मुंबई: पिछले सात दशक से भी ज्यादा समय से आशा भोसले सिंगिंग के क्षेत्र में सक्रिय रही हैं. इस दौरान उन्होंने अपनी उपलब्धियों का हिमालय खड़ा किया. आशा भोसले की यह यात्रा अद्भुत रही है. उन्होंने अपनी इस यात्रा का जिक्र 'स्वरस्वामिनी आशा' नामक पुस्तक में किया है. किताब में उनकी अपने अनूठे करियर के डिटेल में जानकारी दी गई है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इस पुस्तक का विमोचन किया.
पुस्तक के प्रकाशन के अवसर पर आशा भोसले को सम्मानित भी किया गया. उनके छोटे भाई और मशहूर संगीत निर्देशक पंडित हृदयनाथ मंगेशकर ने अपनी बहन को एक साड़ी भेंट की. यह एक भावुक अवसर था. हृदयनाथ मंगेशकर ने जोर देकर कहा कि आशाताई ने उन्हें पालने में बहुत मेहनत की है.
इस अवसर पर बोलते हुए हृदयनाथ मंगेशकर ने बहन आशा भोसले के साथ कई मार्मिक अनुभव बताए. उन्होंने कहा, "1942 की एक दोपहर में, आशा मुझे थालनेर में तापी के किनारे ले गईं और कई दिनों तक खुद भूखे रहन बाद मेरी देखभाल की."
'आशा भोसले को गाते नहीं देखा'
उन्होंने कहा कि आशा एक महान गायिका बन गईं, लेकिन उन्होंने मुझे कभी नहीं बताया कि वह गाती हैं. जब मैंने उनका गाना सुना तो मैं चौंक गया, क्योंकि हमारे सभी भाई-बहन दीनानाथ मंगेशकर के सामने गा रहे थे, लेकिन मैंने कभी आशा भोसले को गाते नहीं देखा था.
आशा भोसले ने क्या कहा?
वहीं, आशा भोसले ने कृतज्ञतापूर्वक कहा कि उन्हें अपने जीवन में अनेक लोगों का आशीर्वाद और सहयोग मिला है, आप महिलाओं ने मुझे पार्श्व गायिका बनाया. 'बाला जोजो रे, पापाणी पंखुड़ीत जोफू दे आयुम चि पाखेरे, बाला जोजो रे...' गीत लोकप्रिय होने के बाद मुझे हिंदी में भी काम मिलना शुरू हुआ. मुझे अनेक संगीतकारों के साथ काम करने का अवसर मिला.