच 547 दिन रह कर लिखा उपन्यास, इसे कहते हैं 'आउट ऑफ मैडनेस' - RITHWIK ARYAN

बिहार के लेखक ऋत्विक आर्यन ने मानसिक अस्पताल में 547 दिन बिताकर 'आउट ऑफ मैडनेस' लिखा. हार्वर्ड की पढ़ाई छोड़, उपन्यास पर काम किया.

अपने उपन्यास Out of Madness के साथ ऋत्विक आर्यन
अपने उपन्यास Out of Madness के साथ ऋत्विक आर्यन (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 11, 2025, 7:54 PM IST

Updated : Jan 11, 2025, 8:07 PM IST

पटना: किताब लिखने का जुनून या मानसिक अस्पताल में रहकर उपन्यास लिखने का पागलपन.. जो भी हो, इसे 'आउट ऑफ मैडनेस' तो कहेंगे ही. जी हां, इस किताब का नाम है 'आउट ऑफ मैडनेस' और इसे बिहार के खांटी लड़के ऋत्विक आर्यन ने लिखा है.

पहला उपन्यास ही सुपर हिट : सीतामढ़ी के रहने वाले ऋत्विक आर्यन ने यह किताब 547 दिनों तक मानसिक अस्पताल में रहकर लिखी. बचपन से ही नॉवेल लिखने के शौकीन ऋत्विक की यह पहली किताब 'ब्लूवन इंक पब्लिशर्स'द्वारा प्रकाशित की गई है, ये वही पब्लिशर्स जिसने 'हैरी पॉटर' जैसी मशहूर किताब को भी प्रकाशित किया था.

ऋत्विक आर्यन और उनका लेखन संघर्ष (ETV Bharat)

उपन्यास लिखने की सोच : ईटीवी भारत ने ऋत्विक से खास बातचीत की और जाना कि इस नॉवेल को लिखने में उन्होंने कितनी मेहनत की. ऋत्विक ने बताया कि 2017 में यूट्यूब पर एक यूथ कपल की कहानी देखी थी. यह कहानी देखने के बाद उनके मन में विचार आया कि क्यों न इस पर एक कहानी लिखी जाए. इस उपन्यास में पति और पत्नी के रिश्ते, पति की मृत्यु या धोखाधड़ी के बाद पत्नी की मानसिक स्थिति पर आधारित थी.

''उपन्यास का मुख्य किरदार 24 साल का एक अस्सिटैंट प्रोफेसर है जो नालंदा में मनोविज्ञान का शिक्षक है. धोखा और हार से भरी अपनी जिंदगी से तंग आकर ये टीचर अपनी मौत की झूठी कहानी रचता है, ताकि इस जिंदगी से भाग सके. छह साल तक वो क्राइम, मानव तस्करी की दुनिया में घुस जाता है और आखिर में एक पागलखाने में पहुंच जाता है. वहां वो टीचर एक पूर्व अभिनेत्री के प्यार में पड़ जाता है जो ड्रग्स की एडिक्ट रहती है.''- ऋत्विक आर्यन, उपन्यासकार, आउट ऑफ मैडनेस.

उपन्यास लिखने की प्रेरणा : ऋत्विक ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के हार्वर्ड एक्सटेंशन स्कूल से मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री की पढ़ाई छोड़ दी. मात्र तीन महीने में ही उन्होंने यह बड़ा फैसला लिया, ताकि वह अपनी लेखनी पर ध्यान केंद्रित कर सकें. इसके बाद उनके परिवार ने इस फैसले का समर्थन किया क्योंकि वे बचपन से ही लिखने का शौक रखते थे.

मानसिक अस्पताल में बिताए 547 दिन: ऋत्विक ने बताया कि "आउट ऑफ मैडनेस" जैसी कहानी के लिए मानसिक अस्पताल में रह रहे 'मनोरोगियों' के बीच जाकर उनकी मानसिक स्थिति को समझना जरूरी था. इसके लिए उन्होंने भारत के दो सबसे बड़े मानसिक अस्पतालों- रांची के 'सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री' और 'आगरा मानसिक अस्पताल' में 547 दिन बिताए. वहां रहकर उन्होंने मानसिक रोगियों के व्यवहार, दिनचर्या और उनकी मानसिक स्थिति का बारीकी से अध्ययन किया.

ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

मानसिक अस्पतालके रियल अनुभव: ऋत्विक ने कहा कि मानसिक अस्पताल में रहते हुए उन्हें कुछ रोगी ऐसे मिले, जिन्होंने उन्हें डॉक्टर समझकर अपनी बातें बताईं. वहीं कुछ रोगी अजीब हरकतें करते थे. रांची के मानसिक अस्पताल में वह कई बार बिना लैपटॉप के जाते थे ताकि रोगियों को उनका असल उद्देश्य न समझ में आए. उन्होंने यह भी बताया कि मानसिक रोगियों के साथ बातचीत करने से यह अहसास हुआ कि ये लोग प्यार के भूखे होते हैं, और अगर उनके साथ स्नेहपूर्वक बात की जाए तो वे बहुत अच्छे दोस्त बन सकते हैं.

"मानसिक अस्पतालमें कुछ ऐसे भी रोगी मुझे मिले जिन्होंने मुझे डॉक्टर समझकर अपनी बातें साझा कीं. उनके अनुभव इस उपन्यास को लिखने में काफी कारगर रहे हैं. मैने नॉवेल लिखने के लिए मानसिक रोगियों के साथ पागलखाने में 547 दिन बिताए. ताकि घटनाक्रम को रियलिस्टिक बनाया जा सके."- ऋत्विक आर्यन, उपन्यासकार, आउट ऑफ मैडनेस

ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

उपन्यास के पात्र और कहानी : 'आउट ऑफ मैडनेस' की कहानी में काल्पनिक पात्र मेसन मोरोन की प्रेम कहानी है, जो एक युवा प्रोफेसर होता है. उसकी पत्नी द्वारा धोखा दिए जाने के बाद वह मौत का नाटक करता है और मानसिक अस्पताल में शरण लेता है. इस दौरान उसे एक खूबसूरत लड़की से प्यार होता है, जो ड्रग एडिक्ट है. उनके बीच की प्रेम कहानी इस उपन्यास का मुख्य हिस्सा है.

फिल्म बनाने की योजना : ऋत्विक ने बताया कि "आउट ऑफ मैडनेस" पर फिल्म बनाने की योजना बन रही है. इसके अधिकार उन्होंने अपने पास रखे हैं और फिलहाल इसे भारत में ही प्रकाशित किया गया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे प्रकाशित करने की बातचीत चल रही है. इसके बाद फिल्म बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

पारिवारिक पृष्ठभूमि: ऋत्विक का जन्म 22 अक्टूबर 1999 को एक भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी के घर हुआ. उनके पिता अरुण कुमार भारतीय वन सेवा के अधिकारी रहे हैं और उनकी मां रितु जायसवाल एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं. ऋत्विक का पैतृक घर सीतामढ़ी जिले के सिंघवाहिनी गांव में है, और उनकी मां रितु जायसवाल को 2019 में राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार भी मिल चुका है.

बचपन से लिखने का जुनून : ऋत्विक ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि उन्हें लिखने की आदत कक्षा तीसरी से ही शुरू हो गई थी. उन्होंने बताया कि हार्डी बॉयज और टिन-टिन जैसी किताबों से प्रेरणा लेकर उन्होंने लिखना शुरू किया था. कक्षा आठ के बाद उन्होंने सीरियसली लेखन की दिशा में कदम बढ़ाया और अपनी पहली किताब 'मिजरी' लिखी, हालांकि यह किताब प्रकाशित नहीं हो सकी.

ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

''फिलहाल दो और उपन्यासों पर काम कर रहा हूं. एक किताब में मैं केरल के एक लड़के की कहानी लिख रहा हूं, जो दिल्ली में एक पापड़ कंपनी में काम करता है. दूसरी किताब पोलिगेनी पर आधारित है, जिसमें एक युवक यूक्रेन में एक नई पत्नी की तलाश में जाता है और वहां रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच फंसा रहता है. इन किताबों को पूरा होने में एक साल का वक्त लगेगा.''-ऋत्विक आर्यन, उपन्यासकार, आउट ऑफ मैडनेस

नोट- ऋत्विक आर्यन की "आउट ऑफ मैडनेस" किताब अब अमेज़न पर उपलब्ध है और इसे बुक स्टोर्स से भी खरीदा जा सकता है.

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Last Updated : Jan 11, 2025, 8:07 PM IST

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