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सुबह-सुबह पुरी बीच की सैर पर निकली राष्ट्रपति मुर्मू, बोलीं- प्रकृति से जुड़ाव महसूस हुआ - President Walk On Puri Beach

President Walk On Puri Beach: कड़ी सुरक्षा के बीच ओडिशा की चार दिवसीय यात्रा पर आईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार सुबह पुरी समुद्र तट पर सैर की. प्रकृति के प्रति अपने जुड़ाव और अनुभव को साझा किया. पढ़ें पूरी खबर...

President Walk On Puri Beach
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (@rashtrapatibhvn (X))

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 8, 2024, 9:49 AM IST

Updated : Jul 8, 2024, 8:31 PM IST

पुरी: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इन दिनों चार दिवसीय ओडिशा दौरे पर हैं. जगन्नाथ रथ यात्रा और अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए वे पुरी में हैं. इस बीच, आज सोमवार सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच उन्होंने पुरी बीच की सैर की, इसके साथ ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई पोस्ट के माध्यम से प्रकृति पर अपने विचार साझा किए. अपने व्यस्त कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने पुरी के गोल्डन बीच का दौरा किया और यात्रा से अपने विचार और तस्वीरें साझा कीं.

राष्ट्रपति के ऑफिसियल सोशल मीडिया हैंडल एक्स से किए गए एक पोस्ट में कहा गया कि ऐसी जगहें हैं जो हमें जीवन के सार के करीब लाती हैं और हमें याद दिलाती हैं कि हम प्रकृति का हिस्सा हैं. पहाड़, जंगल, नदियाँ और समुद्र तट हमारे भीतर की किसी चीज़ को आकर्षित करते हैं. आज जब मैं समुद्र तट पर टहल रही थी, तो मुझे आसपास के वातावरण से जुड़ाव महसूस हुआ - हल्की हवा, लहरों की गर्जना और पानी का विशाल विस्तार, यह एक ध्यानपूर्ण अनुभव था.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (@rashtrapatibhvn (X))

इससे मुझे एक गहन आंतरिक शांति मिली, जो मैंने कल महाप्रभु श्री जगन्नाथजी के दर्शन करते समय भी महसूस की थी ऐसा अनुभव करने वाली मैं अकेली नहीं हूं. हम सभी ऐसा महसूस करते हैं जब हम किसी ऐसी चीज का सामना करते हैं जो हमसे कहीं बड़ी है, जो हमें सहारा देती है और हमारे जीवन को सार्थक बनाती है.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (@rashtrapatibhvn (X))

रोजमर्रा की भागदौड़ में, हम प्रकृति मां से यह संबंध खो देते हैं. मानव जाति का मानना ​​है कि उसने प्रकृति पर कब्ज़ा कर लिया है और अपने अल्पकालिक लाभों के लिए इसका दोहन कर रही है. इसका नतीजा सभी के सामने है. इस गर्मी में भारत के कई हिस्सों में भीषण गर्मी की लहरें चलीं. हाल के वर्षों में दुनिया भर में कई भयावह मौसम की घटनाएं लगातार हो रही हैं. आने वाले दशकों में स्थिति और भी खराब होने का अनुमान है. पृथ्वी की सतह का सत्तर प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा महासागरों से बना है और ग्लोबल वार्मिंग के कारण वैश्विक समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे तटीय क्षेत्रों के डूबने का खतरा है.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (@rashtrapatibhvn (X))

महासागर और वहां पाए जाने वाले वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता को विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के कारण भारी नुकसान हुआ है. सौभाग्य से, प्रकृति की गोद में रहने वाले लोगों ने ऐसी परंपराएं कायम रखी हैं जो हमें रास्ता दिखा सकती हैं. उदाहरण के लिए, तटीय क्षेत्रों के निवासी समुद्र की हवाओं और लहरों की भाषा जानते हैं. हमारे पूर्वजों का अनुसरण करते हुए, वे समुद्र को भगवान के रूप में पूजते हैं.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (@rashtrapatibhvn (X))

मेरा मानना ​​है कि पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण की चुनौती का सामना करने के दो तरीके हैं - व्यापक कदम जो सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की ओर से उठाए जा सकते हैं और दूसरा छोटे, स्थानीय कदम जो हम नागरिकों के रूप में उठा सकते हैं. बेशक, ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. आइए हम बेहतर कल के लिए व्यक्तिगत रूप से, स्थानीय स्तर पर जो कुछ भी कर सकते हैं, उसे करने का संकल्प लें. यह हमारे बच्चों के प्रति हमारा कर्तव्य है.

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Last Updated : Jul 8, 2024, 8:31 PM IST

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