भोपाल: मध्य प्रदेश में परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के खिलाफ जांच एजेंसियों की पड़ताल जारी है. मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, नए खुलासे हो रहे हैं. जांच में सामने आया है कि सौरभ शर्मा की इस काली कमाई में उसका साथ देने वालों में उसके परिवार के सदस्यों के अलावा रिश्तेदार और ससुराल पक्ष से जुड़े लोग भी शामिल हैं. जांच एजेंसियों ने अब इन्हें भी रडार पर ले लिया है.
सौरभ शर्मा का बैंक खाली, कोई भी लॉकर नहीं
पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा ने अपनी पूरी काली कमाई जमीनों में ही लगाई. लोकायुक्त जांच में सौरभ शर्मा के पास एक भी लॉकर की जानकारी नहीं मिली है. उसके खिलाफ जांच शुरू होने के बाद से सौरभ शर्मा के करीबी रिश्तेदार गायब हो गए हैं. उसका साला भी छापामार कार्रवाई के बाद से फरार है.
पूर्व कांस्टेबल नेसाले और जीजा के नाम पर खरीदी थी प्रॉपर्टी
जानकारी के मुताबिक सौरभ शर्मा और उनकी पत्नी के साथ उसका साला शुभम तिवारी भी कई काम संभालता था. भोपाल में सौरभ की पत्नी दिव्या का एक फिटनेस क्लब भी संचालित है, जिसको अब तक दिव्या ही देखती थी. उधर साले के अलावा सौरभ शर्मा ने जबलपुर में रहने वाले अपने जीजा के नाम पर कई प्रॉपर्टी खरीदी थी. जबलपुर में जिस बंगले में सौरभ रहता था, वह उसने अपने जीजा के नाम पर खरीदा था.
जांच एजेंसियों को सौरभ शर्मा और उसके करीबियों की भोपाल के अलावा इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में भी प्रॉपटी के सबूत हाथ लगे हैं. बताया जाता है कि इंदौर में सौरभ का एक होटल भी है, जिसका संचालन शरद जायसवाल कर रहा था. बताया जाता है कि सौरभ शर्मा ने काली कमाई से ग्वालियर में पब भी खरीदा था जो बाद में आरटीओ में ट्रांसफर, पोस्टिंग का अड्डा बन गया था. अपनी ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए सौरभ ने 3 साल पहले अविरल कंस्ट्रक्शन नाम की एक कंपनी भी शुरू की. इसमें रोहित तिवारी, शरद जायसवाल और चेतन को डायरेक्टर बनाया गया था.
कार्रवाई के बाद से रिश्तेदार गायब, सोशल मीडिया के अकाउंट डिलीट
उधर लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद से सौरभ शर्मा के रिश्तेदार अंडरग्राउंड हो गए हैं. सौरभ शर्मा, उसकी पत्नी, जीजा, साले और ससुराल पक्ष से जुड़े लोगों ने अपने फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम अकाउंट्स को डिलीट कर दिया है, जिससे इसके जरिए उनसे जुड़े लोगों की लिंक को न खोजा जा सके.
कद्दावर नेता ने लगाया था सौरभ की नियुक्ति के लिए जोर
बताया जाता है कि सौरभ शर्मा को परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति भी गलत तरीके से मिली है. 2015 में उसके पिता डॉ. आरके शर्मा का निधन हो गया था, वे सरकारी डॉक्टर थे. ग्वालियर के वकील अवधेश तोमर का कहना है "सौरभ का एक भाई छत्तीसगढ़ में फाइनेंस डिपार्टमेंट में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात था, इसलिए उसको अनुकंपा नौकरी मिल ही नहीं सकती थी. उसको नियम विरूद्ध नौकरी दी गई. इसको लेकर उन्होंने कई बार सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी, लेकिन विभाग से उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली. बताया जाता है कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति के लिए एक कद्दावर नेता ने भरपूर जोर लगाया था."