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महाराष्ट्र में 'खराब सुविधाओं वाली' एम्बुलेंस में अस्पताल ले जाते समय गर्भवती महिला की मौत

Pregnant Women Dies In Ambulance, महाराष्ट्र के पालघर जिले में एम्बुलेंस से अस्पताल जे जाने के दौरान गर्भवती महिला की मौत हो गई.

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प्रतीकात्मक फोटो (file photo ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 27, 2024, 6:44 PM IST

पालघर: महाराष्ट्र के पालघर जिले में खराब सुविधाओं वाली एम्बुलेंस से अस्पताल जा रही एक गर्भवती महिला की मौत का मामला सामने आया है. बताया जाता है कि 26 वर्षीय गर्भवती महिला की मंगलवार शाम को एक एम्बुलेंस में मौत हो गई, जिसमें कथित तौर पर ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति थी. मृतक महिला की पहचान पालघर जिले के सारणी गांव की पिंकी डोंगरकर के रूप में हुई है.

परिवार के सदस्यों के अनुसार, पिंकी ने प्रसव पीड़ा के दौरान गंभीर जटिलताओं की शिकायत की इस पर वे उसे कासा ग्रामीण अस्पताल ले गए. पीटीआई के अनुसार, अस्पताल के कर्मचारियों ने पिंकी की गंभीर हालत को देखते हुए के कारण उसे केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली के सिलवासा रेफर कर दिया गया. परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि आपातकालीन नंबर ‘108’ पर कॉल करने के बाद भी आपातकालीन उपकरणों के साथ कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं थी.

हालांकि, अधिकारियों ने पुष्टि की है कि कासा से एक आम एम्बुलेंस लाई गई. लेकिन रास्ते में पिंकी को जटिलताएं हुईं और उसकी मौत हो गई. वहीं विशेष एम्बुलेंस की कमी पर पालघर के सिविल सर्जन डॉ. रामदास मराड ने कहा, “अगर उसे (पिंकी को) पहले लाया गया होता, तो हम उसे बचा सकते थे.” मराड ने दावा किया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष एम्बुलेंस सेवाओं की कमी के बारे में सरकार से सवाल उठाने के सभी प्रयास गलत हैं.

पालघर के भाजपा सांसद डॉ. हेमंत सवारा ने इस घटना को दुखद बताया और स्वास्थ्य अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई करने तथा पर्याप्त ऑक्सीजन, डॉक्टर और हृदय संबंधी सहायता से लैस अधिक एम्बुलेंस की मांग की. उन्होंने कहा, “मैं सरकार के समक्ष यह मामला उठाने जा रहा हूं ताकि ऐसा दोबारा न हो.” वहीं सीपीआई (एम) नेता विनोद निकोले ने सरकार पर आदिवासियों के प्रति उदासीनता का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि पिछले कार्यकाल में भी विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया गया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने कहा, "सरकार ने तत्काल स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान देने के बजाय लड़की बहन योजना जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिससे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के महत्वपूर्ण पहलुओं की उपेक्षा हो रही है."

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