नई दिल्ली:मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लग गया है. इस संबंध में गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की है. यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब राज्य विधानसभा का सत्र बुलाने की समयसीमा 12 फरवरी को समाप्त हो गई थी, जिससे राजनीतिक अनिश्चितता और बढ़ गई.
राष्ट्रपति शासन लागू होते ही मणिपुर की सारी प्रशासनिक और सरकारी शक्तियां केंद्र सरकार के हाथों में आ गई हैं. इसके साथ ही राज्य में गवर्नर के माध्यम से केंद्र सरकार शासन करेगी और कोई मुख्यमंत्री या मंत्रिमंडल नहीं होगा. वहीं, विधानसभा को भी निलंबित कर दिया गया है.
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की राय है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसमें उस राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती. राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 356 द्वारा दी गई सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए मैं घोषणा करती हूं कि मैं भारत के राष्ट्रपति के रूप में मणिपुर राज्य सरकार के सभी कार्यों और उस राज्य के राज्यपाल में निहित या उनके द्वारा प्रयोग की जा सकने वाली सभी शक्तियों को अपने ऊपर लेती हूं."
बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद के से दिया था इस्तीफा
बता दें कि 9 फरवरी को एन बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री पद के से इस्तीफा दे दिया था. बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफे में लिखा, "अब तक मणिपुर के लोगों की सेवा करना सम्मान की बात रही है. मैं केंद्र सरकार का बहुत आभारी हूं. उन्होंने समय पर कार्रवाई की, मदद की और विकास के काम किए. साथ ही बीरेन सिंह ने लिखा कि हर मणिपुरी के हितों की रक्षा के लिए कई परियोजनाएं भी चलाईं. मेरा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि वह इसी तरह काम करती रहे."
जातीय हिंसा से जूझ रहा था मणिपुर
गौरतलब है कि मणिपुर में लंबे समय से जातीय हिंसा से जूझ रहा था. राज्य में बार-बार हिंसा हो रही थी और अशांति फैल रही थी. इसके चलते राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई थी. बीरेन सिंह लंबे समय से मणिपुर की बिगड़ती स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनकी सफलता नहीं मिल रही थी.
उल्लेखनीय है उनका इस्तीफा सुप्रीम कोर्ट द्वारा लीक हुए ऑडियो टेप की रिपोर्ट के लिए केंद्रीय फोरेंसिक लैब को निर्देश दिए जाने के बाद आया, जिसमें कथित तौर पर सिंह को यह कहते हुए सुना गया है कि राज्य में जातीय हिंसा उनके आग्रह पर भड़काई गई थी. इसको लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा पर अपनी सरकार को गिरने से बचाने और सुप्रीम कोर्ट से एक्शन के डर से सिंह को देर से पद से हटाने का आरोप लगाया.
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