रांची:रघुवर दास एक बार फिर सुर्खियों में हैं. वजह है ओडिशा के राज्यपाल के पद से उनका इस्तीफा. अचानक हुए इस घटनाक्रम से कयासों का बाजार गर्म हो गया है. अब सवाल है कि क्या रघुवर दास को कोई बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी चल रही है या फिर उनके इस मूव को पॉलिटिकल रिटायरमेंट माना जाए. फिलहाल, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है. हां, एक बात जरुर है कि रघुवर दास खेमा बेहद खुश है. चर्चा है कि 26 दिसंबर को रघुवर दास दिल्ली जाने वाले हैं. इस घटनाक्रम पर झारखंड भाजपा और प्रमुख सत्ताधारी दल झामुमो का क्या स्टैंड है. राजनीतिक के जानकार इसको किस रूप में देख रहे हैं.
संभावाओं को लेकर भाजपा और झामुमो का स्टैंड
प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष यदुनाथ पांडेय का कहना है कि राजनीति में ये सब चलता रहता है. ये तो रघुवर दास ही बता पाएंगे कि उन्होंने क्यों इस्तीफा दिया. अब केंद्रीय नेतृत्व को तय करना है कि उनको क्या जिम्मेदारी मिल सकती है. वहीं भाजपा प्रवक्ता अविनेश कुमार का कहना है कि रघुवर दास पार्टी के एक कर्मठ कार्यकर्ता माने जाते हैं. उनकी कार्यशैली अच्छी और प्रमाणिक रही है. पूर्व में पार्टी ने उनको कई दायित्व दिए हैं. समय और परिस्थितियों के हिसाब से पार्टी उनको कहां उपयोग में लाना चाह रही है. यह समय ही बताएगा.
झामुमो ने रघुवर दास को अग्रिम शुभकामनाएं दी हैं. प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि फिलहाल तो कयास ही लगाए जा सकते हैं. देखना है कि उन्हें भाजपा क्या जिम्मेदारी देती है. इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि रघुवर दास के नेतृत्व में ही 2019 में 65 पार का नारा दिया गया था. लेकिन भाजपा 25 पर आ गई थी.
किस रूप में देखते हैं राजनीति के जानकार
वरिष्ठ पत्रकार बैद्यनाथ मिश्रा के मुताबिक ऐसा लग रहा है कि उनको स्टेट पॉलिटिक्स में लाने की तैयारी चल रही है. संभव है कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाए. क्योंकि जब उनको झारखंड की राजनीति से हटाया गया था, तब यहां लीडरशीप विवाद था. टकराव को रोकने के लिए पार्टी ने उन्हें साइड किया था. अब अर्जुन मुंडा अलग-थलग पड़ गये हैं. बाबूलाल मरांडी का इस चुनाव में टेस्ट हो चुका है. उनको जिस शान-ओ-शौकत के साथ लाया गया था, वह उम्मीद पूरी नहीं हो पाई. अब पार्टी को एक ऐसा अध्यक्ष चाहिए, जो संगठन को समझता हो. रघुवर दास पहले भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. वरिष्ठ पत्रकार बैद्यनाथ मिश्रा का कहना है कि हेमंत सोरेन ने ट्राइबल और मुस्लिम को मिलाकर चालीस प्रतिशत वोट ब्लॉक तैयार कर लिया है. इसको ओबीसी एकजुटता से ही काउंटर किया जा सकता है. लिहाजा, बैकवर्ड को साधने के लिए पार्टी के पास रघुवर दास से बेहतर विकल्प नहीं दिख रहा है.
रघुवर दास ने बनायी है मजबूत राजनीतिक पहचान