ठाणे/पालघर : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से लायी गयी गई चुनावी बॉण्ड योजना को दुनिया का सबसे बड़ा एक्सटॉर्शन रैकेट (जबरन वसूली गिरोह) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिमाग की उपज करार दिया. इस योजना को अब रद्द कर दिया गया है. राहुल ने यहां संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि योजना के माध्यम से एकत्र किए गए धन का इस्तेमाल शिवसेना और राकांपा जैसे राजनीतिक दलों को तोड़ने और सरकारों को गिराने के लिए किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक दिन पहले ही इस योजना से जुड़े आंकड़े सार्वजनिक किए गए थे. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तय करेंगे कि उन्हें अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं. उन्होंने कहा, 'कुछ साल पहले, प्रधानमंत्री ने राजनीतिक वित्त प्रणाली को साफ करने के लिए चुनावी बॉण्ड (योजना) तैयार करने का दावा किया था. पता चला कि यह भारत के सबसे बड़े कॉरपोरेट्स से पैसे ऐंठने का तरीका था। इसका उद्देश्य कॉरपोरेट्स को भाजपा को पैसा देने के लिए डराना था...यह दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली गिरोह है....मुझे उम्मीद है कि इसकी जांच होगी.'
कुछ कंपनियों द्वारा कांग्रेस को चुनावी बॉण्ड दान करने और पार्टी के शासन वाले राज्यों में अनुबंध प्राप्त करने के बारे में एक प्रश्न पर गांधी ने कहा कि विपक्षी दलों द्वारा संचालित किसी भी सरकार ने राजमार्ग और रक्षा अनुबंध जैसे राष्ट्रीय स्तर पर अनुबंधों को नियंत्रित नहीं किया, न ही उन्होंने आयकर और प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों को नियंत्रित किया या लोगों के फोन में पेगासस (निगरानी सॉफ्टवेयर) डाला. उन्होंने आरोप लगाया, 'कांग्रेस द्वारा शासित राज्यों में दिए गए ठेकों और हमें दी गई फंडिंग के बीच कोई संबंध नहीं है...यह कॉर्पोरेट भारत से एक आपराधिक जबरन वसूली है, और हर एक कॉर्पोरेट यह जानता है. अनुबंध दिए जाने के महीनों बाद, कंपनियों ने भाजपा को चुनावी बॉण्ड दान किए हैं। सीबीआई, ईडी मामले दर्ज करती है और फिर कॉरपोरेट भाजपा को पैसा देते हैं.'