रामनगर: दांतों में पाया जाने वाला खतरनाक बैक्टीरिया थूक के माध्यम से हार्ट की ग्रंथियां तक पहुंच रहा है. ये बैक्टीरिया हार्ट की समस्या पैदा कर रहा है. रामनगर के जाने माने डेंटिस्ट डॉक्टर अमित शर्मा ने बताया कि लगातार बढ़ रही दांतों की बीमारियों से कैसे बचाव कर सकते हैं. डॉक्टर अमित शर्मा ने बताया कि दातों की बीमारियां हार्ट डिजीज का कारण भी बन रही हैं. Dental problems and Prevention
दांतों की बीमारी से बढ़ रही हार्ट डिजीज: भाग दौड़ वाली जिंदगी में बदलते खानपान से युवाओं और बच्चों में दातों की गंभीर समस्याएं बढ़ रही हैं. ये गंभीर रोगों का कारण बन रही हैं. अगर डेंटिस्ट की मानें तो आज युवाओं में छोटी उम्र में हार्ट जैसी समस्याओं का एक कारण दांतों की बीमारी मुख्य कारण है. डॉ अमित शर्मा ने बताया कि अगर आपके दांत गंदे हैं और मसूड़े स्वस्थ नहीं हैं, तो इससे आपके दिल से जुड़ी नसें बंद हो सकती हैं. इसे हार्ट डिजीज (heart disease) और हार्ट अटैक जैसी स्थितियों का एक बड़ा संकेत माना जा सकता है. Causes of dental problems
हर 6 महीने में कराएं दांतों का चेकअप: डॉ अमित शर्मा ने बताया कि आज कैविटी और दांतों की सड़न दुनिया की सबसे आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है. ये खासकर बच्चों, किशोरों और बुजुर्गों में आम है. हर किसी को दांतों में कैविटी हो सकती है, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं. डॉ शर्मा ने बताया कि हमें लगातार अपने दांतों को अपने डेंटिस्ट को 6 महीने या 1 साल में जरूर दिखाते रहना चाहिए. Common teeth problems
ये हैं कैविटी के लक्षण: उन्होंने बताया कि कैविटी के लक्षण अलग-अलग होते हैं. जब कैविटी की शुरुआत होती है, तो आपको कई लक्षण महसूस हो सकते हैं. जैसे दांत दर्द एवं अन्य दर्द, दांतों की संवेदनशीलता, कुछ मीठा, गर्म या ठंडा खाने या पीने पर हल्का से तेज दर्द होना. आपके दांतों में छेद या गड्ढे जो आप देख सकते हैं. दांत की किसी भी सतह पर भूरा, काला या सफेद दाग होना.
दांतों की बीमारी से ऐसे होती है हार्ट डिजीज: डॉ अमित शर्मा ने बताया कि मसूड़ों या दांतों की परेशानी आमतौर पर बैक्टीरिया की वजह से होती है. ये बैक्टीरिया ब्लड वेसल्स में पहुंचकर उसमें इंफ्लामेशन यानी सूजन को बढ़ा सकते हैं. इससे हार्ट से संबंधित जटिलताएं बढ़ सकती हैं. उन्होंने कहा कि इस संबंध में पूर्व में कई अध्ययन में दावा किया गया कि अगर मामला गंभीर हो गया, तो एंटीबायोटिक का असर भी इन बैक्टीरिया पर नहीं होता और ये बॉडी के इम्यून सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाने लगते हैं.