पटना: बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में 3 मार्च को जन विश्वास माहरैली का आयोजन किया गया है. इस रैली को लेकर महागठबंधन के सभी घटक दलों के द्वारा राजधानी पटना की सड़कों को बैनर एवं पोस्ट से भर दिया गया है. राजधानी पटना के सभी प्रमुख सड़कों पर रैली को सफल बनाने की राजद का दावा है कि जन विश्वास महारैली अभूतपूर्व होगी. कल की रैली में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, वामपंथी दलों के सभी प्रमुख नेता एवं महागठबंधन के घटक दलों के सभी प्रमुख नेता इसमें शामिल होंगे.
10 लाख लोगों के जुटने का दावा : राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का मानना है कि गांधी मैदान में होने वाली रैली ऐसी अद्भुतपूर्व होगी जो पहले कभी नहीं हुई थी. मृत्युंजय तिवारी की मानें तो कल की महारैली में 10 लाख से ज्यादा लोग शामिल होंगे. आरजेडी का कहना है कि इस रैली के माध्यम से बिहार के लोगों को यह बताया जाएगा कि पिछले 10 वर्षों में केंद्र की सरकार ने किस तरीके से बिहार के लोगों के साथ भेदभाव किया है. पिछले 17 वर्षों से नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सरकार चल रही है. लेकिन नीतीश कुमार के 17 वर्षों के शासनकाल पर महागठबंधन सरकार का 17 महीना भारी पड़ गया. यह पूरे बिहार की जनता जान चुकी है.
''अपने 17 महीने के छोटे से कार्यकाल में जिस तरीके से तेजस्वी प्रसाद यादव ने नौकरी देने का काम किया, इससे बिहार के युवाओं में उम्मीद जगी थी. लेकिन नीतीश कुमार की वादा खिलाफी के कारण यह सरकार नहीं रही और नीतीश कुमार फिर एनडीए के साथ चले गए. इन्हीं बातों को लेकर तेजस्वी यादव ने पूरे बिहार में जन विश्वास यात्रा के माध्यम से लोगों को जागरुक कर रहे थे.''- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी
रैली में दिखेगी लालू और तेजस्वी का पावर: 3 मार्च को पटना के गांधी मैदान में होने वाली इस महारैली के माध्यम से लालू प्रसाद यादव एवं तेजस्वी यादव अपने विरोधियों को यह दिखा देंगे कि उनके लिए 2024 का चुनाव जीतना इतना आसान नहीं है. जान विश्वास रैली के माध्यम से तेजस्वी यादव एक तीर से दो निशाना साधने का प्रयास करेंगे. इस रैली के माध्यम से तेजस्वी यादव अपने विरोधियों को यह एहसास दिलाने का प्रयास करेंगे की आरजेडी का बिहार में अभी भी कितनी पकड़ है. दूसरा इस रैली के माध्यम से रोजगार के मुद्दे पर नीतीश कुमार की सरकार और केंद्र की सरकार को वह गिनाने का प्रयास करेंगे कि उनको सिर्फ 17 महीने का काम करने का अवसर मिला, यदि बिहार की जनता उन्हें बहुमत देती है तो रोजगार उनका प्रमुख मुद्दा रहेगा.